हर इंसान के जीवन में नई चुनौतियां सामने आती हैं। इन चुनौतियों को परिजनों के आशीर्वाद, प्रशंसकों के प्रेम और कठिन परिश्रम से ही पार पाया जा सकता है। बंगलूरू में चल रहे राष्ट्रीय कैंप में शामिल हॉकी टीम के खिलाड़ी वरुण कुमार ने अमर उजाला से विचार साझा करते हुए ये बात कही। वरुण कुमार मूलरूप से चंबा जिले के डलहौजी के रहने वाले हैं।
फरवरी माह के दूसरे सप्ताह में दक्षिण अफ्रीका के साथ होने वाली भिड़ंत से पूर्व भारतीय हॉकी टीम का नेशनल कैंप चल रहा है। जहां पर भारतीय टीम के खिलाड़ी अपना पसीना बहा रहे हैं। युवा दिवस के मौके पर वरुण कुमार ने युवाओं को जीवन में खेल गतिविधियों के जरिये लक्ष्य निर्धारित कर परिश्रम करने का संदेश दिया।
उनके पिता ब्रहमानंद ने ट्रक चलाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करने के साथ उन्हें इस मुकाम पर पहुंचाया। उनकी माता शकुंतला देवी गृहिणी हैं। उन्हें गर्व है कि उनका जन्म देवभूमि हिमाचल में हुआ है। लेकिन, हॉकी के क्षेत्र में अभी प्रदेश में बहुत कुछ होना शेष है। वह चंबा में होते तो इस मुकाम पर नहीं पहुंच पाते।
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हर इंसान के जीवन में नई चुनौतियां सामने आती हैं। इन चुनौतियों को परिजनों के आशीर्वाद, प्रशंसकों के प्रेम और कठिन परिश्रम से ही पार पाया जा सकता है। बंगलूरू में चल रहे राष्ट्रीय कैंप में शामिल हॉकी टीम के खिलाड़ी वरुण कुमार ने अमर उजाला से विचार साझा करते हुए ये बात कही। वरुण कुमार मूलरूप से चंबा जिले के डलहौजी के रहने वाले हैं।
फरवरी माह के दूसरे सप्ताह में दक्षिण अफ्रीका के साथ होने वाली भिड़ंत से पूर्व भारतीय हॉकी टीम का नेशनल कैंप चल रहा है। जहां पर भारतीय टीम के खिलाड़ी अपना पसीना बहा रहे हैं। युवा दिवस के मौके पर वरुण कुमार ने युवाओं को जीवन में खेल गतिविधियों के जरिये लक्ष्य निर्धारित कर परिश्रम करने का संदेश दिया।
उनके पिता ब्रहमानंद ने ट्रक चलाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करने के साथ उन्हें इस मुकाम पर पहुंचाया। उनकी माता शकुंतला देवी गृहिणी हैं। उन्हें गर्व है कि उनका जन्म देवभूमि हिमाचल में हुआ है। लेकिन, हॉकी के क्षेत्र में अभी प्रदेश में बहुत कुछ होना शेष है। वह चंबा में होते तो इस मुकाम पर नहीं पहुंच पाते।