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Police personnel, himachal government meeting did not organized even on the orders of CM Jairam
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सीएम जयराम के आदेश पर भी नहीं हुई पुलिस कर्मियों, सरकार की बैठक
अमर उजाला ब्यूरो, शिमला
Published by: Krishan Singh
Updated Tue, 30 Nov 2021 02:49 AM IST
सार
गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय के उच्चाधिकारियों को शामिल किए बिना ही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की ओर से अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त और पुलिस कर्मियों के बीच बैठक के दिए गए आदेश के बावजूद सोमवार को बैठक नहीं हो सकी। सूत्रों का कहना है कि इस बात का निर्णय ही नहीं हो सका कि बैठक में किस ओर से प्रस्ताव आएगा और सरकार किससे चर्चा करेगी।
हिमाचल पुलिस(सांकेतिक)
- फोटो : अमर उजाला
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हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में मुख्यमंत्री आवास पर रविवार को हुए अप्रत्याशित घटनाक्रम के बाद से हालात सामान्य होने का नाम नहीं ले रहे हैं। गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय के उच्चाधिकारियों को शामिल किए बिना ही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की ओर से अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त और पुलिस कर्मियों के बीच बैठक के दिए गए आदेश के बावजूद सोमवार को बैठक नहीं हो सकी। सूत्रों का कहना है कि इस बात का निर्णय ही नहीं हो सका कि बैठक में किस ओर से प्रस्ताव आएगा और सरकार किससे चर्चा करेगी। चूंकि पुलिस मुख्यालय या डीजीपी की ओर से इस संबंध में प्रस्ताव ही नहीं आया है। ऐसे में कर्मचारियों से सीधे बात करने पर पेच फंस गया है। उधर, मंगलवार को बैठक होगी या नहीं।
सोमवार को बैठक न होने से एक बार फिर पुलिस कर्मियों में मायूसी और नाराजगी का दौर शुरू हो गया है। सूत्रों का कहना है कि रविवार को मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद बगावती रुख अपना रहे सिपाहियों ने मेस शुरू कर दी थी। लेकिन सोमवार को बैठक को लेकर टालमटोल होने के बाद इस बात की सुगबुगाहट शुरू हो गई है कि सरकार उनकी मांग पर एक्शन लेगी या नहीं। उधर, सीआईडी के अधिकारी भी रविवार के घटनाक्रम के बाद पुलिस कर्मियों की हर गतिविधि पर नजर रख रहे हैं। ऐसा पहली बार हुआ जब पुलिस कर्मचारियों का इतना बड़ा मूवमेंट हो गया और जानकारी तब हुई जब पुलिस कर्मी मुख्यमंत्री आवास के गेट पर इकट्ठा हो गए। ऐसे में अब सख्त निर्देश दिए गए हैं कि बिना अनुमति पुलिस कर्मियों को कहीं भी जाने न दिया जाए।
तो क्या जेसीसी बैठक में गलत विषय से उलझ गया मामला
पुलिस कर्मियों के जिस आठ साल के बजाय अन्य सरकारी कर्मियों की तरह दो साल बाद रिवाइज पे बैंड देने के मुद्दे पर घमासान मचा हुआ है उसपर जेसीसी की बैठक में चर्चा हुई ही नहीं हुई। इसकी बजाय जेसीसी ने सरकार के सामने गलत एजेंडा भेज दिया जिससे पुलिस कर्मियों की मांग बिना चर्चा के ही खारिज हो गई। सूत्रों के अनुसार जेसीसी की ओर से भेजे गए एजेंडे में मांग की गई थी पुलिस कर्मियों का कांट्रेक्ट पीरियड राज्य के अन्य सरकारी कर्मियों की ही तरह कम कर तीन साल कर दिया जाए। जेसीसी की बैठक में जब यह एजेंडा उठा तो सरकार ने जवाब दिया कि पुलिस कर्मियों की नियुक्ति पहले दिन से नियमित होती है। इस जवाब के बाद सरकार ने एजेंडा क्लोज कर दिया। अब सवाल यह है कि इस गलत एजेंडे को सरकार के कर्मचारियों की तरफ से लाया गया या फिर जेसीसी ने ही गलत विषय उठा दिया जिससे सरकार फैसला ही नहीं ले सकी और अब पुलिस-सरकार के बीच एक विवाद की स्थिति पैदा होती दिख रही है।
राजधानी शिमला स्थित मुख्यमंत्री आवास ओक ओवर में रविवार को सैकड़ों नाराज पुलिस कर्मियों के पहुंचने के मामले में शासन से लेकर पुलिस मुख्यालय तक के अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है। एक ओर गृह और पुलिस विभाग के अधिकारी इस बात को पचा नहीं पा रहे कि अनुशासित पुलिस के जवाब बिना किसी आदेश के सीधे मुख्यमंत्री से मिलने पहुंच गए और अपनी मांगे तक रख दीं।
