झालाबाड़ बांध, कोटा बैराज और सागर बांध से छोडे़ गए कुल तीन लाख 33 हजार क्यूसेक पानी आने के कारण चंबल नदी का जलस्तर 130 मीटर तक पहुंच गया है। खतरे के निशान 132 मीटर के करीब पहुंचे जलस्तर के कारण बाह के सात गांवों का तहसील मुख्यालय से संपर्क कटा हुआ है। कोटा बैराज से 81 हजार 500 क्यूसेक पानी सोमवार को और छोड़ा गया है। उफान से प्रभावित लोगों में राहत पहुंचाने के लिए आठ बाढ़ चौकियों का मंसुखपुरा, पिनाहट, उमरैठा, बासौनी, सिमराई, पुरा भगवान, खेड़ा राठौर, नंदगवां में गठन कर दिया गया है।
चंबल नदी में सोमवार रात और मंगलवार को दिन भर जलस्तर बढ़ता रहा। शाम तक यह 130 मीटर के स्तर पर पहुंच गया। इससे मऊ की मढै़या, गुढ़ा, गोहरा, रानीपुरा, भटपुरा, झरनापुरा, डालपुरा गांव के लोगों में हड़कंप मच गया है। गांव में पानी घुसने की स्थित पैदा होने पर लोगों ने ऊंचाई वाले इलाकों में डेरा जमा लिया है लेकिन मंगलवार देरशाम जलस्तर घटना शुरू हो गया लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। कोटा बैराज से सोमवार को छोडे़ गये 81 हजार 500 क्यूसेक पानी के मंगलवार रात पहुंचने की संभावना है। सोमवार रात गुढ़ा गांव से नौ भैंसें पानी के तेज बहाव के साथ बह गई जो कि बीहड़ी रास्ते के जरिये 10 किमी दूर जाकर किनारे लगीं। उफान प्रभावित गांवों में बचाव और राहत के नाम पर कोई काम शुरू नहीं हो सका है। इससे ग्रामीणों में रोष है। गोहरा, रानीपुरा, भटपुरा के लिए नाव के संचालन के अलावा ग्रामीणों को कोई राहत नहीं मिली है। पिनाहट के गांव कछियारा, डोंगरा, रेहा, बरेण्डा, करकौली पुरा, उमरैठा पुरा, बीच का पुरा, ऊपरी पुरा गांव टापू बन गए हैं। इनका जिला और तहसील मुख्यालय से संपर्क पूरी तरह कट गया है। गांव के रास्तों पर पानी भरने से लोग गांवों कैद हो गए हैं। गांवों में प्रशासन का कोई कर्मचारी मौजूद नहीं है। ऐसे में लोग मदद की गुहार लगा रहे हैं। उफान के कारण किसानों की बाजरा, तिल, उदड़, मूंग, ज्वार आदि की फसलें पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं। विधायक अरिदमन सिंह ने बताया कि डीएम और एसडीएम से प्रभावित गांवों में बचाव और राहत कार्य शुरू करने के लिए बात की है।
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स्थिति पर नजर रख रहे प्रशासनिक अधिकारी
एसडीएम विनय कुमार सिंह ने बताया कि स्थिति पर नजर रखी जा रही है। नदी में जलस्तर घटने लगा है। तहसीलदार इंद्रनंदन सिंह का कहना है कि प्रभावित गांवों में बाढ़ चौकियां बनाकर कर्मचारी तैनात किया गया है। अगर कोई कर्मचारी गांव में नहीं गया है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वहीं, नायब तहसीलदार डॉ. गजेन्द्र पाल सिंह ने मंगलवार को गोहरा, भगवानपुरा, कैंजरा और पिनाहट का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया।
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लेखपाल हड़ताल पर, अमीनों की लगाई ड्यूटी
बाह। लेखपालों को प्रभावित गांवों में रात को रुकने के लिए कहा गया था लेकिन उनकी हड़ताल होने के कारण तहसीलदार इंद्रनंदन सिंह ने अब अमीनों की ड्यूूटी लगाई है। उनको जलस्तर पर नजर रखने और 24 घंटे रिपोर्ट करने की हिदायत दी गई है।
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पिनाहट घाट पर जलस्तर देखने वालों की लगी भीड़
पिनाहट। चंबल नदी में जलस्तर देखने के लिए मंगलवार को लोगों की खासी भीड़ जमा हुई। सैकड़ों की संख्या में दूरदराज से भी लोग पहुंचे। कई लोग तो इस दौरान सेल्फी भी लेते नजर आए। ज्यादातर लोग उफान की स्थिति देखकर रोमांचित हो रहे थे।
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कोई दर्द से तड़प रहा तो कोई बुखार से तप रहा
बाह। उफान से घिरे गुढ़ा, गोहरा, रानीपुरा, भटपुरा, झरनापुरा आदि गांवों में वायरल के संक्रमण ने ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है। भटपुरा गांव में केशव, स्वाती, लक्ष्मी, रामबहादुर, कप्तान सिंह बुखार, बदन दर्द और दस्त से परेशान हैं। इलाज का कोई इंतजाम न होने से परिजन काफी परेशान हैं। दूसरे गांवों में भी बुखार, जुकाम, खांसी, शरीर दर्द से लोग परेशान हैं। इलाज का कोई इंतजाम न होने लोग घरेलू नुस्खों का सहारा लेने को मजबूर हैं। गुढ़ा गांव में पशुओं के भी बीमार होने की खबर है। गांव के लोगों ने व्यवस्था विभाग से उपचार दिलाने की गुहार लगाई है।
