देश सहित प्रदेश के मशरूम उत्पादकों को खुंब अनुसंधान निदेशालय (डीएमआर) सोलन ने एडवाइजरी जारी की है। इसमें बटन मशरूम को लगने वाले गीला बुलबुला रोग से निपटने की हिदायत दी गई है। हालांकि पुराने मशरूम उत्पादकों को इस रोग के बारे में जानकारी होती है, लेकिन नए उत्पादकों को जानकारी न होने पर नुकसान झेलना पड़ता है। इस रोग से मशरूम सिकुड़कर खराब हो जाती है। वहीं अन्य स्वस्थ मशरूम को भी खराब कर देती है।
इसमें कई उत्पादकों की पूरी फसल इस रोग के कारण नष्ट हो चुकी है। मशरूम में इस रोग के लगने के बाद मशरूम का आकार लड्डू की तरह गोल हो जाता है, जिससे मशरूम का तना सहित कैप भी तैयार नहीं होती और मशरूम से भूरे रंग का पानी निकलना शुरू हो जाता है। इसकी शिकायतें रोजाना देश के कई राज्यों से खुंब निदेशालय सोलन को मिल रही है। वहीं यहां के विशेषज्ञ उत्पादकों को इससे बचाव सहित रोकथाम की जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, यूपी, बिहार, हिमाचल सहित अन्य राज्यों से मशरूम उत्पादक इस रोग से निदान की जानकारी ले रहे हैं। यह रोग मशरूम फार्म में साफ-सफाई की उचित व्यवस्था न होना, फार्म के अंदर उचित वेंटिलेशन और मशरूम खाद में बीज डालने के बाद की जाने वाली कैसिंग से भी होता है, यदि कैसिंग को अच्छी तरह से रोगमुुक्त न किया हो। इस रोग से निपटने के लिए सफाई का विशेष ध्यान देना चाहिए। वहीं गीला बबुला रोग से संक्रमित मशरूम को उखाड़कर उसके स्थान पर चुटकी भर नमक डालना चाहिए, जिससे यह रोग दूसरी फसल तक न पहुंच सके।
रोजाना उत्पादकों को दी जा रही जानकारी : डॉ. शर्मा
खुंब अनुसंधान निदेशालय केंद्र सोलन के निदेशक डॉ. वीपी शर्मा ने कहा कि बटन मशरूम में गीला बुलबुला रोग से निपटने के लिए विशेषज्ञ उत्पादकों को जानकारी दे रहे हैं। देशभर से मशरूम से संबंधी विभिन्न बीमारी को लेकर उत्पादकों की समस्याएं और शिकायतें पहुंच रही हैं। नए मशरूम उत्पादकों को इसमें सबसे अधिक नुकसान झेलना पड़ता है, क्योंकि उन्हें समय रहते इस बीमारी का पता नहीं चलता। उन्होंने कहा कि वह विशेषज्ञ से इस बीमारी के बारे में जानकारी ले सकते हैं। ऑनलाइन वीडियो के माध्यम से भी उत्पादकों को जागरूक किया जा रहा है।
विस्तार
देश सहित प्रदेश के मशरूम उत्पादकों को खुंब अनुसंधान निदेशालय (डीएमआर) सोलन ने एडवाइजरी जारी की है। इसमें बटन मशरूम को लगने वाले गीला बुलबुला रोग से निपटने की हिदायत दी गई है। हालांकि पुराने मशरूम उत्पादकों को इस रोग के बारे में जानकारी होती है, लेकिन नए उत्पादकों को जानकारी न होने पर नुकसान झेलना पड़ता है। इस रोग से मशरूम सिकुड़कर खराब हो जाती है। वहीं अन्य स्वस्थ मशरूम को भी खराब कर देती है।
इसमें कई उत्पादकों की पूरी फसल इस रोग के कारण नष्ट हो चुकी है। मशरूम में इस रोग के लगने के बाद मशरूम का आकार लड्डू की तरह गोल हो जाता है, जिससे मशरूम का तना सहित कैप भी तैयार नहीं होती और मशरूम से भूरे रंग का पानी निकलना शुरू हो जाता है। इसकी शिकायतें रोजाना देश के कई राज्यों से खुंब निदेशालय सोलन को मिल रही है। वहीं यहां के विशेषज्ञ उत्पादकों को इससे बचाव सहित रोकथाम की जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, यूपी, बिहार, हिमाचल सहित अन्य राज्यों से मशरूम उत्पादक इस रोग से निदान की जानकारी ले रहे हैं। यह रोग मशरूम फार्म में साफ-सफाई की उचित व्यवस्था न होना, फार्म के अंदर उचित वेंटिलेशन और मशरूम खाद में बीज डालने के बाद की जाने वाली कैसिंग से भी होता है, यदि कैसिंग को अच्छी तरह से रोगमुुक्त न किया हो। इस रोग से निपटने के लिए सफाई का विशेष ध्यान देना चाहिए। वहीं गीला बबुला रोग से संक्रमित मशरूम को उखाड़कर उसके स्थान पर चुटकी भर नमक डालना चाहिए, जिससे यह रोग दूसरी फसल तक न पहुंच सके।
रोजाना उत्पादकों को दी जा रही जानकारी : डॉ. शर्मा
खुंब अनुसंधान निदेशालय केंद्र सोलन के निदेशक डॉ. वीपी शर्मा ने कहा कि बटन मशरूम में गीला बुलबुला रोग से निपटने के लिए विशेषज्ञ उत्पादकों को जानकारी दे रहे हैं। देशभर से मशरूम से संबंधी विभिन्न बीमारी को लेकर उत्पादकों की समस्याएं और शिकायतें पहुंच रही हैं। नए मशरूम उत्पादकों को इसमें सबसे अधिक नुकसान झेलना पड़ता है, क्योंकि उन्हें समय रहते इस बीमारी का पता नहीं चलता। उन्होंने कहा कि वह विशेषज्ञ से इस बीमारी के बारे में जानकारी ले सकते हैं। ऑनलाइन वीडियो के माध्यम से भी उत्पादकों को जागरूक किया जा रहा है।