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18 lakh new SUV Purchased for education minister amid Coronavirus crisis
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कोरोना संकट के बीच शिक्षा मंत्री के लिए खरीद ली 18 लाख की नई एसयूवी
अनिमेष कौशल, अमर उजाला, शिमला
Published by: Krishan Singh
Updated Tue, 27 Oct 2020 05:00 AM IST
कोरोना संकट के बीच आर्थिक संकट से गुजर रही प्रदेश सरकार के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर के लिए 18 लाख रुपये की नई एसयूवी खरीद ली गई है। उच्च शिक्षा निदेशालय ने मंत्री के सुगम सफर के लिए अपने बजट से टाटा हैरियर गाड़ी की खरीद की है। शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर के पास पहले से ही एक सरकारी फॉर्चूनर और एक इनोवा गाड़ी है।
सुरेश भारद्वाज के शिक्षा मंत्री रहते हुए कैबिनेट से नई गाड़ी की खरीद की मंजूरी ली गई थी लेकिन कोरोना के कारण सुुरेश भारद्वाज ने गाड़ी की खरीद नहीं की। अब विभाग बदलने के बाद उच्च शिक्षा निदेशालय ने नई गाड़ी खरीद ली है। आर्थिक कमी के चलते प्रदेश सरकार को हर माह करोड़ों रुपये का कर्ज लेना पड़ रहा है। बीते सप्ताह ही सरकार ने एक हजार करोड़ का कर्ज लेने की प्रक्रिया शुरू की है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर लगातार खर्चों को कम करने की अपील करते आ रहे हैं।
इसी बीच शिक्षा निदेशालय की ओर से की गई एसयूवी की खरीद सवालों के घेरे में आ गई है। विभागीय अधिकारियों का तर्क है कि इनोवा गाड़ी पुरानी हो गई है। राज्य मंत्रिमंडल के समक्ष इसको लेकर प्रस्ताव भेजा गया था। सरकार ने इनोवा क्रिसटा को खरीदने के लिए मंजूरी दी थी। पूर्व शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज के समय गाड़ी की खरीद नहीं हुई। अब इनोवा गाड़ी की हालत काफी खराब होने पर टाटा हैरियर को खरीदा गया है। विभागीय अधिकारियों का यह भी कहना है कि टाटा हैरियर की कीमत इनोवा क्रिसटा से कम है।
शिक्षा बोर्ड ने बिना मंजूरी खरीदी थी 35 लाख की फॉर्चूनर
अप्रैल 2018 में स्कूल शिक्षा बोर्ड की अफसरशाही को फॉर्चूनर की सवारी का इतना अधिक शौक था कि गाड़ी को खरीदने से पहले सरकार से मंजूरी लेना भी जरूरी नहीं समझा था। करीब 35 लाख की फॉर्चूनर खरीदने के बाद बोर्ड के अफसरों के ठाठ यहीं पर खत्म नहीं हुए थे।
लक्जरी गाड़ी खरीदने के बाद अफसरों ने करीब डेढ़ लाख रुपये खर्च कर वीआईपी नंबर भी लिया था। मामला राज्य सचिवालय पहुंचने के बाद तत्कालीन शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने जांच बैठाते हुए उस फॉर्चूनर को अपने बेड़े में शामिल कर लिया था। बोर्ड को नया अध्यक्ष मिलने के बाद वो फॉर्चूनर वापस धर्मशाला भेजी गई।
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