झालाबाड़ बांध, कोटा बैराज और सागर बांध से छोडे़ गए कुल तीन लाख 33 हजार क्यूसेक पानी आने के कारण चंबल नदी का जलस्तर 130 मीटर तक पहुंच गया है। खतरे के निशान 132 मीटर के करीब पहुंचे जलस्तर के कारण बाह के सात गांवों का तहसील मुख्यालय से संपर्क कटा हुआ है। कोटा बैराज से 81 हजार 500 क्यूसेक पानी सोमवार को और छोड़ा गया है। उफान से प्रभावित लोगों में राहत पहुंचाने के लिए आठ बाढ़ चौकियों का मंसुखपुरा, पिनाहट, उमरैठा, बासौनी, सिमराई, पुरा भगवान, खेड़ा राठौर, नंदगवां में गठन कर दिया गया है।
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चंबल नदी में सोमवार रात और मंगलवार को दिन भर जलस्तर बढ़ता रहा। शाम तक यह 130 मीटर के स्तर पर पहुंच गया। इससे मऊ की मढै़या, गुढ़ा, गोहरा, रानीपुरा, भटपुरा, झरनापुरा, डालपुरा गांव के लोगों में हड़कंप मच गया है। गांव में पानी घुसने की स्थित पैदा होने पर लोगों ने ऊंचाई वाले इलाकों में डेरा जमा लिया है लेकिन मंगलवार देरशाम जलस्तर घटना शुरू हो गया लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। कोटा बैराज से सोमवार को छोडे़ गये 81 हजार 500 क्यूसेक पानी के मंगलवार रात पहुंचने की संभावना है। सोमवार रात गुढ़ा गांव से नौ भैंसें पानी के तेज बहाव के साथ बह गई जो कि बीहड़ी रास्ते के जरिये 10 किमी दूर जाकर किनारे लगीं। उफान प्रभावित गांवों में बचाव और राहत के नाम पर कोई काम शुरू नहीं हो सका है। इससे ग्रामीणों में रोष है। गोहरा, रानीपुरा, भटपुरा के लिए नाव के संचालन के अलावा ग्रामीणों को कोई राहत नहीं मिली है। पिनाहट के गांव कछियारा, डोंगरा, रेहा, बरेण्डा, करकौली पुरा, उमरैठा पुरा, बीच का पुरा, ऊपरी पुरा गांव टापू बन गए हैं। इनका जिला और तहसील मुख्यालय से संपर्क पूरी तरह कट गया है। गांव के रास्तों पर पानी भरने से लोग गांवों कैद हो गए हैं। गांवों में प्रशासन का कोई कर्मचारी मौजूद नहीं है। ऐसे में लोग मदद की गुहार लगा रहे हैं। उफान के कारण किसानों की बाजरा, तिल, उदड़, मूंग, ज्वार आदि की फसलें पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं। विधायक अरिदमन सिंह ने बताया कि डीएम और एसडीएम से प्रभावित गांवों में बचाव और राहत कार्य शुरू करने के लिए बात की है।
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स्थिति पर नजर रख रहे प्रशासनिक अधिकारी
एसडीएम विनय कुमार सिंह ने बताया कि स्थिति पर नजर रखी जा रही है। नदी में जलस्तर घटने लगा है। तहसीलदार इंद्रनंदन सिंह का कहना है कि प्रभावित गांवों में बाढ़ चौकियां बनाकर कर्मचारी तैनात किया गया है। अगर कोई कर्मचारी गांव में नहीं गया है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वहीं, नायब तहसीलदार डॉ. गजेन्द्र पाल सिंह ने मंगलवार को गोहरा, भगवानपुरा, कैंजरा और पिनाहट का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया।
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लेखपाल हड़ताल पर, अमीनों की लगाई ड्यूटी
बाह। लेखपालों को प्रभावित गांवों में रात को रुकने के लिए कहा गया था लेकिन उनकी हड़ताल होने के कारण तहसीलदार इंद्रनंदन सिंह ने अब अमीनों की ड्यूूटी लगाई है। उनको जलस्तर पर नजर रखने और 24 घंटे रिपोर्ट करने की हिदायत दी गई है।
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पिनाहट घाट पर जलस्तर देखने वालों की लगी भीड़
पिनाहट। चंबल नदी में जलस्तर देखने के लिए मंगलवार को लोगों की खासी भीड़ जमा हुई। सैकड़ों की संख्या में दूरदराज से भी लोग पहुंचे। कई लोग तो इस दौरान सेल्फी भी लेते नजर आए। ज्यादातर लोग उफान की स्थिति देखकर रोमांचित हो रहे थे।
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कोई दर्द से तड़प रहा तो कोई बुखार से तप रहा
बाह। उफान से घिरे गुढ़ा, गोहरा, रानीपुरा, भटपुरा, झरनापुरा आदि गांवों में वायरल के संक्रमण ने ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है। भटपुरा गांव में केशव, स्वाती, लक्ष्मी, रामबहादुर, कप्तान सिंह बुखार, बदन दर्द और दस्त से परेशान हैं। इलाज का कोई इंतजाम न होने से परिजन काफी परेशान हैं। दूसरे गांवों में भी बुखार, जुकाम, खांसी, शरीर दर्द से लोग परेशान हैं। इलाज का कोई इंतजाम न होने लोग घरेलू नुस्खों का सहारा लेने को मजबूर हैं। गुढ़ा गांव में पशुओं के भी बीमार होने की खबर है। गांव के लोगों ने व्यवस्था विभाग से उपचार दिलाने की गुहार लगाई है।
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