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Himachal News: सूबे के खनिज से चल रहे बाहरी राज्यों के सीमेंट प्लांट, टैक्स का लग रहा चूना

अमर उजाला ब्यूरो, शिमला Published by: अरविन्द ठाकुर Updated Tue, 31 Jan 2023 12:48 PM IST
सार

राज्य खनन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि सीमेंट प्लांटों की आड़ में निकाले जा रहे खनिज की एवज में आज तक सरकार के खजाने में सिर्फ रायल्टी की राशि ही मिलती रही है।

फाइल फोटो
फाइल फोटो - फोटो : अमर उजाला

विस्तार

सीमेंट विवाद के बीच यह मामला भी सामने आया है कि हिमाचल से निकाले जा रहे खनिज से बाहरी राज्यों के सीमेंट प्लांट चलाए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार को कच्चा माल बाहरी राज्यों के सीमेंट प्लांट में उत्पादन करने के लिए भेजा जाता रहा है और तैयार सीमेंट से आने वाले करोड़ों के टैक्स का लाभ हिमाचल को नहीं मिल रहा। इससे हिमाचल को भारी चपत लगती रही है। प्रदेश में स्थापित कुछ सीमेंट प्लांटों को क्षमता से अधिक खनिज दोहन की मंजूरी दी गई है। सिर्फ केंद्र सरकार के पांवटा स्थित सीसीआई के सीमेंट प्लांट को जरूरत का खनिज निकालने की मंजूरी दी गई है। 



राज्य खनन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि सीमेंट प्लांटों की आड़ में निकाले जा रहे खनिज की एवज में आज तक सरकार के खजाने में सिर्फ रायल्टी की राशि ही मिलती रही है। इस खनिज का इस्तेमाल क्लींकर बनाकर बाहरी राज्यों के प्लांटों में सीमेंट बनाने के लिए किया जा रहा है। क्लींकर के बाद प्लांट में सीमेंट बनाने की प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसके बाद सीमेंट तैयार होने के बाद टैक्स के रूप में जो राशि हिमाचल के खजाने में जा सकती थी, उसकी क्षति हिमाचल को होती रही है। 


सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में चार कंपनियां सालाना 12.05 मिलियन टन सीमेंट का उत्पादन कर रही हैं। प्रदेश में तैयार 80 फीसदी सीमेंट बाहरी राज्यों में भेजा जा रहा है। कंपनियां हर साल 11.67 मिलियन टन क्लींकर भी तैयार कर रही हैं। अधिकांश क्लींकर राज्य से बाहर सीमेंट प्लांटों के लिए कच्चे माल के रूप में भेजा जाता है। सरकार ने खनिजों के लिए भूमि लीज पर दी है।

चूना पत्थर पर 80 रुपये प्रति टन रॉयल्टी
हिमाचल की सरकारी और गैर सरकारी सीमेंट मांग 25 लाख टन सालाना है। सरकार चूने के पत्थर पर 80 रुपये प्रति टन कंपनियों से रायल्टी लेती रही है। सीमेंट में उपयोग होने वाले शिल्ल पर 60 रुपये प्रतिटन रायल्टी वसूलती है। दोनों का उपयोग सीमेंट बनाने में कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

चारों सीमेंट कंपनियों की उत्पादन क्षमता 
1. मैसर्ज गुजरात अंबुजा यूनिट एक सुली 2.6 मिलियन टन क्लींकर प्रति वर्ष (एमटीपीए) 1.6 एमटीपीए 1.6 और यूनिट दो रौउरी 2.6 एमटीपीए क्लींकर और 1.5 एमटीपीए सीमेंट।
2. मैसर्ज एसीसी यूनिट एक गगल 1.5 एमटीपीए क्लींकर और 2.0 एमपीटीए सीमेंट और यूनिट दो गगल 1.8 एमपीटीए क्लींकर और 2.8 एमपीटीए सीमेंट उत्पादन की क्षमता।
3. मैसर्ज सीसीआई राजबन पांवटा 0.2 एमपीटीए क्लिंकर और 0.26 एमपीटीए सीमेंट उत्पादन करता है।
4, मैसर्ज अल्ट्राटेक विंग दो यूनिट एक बागा 2.97  एमटीपीए क्लींकर और 2.54 एमपीटीए सीमेंट तैयार कर रही है। बघेरी की ग्राइंडिंग  यूनिट में 1.75 एमपीटीए सीमेंट उत्पादन होता है।
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 कितनी भूमि लीज पर दी
1, अंबुजा को 488.08 हेक्टेयर भूमि
2.  एसीसी को 231.25 हेक्टेयर जमीन
3. सीसीआई को 172.30 हेक्टेयर जमीन
4. मैसर्ज अल्ट्राटेक को 331.4240 हेक्टेयर जमीन

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