शहीद अजय कुमार के अंतिम संस्कार पर बड़ा बखेड़ा हो गया। अंत्येष्टि स्थल पर जूते पहनकर पहुंचे भाजपाइयों का लोगों ने विरोध कर दिया और उनके ही जूते उछाल दिए। हालत यह हुई कि मंत्री और सांसद को नंगे पैर ही लौटना पड़ा। नेताओं के प्रति लोगों में जबरदस्त गुस्सा था। नेताओं को लोगों ने खूब खरीखोटी भी सुनाई।
पतला गांव स्थित आईटीआई कॉलेज के मैदान में शहीद अजय का अंतिम संस्कार हुआ। इसके लिए पुलिस-प्रशासन ने इंतजाम किया हुआ था। शहीद की चिता के चारों तरफ 10-10 फीट दूरी पर रस्सी बांधी थी, ताकि लोगों की भीड़ अंदर न घुस पाए। डीएम अनिल ढींगरा, डीआईजी अखिलेश कुमार, मेरठ के प्रभारी मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, मंत्री सत्यपाल सिंह, सांसद राजेंद्र अग्रवाल, सांसद कांता कर्दम, विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल, दिनेश खटीक, जितेंद्र सतवाई, सतवीर त्यागी, संगीत सोम और पूर्व विधायक अमित अग्रवाल समेत अन्य नेता श्रद्धांजलि देने अंदर पहुंचे।
सभी नेता जूते पहने हुए थे, तभी रस्सी के बाहर खड़े लोगों ने नारेबाजी शुरू कर दी। माहौल गर्माया तो नेता जमीन पर बैठ गए। इसी दौरान चार-पांच युवकों ने शोर मचाया कि नेता जूते पहनकर अंतिम संस्कार में अंदर कैसे आ गए। इसको लेकर हल्ला होने लगा। मामला तूल पकड़ने लगा। तभी तीन युवक अंदर घुसे और नेताओं के जूते उतरवाने की जिद करने लगे। नेताओं ने अपने-अपने जूते उतारकर पीछे रखे। तभी रस्सी से बाहर खड़े लोगों ने नेताओं के जूते ही उछालने शुरू कर दिए।
हाथ जोड़कर कहता हूं, जूते उतार दो
अंतिम संस्कार में जबरन जूते उतारने के लिए एक युवक मंत्री सत्यपाल सिंह से उलझ गया। युवक बोला कि मंत्री जी हाथ जोड़कर कहता हूं कि जूते उतार दो। अन्यथा ठीक नहीं होगा। मंत्री जूते उतारने को तैयार नहीं थे। मंत्री भी हाथ जोड़कर बोले कि भई मैं भी हाथ जोड़ रहा हूं। लेकिन युवक अड़ा हुआ था। मंत्री और युवक में बहस हो गई। इससे पहले माहौल खराब होता कि मंत्री के पास बैठे एक नेता ने मंत्री के पैर से जूते उतार दिए। इसको लेकर वहां पर काफी बखेड़ा हुआ।
घबराए हुए बैठे रहे नेता
लोगों में नेताओं के प्रति जबरदस्त गुस्सा था। अंतिम संस्कार के दौरान भी नेताओं के साथ बदसलूकी होगी, ये अंदेशा बना हुआ था। पुलिस, सेना के जवान शहीद अजय का अंतिम संस्कार कराने में लगे थे। जबकि कुछ लोगों के निशाने पर नेता थे। नेता घबराए थे कि कहीं उनके साथ कोई हाथापाई न हो जाए। कई नेताओं ने पुलिस अधिकारियों से इसकी शिकायत भी की। हालांकि पब्लिक ज्यादा थी, पुलिस भी बेबस थी। नेताओं की सुरक्षा का भी पुलिस ध्यान रखे थी।