हथिनीकुंड बैराज से रविवार को छोड़े गए 8.28 लाख क्यूसेक पानी ने सोमवार से ही पश्चिमी यूपी के कई जिलों में तबाही मचानी शुरू कर दी। इस समय यमुना नदी उफान पर है और खतरे के निशान से डेढ़ मीटर ऊपर पहुंच गई। जबरदस्त बहाव से कई तटवर्ती गांवों में कटान हुआ। सुरक्षा के लिए बनाए गए तटबंध टूटने से खेत जलमग्न हो गए। किसानों की सैकड़ों बीघा फसल तबाह हो गई। यमुना का यह रौद्र रूप देख कर लोग दहशत में हैं।
पानी की मात्रा और बहाव इतना अधिक था कि कई तटवर्ती गांवों में कटान होने लगा। सुरक्षा के लिए बनाए गए तटबंध टूट गए तो पानी यमुना किनारे किसानों के खेतों में घुसना शुरू हो गया। यूपी के शामली में गांव नाईनंगला में 2013 में जबरदस्त कटान की वजह से नुकसान हुआ था।
यहां पर सिंचाई विभाग ने यमुना किनारे पहले ही तटबंध बना दिया था। बावजूद इसके कटान के बाद पानी आसपास के खेतों में घुस गया और कई किसानों की फसलें जलमग्न हो गईं। इसके अलावा शाहलापुर, मुस्तफाबाद, लक्ष्मीपुरा और भड़ी गांवों में भी यमुना का पानी खेतों में घुसने से सैकड़ों बीघा फसल जलमग्न हो गई। चौतरा और कलरी गांव में भी काफी नुकसान है।
कैराना क्षेत्र के मामौर गांव में भी यमुना के पानी से कटान हुआ। यहां बनाया गया तटबंध क्षतिग्रस्त हो गया और पानी खेतों में घुस गया। ट्रेनेज विभाग की टीम मौके पर पहुंची और ग्रामीणों की मदद से टूटे तटबंध को ठीक किया।
मवी गांव में भी किसानों के खेतों में पानी भर गया था। ज्वार, धान, ईख की फसल नष्ट हो गई। गांव रामड़ा में किसानों की ज्वार, मिर्च, गोभी की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। गांव मामौर में धान, मवी में मिर्च और अमरुद के बाग भी जलमग्न हो गए।
यमुना के पानी में बह गए किसानों के सपने
यमुना के उफान से किसानों की मेहनत पानी में बह गई है। यमुना के पानी से ईख, ज्वार के अलावा हरी मिर्च, गोभी की फसलों के साथ अमरूद के बाग भी बर्बाद हो गए। किसान परेशान हैं कि क्या करें।
कैराना क्षेत्र में हैदपुर तटबंध के पास यमुना का पानी मवी के किसान छोटन के हरी मिर्च के खेत में घुस गया। जैसे तैसे बची फसल को किसान ने समेटा। छोटन के अनुसार 20 बीघा जमीन में ईख और मिर्च की फसल बो रखी थी। साथ ही अमरूद का बाग भी था। मगर, यमुना का पानी आने के कारण सब तबाह हो गया। उसने करीब दो लाख से अधिक का नुकसान बताया।
श्याम लाल निवासी हैदपुर ने भी धान, सब्जी और ईख की फसल बो रखी थी। उसने तीन लाख का नुकसान बताया है। रामड़ा निवासी किसान इरफान, लियाकत, रियासत, मेहरदीन अपनी गोभी की डूबी हुई फसल के पास बैठे थे। किसानों ने बताया कि 2013 की बाढ़ में भी उन्हें काफी नुकसान हुआ था। इस बार भी उनकी सारी मेहनत और पैसा बर्बाद हो गया।
एसडीएम ने किया दौरा
यमुना में बढ़ते जलस्तर के चलते एसडीएम ऊन सुरेंद्र सिंह चाहल ने कलरी और चौतरा आदि कई गांवों का दौरा कर व्यवस्थाएं देखी। इसके अलावा मंगलौरा, बिड़ौली और साल्हापुर यमुना के तटबंध चेक किए।
राजस्व विभाग व सिंचाई विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को भी बाढ़ चौकियों पर मुस्तैद रहकर प्रभावित गांवों बचाव कार्य में लगने के निर्देश दिए। नायब तहसीलदार प्रवीण कुमार, राजस्व निरीक्षक अमरीश शर्मा, क्षेत्रीय लेखपाल श्यामवीर, चौकी प्रभारी बिड़ौली देवेंद्र शर्मा मौजूद रहे।