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Mainpuri: गणेशपुर में टीले की खोदाई में निकले 3800 साल पुराने 39 अस्त्र, प्रशासन ने लगाई सील
संवाद न्यूज एजेंसी, मैनपुरी
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Sat, 11 Jun 2022 07:13 PM IST
गांव में पहुंचे पुरातत्व विभाग के कर्मचारियों को प्राचीन अस्त्र सौंपे गए हैं। वहीं प्रशासन ने टीले को सील कर दिया है। सोमवार को आगरा सर्किल से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम निरीक्षण करेगी।
कुरावली के ग्राम गणेशपुर में खुदाई के दौरान मिले प्राचीन शस्त्र
- फोटो : अमर उजाला
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले की तहसील कुरावली क्षेत्र के गणेशपुर में खेत के टीले को समतल करने के दौरान 3800 साल से ज्यादा पुरानी 39 ताम्रनिधियां मिली हैं। इन ताम्रनिधियों में तलवारें, भाला, कांता, त्रिशूल आदि अस्त्र शामिल हैं, जिन पर जंग लगी हुई है। एक साथ तांबे के हथियारों के मिलने पर एसडीएम मौके पर पहुंचे, जिन्होंने शाम को इस टीले को सील कर दिया। भारतीय पुरातत्व विभाग की आगरा सर्किल टीम सोमवार को गणेशपुर में टीले का निरीक्षण करने के लिए पहुंचेगी। प्रशासन ने सभी 39 ताम्रनिधियों को पुरातत्व विभाग को सौंप दिया है।
खेत समतल कराने के दौरान मिले ये अस्त्र
शनिवार को गणेशपुर के खेत में खोदाई में इतिहास का खजाना मिला। गणेशपुर निवासी बहादुर सिंह फौजी मलावन रजवाहा की पटरी से लगे अपने खेत के टीले को जेसीबी से समतल करा रहे थे। जैसे ही टीला ढहाया, उसके अंदर से प्राचीन तांबे के हथियार मिले, जिनमें तलवारें, भाले, कांता, त्रिशूल आदि निकले। एसडीएम वीके मित्तल इस सूचना पर गांव पहुंचे और खेत के टीले को सील करा दिया। गिनती करने पर तांबे के 39 हथियार पाए गए, जिन्हें पुरातत्व विभाग को सौंप दिया गया। गांव में जैसे ही प्राचीन हथियार जमीन से निकलने की सूचना फैली, लोगों का जमावड़ा लग गया।
गंगा बेल्ट में सबसे पहले बिठूर में मिले अस्त्र
तांबे की तलवार, हथियार ईसा पूर्व 1800 से 1200 के बीच माने जाते हैं। गंगा बेल्ट में सबसे पहले यह 1822 में कानपुर के बिठूर में बड़ी संख्या में पाए गए। गंगा और यमुना के बीच में बसे शहरों आगरा, एटा, मैनपुरी, कानपुर इस तरह की ताम्रनिधियों के गढ़ हैं। पुरातात्विक दृष्टि से यह उन लोगों की संस्कृति का बड़ा केंद्र रहे हैं, जो ताम्रनिधियों का उपयोग करते रहे हैं। कुछ समय पहले बागपत के सिनौली में तांबे से बनी तलवार और खंडित पुरावशेष मिले थे, जिसमें तलवार और म्यान दोनों तांबे की थीं। हालांकि इन ताम्रनिधियों और सिनौली के बीच कोई समानता नहीं है।
शासन को दी गई सूचना
एसडीएम कुरावली वीके मित्तल ने बताया कि पुरातत्व विभाग की टीम की जांच के बाद ही प्राचीन अस्त्रों के संबंध में जानकारी हो सकेगी। इस संबंध में उच्चाधिकारियों सहित शासन को सूचना दे दी गई है।
3800 साल से ज्यादा पुरानी ताम्रनिधियां
आगरा सर्किल के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल ने बताया कि प्रारंभिक तौर पर देखने में यह ताम्रनिधियां ईसा पूर्व 1800 की लगती हैं। एटा, मैनपुरी, आगरा और गंगा बेल्ट इस तरह की ताम्रनिधियों की संस्कृति वाले क्षेत्र रहे हैं। हमारी टीम सोमवार को जगह का निरीक्षण करने जाएगी। संभव है कि यहां और ताम्रनिधियां निकल आएं। यह 3800 साल से ज्यादा पुरानी हैं।
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