कुछ अफसर इस अनुचित व्यवहार को करने वाले कर्मियों पर कार्रवाई की बात कह रहे हैं। दूसरी ओर, सियासी नफा नुकसान और बिना मुख्यमंत्री रुख जाने नियमों की इस अवहेलना पर कार्रवाई करने से कतरा रहे हैं। फिलहाल, अफसरों में इस बात को लेकर तो एकमत है कि अगर इस मामले में कार्रवाई न हुई तो भविष्य में भी पुलिस कर्मी अपनी किसी भी मांग को मनवाने के लिए नियमों को दरकिनार कर इस तरह का कदम उठा सकते हैं।
विस्तार
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में मुख्यमंत्री आवास पर रविवार को हुए अप्रत्याशित घटनाक्रम के बाद से हालात सामान्य होने का नाम नहीं ले रहे हैं। गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय के उच्चाधिकारियों को शामिल किए बिना ही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की ओर से अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त और पुलिस कर्मियों के बीच बैठक के दिए गए आदेश के बावजूद सोमवार को बैठक नहीं हो सकी। सूत्रों का कहना है कि इस बात का निर्णय ही नहीं हो सका कि बैठक में किस ओर से प्रस्ताव आएगा और सरकार किससे चर्चा करेगी। चूंकि पुलिस मुख्यालय या डीजीपी की ओर से इस संबंध में प्रस्ताव ही नहीं आया है। ऐसे में कर्मचारियों से सीधे बात करने पर पेच फंस गया है। उधर, मंगलवार को बैठक होगी या नहीं।
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सोमवार को बैठक न होने से एक बार फिर पुलिस कर्मियों में मायूसी और नाराजगी का दौर शुरू हो गया है। सूत्रों का कहना है कि रविवार को मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद बगावती रुख अपना रहे सिपाहियों ने मेस शुरू कर दी थी। लेकिन सोमवार को बैठक को लेकर टालमटोल होने के बाद इस बात की सुगबुगाहट शुरू हो गई है कि सरकार उनकी मांग पर एक्शन लेगी या नहीं। उधर, सीआईडी के अधिकारी भी रविवार के घटनाक्रम के बाद पुलिस कर्मियों की हर गतिविधि पर नजर रख रहे हैं। ऐसा पहली बार हुआ जब पुलिस कर्मचारियों का इतना बड़ा मूवमेंट हो गया और जानकारी तब हुई जब पुलिस कर्मी मुख्यमंत्री आवास के गेट पर इकट्ठा हो गए। ऐसे में अब सख्त निर्देश दिए गए हैं कि बिना अनुमति पुलिस कर्मियों को कहीं भी जाने न दिया जाए।
तो क्या जेसीसी बैठक में गलत विषय से उलझ गया मामला
पुलिस कर्मियों के जिस आठ साल के बजाय अन्य सरकारी कर्मियों की तरह दो साल बाद रिवाइज पे बैंड देने के मुद्दे पर घमासान मचा हुआ है उसपर जेसीसी की बैठक में चर्चा हुई ही नहीं हुई। इसकी बजाय जेसीसी ने सरकार के सामने गलत एजेंडा भेज दिया जिससे पुलिस कर्मियों की मांग बिना चर्चा के ही खारिज हो गई। सूत्रों के अनुसार जेसीसी की ओर से भेजे गए एजेंडे में मांग की गई थी पुलिस कर्मियों का कांट्रेक्ट पीरियड राज्य के अन्य सरकारी कर्मियों की ही तरह कम कर तीन साल कर दिया जाए। जेसीसी की बैठक में जब यह एजेंडा उठा तो सरकार ने जवाब दिया कि पुलिस कर्मियों की नियुक्ति पहले दिन से नियमित होती है। इस जवाब के बाद सरकार ने एजेंडा क्लोज कर दिया। अब सवाल यह है कि इस गलत एजेंडे को सरकार के कर्मचारियों की तरफ से लाया गया या फिर जेसीसी ने ही गलत विषय उठा दिया जिससे सरकार फैसला ही नहीं ले सकी और अब पुलिस-सरकार के बीच एक विवाद की स्थिति पैदा होती दिख रही है।
सैकड़ों पुलिस कर्मियों के सीएम आवास पहुंचने पर आला अफसरों ने साधी चुप्पी
राजधानी शिमला स्थित मुख्यमंत्री आवास ओक ओवर में रविवार को सैकड़ों नाराज पुलिस कर्मियों के पहुंचने के मामले में शासन से लेकर पुलिस मुख्यालय तक के अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है। एक ओर गृह और पुलिस विभाग के अधिकारी इस बात को पचा नहीं पा रहे कि अनुशासित पुलिस के जवाब बिना किसी आदेश के सीधे मुख्यमंत्री से मिलने पहुंच गए और अपनी मांगे तक रख दीं।
कुछ अफसर इस अनुचित व्यवहार को करने वाले कर्मियों पर कार्रवाई की बात कह रहे हैं। दूसरी ओर, सियासी नफा नुकसान और बिना मुख्यमंत्री रुख जाने नियमों की इस अवहेलना पर कार्रवाई करने से कतरा रहे हैं। फिलहाल, अफसरों में इस बात को लेकर तो एकमत है कि अगर इस मामले में कार्रवाई न हुई तो भविष्य में भी पुलिस कर्मी अपनी किसी भी मांग को मनवाने के लिए नियमों को दरकिनार कर इस तरह का कदम उठा सकते हैं।
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