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Himachal News: 111 megawatt sawra kuddu hydroelectric project on pabbar river And drought in Thana village
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बिजली प्रोजेक्ट ने सुखा दिए पानी के स्रोत, बूंद-बूंद को तरसे लोग
अमर उजाला नेटवर्क, शिमला
Published by: अरविन्द ठाकुर
Updated Mon, 29 Mar 2021 12:14 PM IST
सार
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हिमाचल दिवस पर प्रस्तावित है सावड़ा-कुड्डू प्रोजेक्ट का उद्घाटन, पीएम कर सकते हैं लोकार्पण
गांव के इर्द-गिर्द हैं पानी के करीब आठ बड़े टैंक, पानी की एक बूंद भी नहीं
बिजली प्रोजेक्टों ने पानी के प्राकृतिक स्रोत सूखा दिए हैं। इससे लोग पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं। पब्बर नदी पर बने 111 मेगावाट के इस प्रोजेक्ट का उद्घाटन 15 अप्रैल को हिमाचल दिवस पर प्रस्तावित है। सरकार के प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका लोकार्पण कर सकते हैं। विशेष बात तो यह है कि ठाणा गांव के इर्द-गिर्द पानी के करीब आठ बड़े टैंक सिंचाई के मकसद से बनाए गए हैं, लेकिन इनमें पानी ही नहीं है।
एनजीटी ने पानी के स्रोतों को पुनर्जीवित करने और गांव की क्षतिपूर्ति करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन अफसरशाही का इस पर ध्यान नहीं दे रही है। चरटू नाला से जलापूर्ति की योजना पिछले पांच साल से बंद है। पाइप बिछाए हैं, जो आगे ठाणा गांव के इर्द-गिर्द लगे बागीचों के लिए पानी की आपूर्ति करते थे, लेकिन अब यह भी बंद है।
वर्तमान में बागवानी से जुड़े गोविंद चतरांटा ने कहा कि जलापूर्ति समेत कई ऐसी योजनाएं हैं, जो धरातल पर नहीं उतर रही हैं। उन्होंने जुब्बल की ठाणा पंचायत का उदाहरण देते हुए कहा कि पानी के करीब आठ से दस भंडारण टैंक एक दशक पहले बने हैं। पानी की एक भी बूंद इन टैंकों में नहीं है।
ठाणा गांव में लोग पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं। सेब बगीचों में स्प्रे के लिए मीलों दूर से पानी लाना पड़ रहा है। उन्होंने पानी की समस्या का मुख्य कारण सावड़ा-कुड्डू बिजली प्रोजेक्ट की सुरंग बताया, जो साढ़े नौ किलोमीटर इस गांव के नीचे से गुजरती है। यह प्रोजेक्ट शुरुआती दौर में 648 करोड़ का तय किया गया था, जिसका कार्य जुलाई 2011 में पूरा होना था, लेकिन अब इसकी कीमत करीब 1600 करोड़ से ऊपर पहुंच गई है।
उठाऊ पेयजल योजना के पीछे सीवरेज टैंक
गांव के लिए पब्बर नदी से उठाऊ जल परियोजना बनाई गई है। इससे तीसरे दिन पानी की सीमित आपूर्ति हो रही है। इसी पीने के पानी से गुजारा तो चल रहा है, पर इससे पहले सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बना दिया गया है। लोग अब इस पानी को पीने से भी झिझक रहे हैं।
अधिकारियों को निर्देश दिए जाएंगे कि वे मौके पर जाएं। वह इस बारे में फील्ड स्टाफ से रिपोर्ट मांगेंगे। समस्या का उचित समाधान होगा। - नवीन पुरी, प्रमुख अभियंता, जलशक्ति विभाग
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