हिमाचल हाईकोर्ट ने भूमिहीनों के छोटे कब्जों को नियमित करने के लिए नीति फाइनल करने के सरकार को आदेश दिए हैं। कोर्ट ने अपने आदेशों में कहा कि भूमिहीन और छोटे किसानों को कब्जा की गई सरकारी भूमि से बेदखल करने के बजाय उनके कब्जों को नियमित करने बाबत सरकार के ड्राफ्ट रूल्स को 31 मार्च, 2019 तक अंतिम रूप दिया जाए।
अगर कब्जे वाली जमीन सड़क के किनारे है तो व्यक्तिगत हित के बजाय जनहित को ही प्राथमिकता दी जाए। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने वीरवार को सरकारी भूमि पर अतिक्रमण से संबंधित मामलों का निपटारा करते हुए उपरोक्त आदेश पारित किए।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जिन लोगों के पास पहले से ही अपनी जमीन है और इसके बावजूद उन्होंने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर रखा है, उन लोगों को इस पॉलिसी का लाभ न दिया जाए।
अगर इस तरह का पॉलिसी डिसीजन कानून को तोड़ने वालों के लिए संरक्षण का जरिया बनता है तो कोर्ट इस ड्राफ्ट रूल्स को रद्द करने की सरकार को छूट भी देता है। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार की यह नीति वन संरक्षण अधिनियम 1980 के खिलाफ न हो।
हिमाचल हाईकोर्ट ने भूमिहीनों के छोटे कब्जों को नियमित करने के लिए नीति फाइनल करने के सरकार को आदेश दिए हैं। कोर्ट ने अपने आदेशों में कहा कि भूमिहीन और छोटे किसानों को कब्जा की गई सरकारी भूमि से बेदखल करने के बजाय उनके कब्जों को नियमित करने बाबत सरकार के ड्राफ्ट रूल्स को 31 मार्च, 2019 तक अंतिम रूप दिया जाए।
अगर कब्जे वाली जमीन सड़क के किनारे है तो व्यक्तिगत हित के बजाय जनहित को ही प्राथमिकता दी जाए। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने वीरवार को सरकारी भूमि पर अतिक्रमण से संबंधित मामलों का निपटारा करते हुए उपरोक्त आदेश पारित किए।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जिन लोगों के पास पहले से ही अपनी जमीन है और इसके बावजूद उन्होंने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर रखा है, उन लोगों को इस पॉलिसी का लाभ न दिया जाए।
अगर इस तरह का पॉलिसी डिसीजन कानून को तोड़ने वालों के लिए संरक्षण का जरिया बनता है तो कोर्ट इस ड्राफ्ट रूल्स को रद्द करने की सरकार को छूट भी देता है। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार की यह नीति वन संरक्षण अधिनियम 1980 के खिलाफ न हो।