किसी इंसान के मरने के बाद उसकी याद में स्मारक बनाए जाने के बारे में आपने सुना होगा, लेकिन उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में देश का एकमात्र ऐसा स्मारक है, जो हाथियों की याद में बनाया गया है। यह स्मारक को उन हाथियों की याद में बनाया गया है, जो मानवीय क्रूरता का शिकार हो गए। स्मारक में लगे पत्थरों पर उन हाथियों के नाम और जानकारी अंकित है, जिनकी संरक्षण केंद्र में उपचार के दौरान मौत हो गई थी।
दिल्ली-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक छोटा सा गांव है चुरमुरा। गांव की तो कोई खास पहचान नहीं है, लेकिन वाइल्डलाइफ एसओएस द्वारा हाथी संरक्षण केंद्र बना देने के कारण यह गांव देश-विदेश में जाना जाता है। राष्ट्रीय राजमार्ग से एक किलोमीटर उत्तर में स्थित संरक्षण केंद्र में वर्तमान में 24 हाथी हैं। जिनकी देखरेख की जाती है।
वाइल्डलाइफ एसओएस द्वारा संचालित इस संरक्षण केंद्र में देश का पहला हाथी स्मारक भी बना हुआ है। यहां रेस्क्यू कर लाए कुछ हाथियों की मौत हो गई थी। जिसके बाद संस्था ने उनकी याद में हाथी स्मारक बनवाने का फैसला लिया। यहां बीते साल ही सीता, लाखी, लूना, मोहन, चंपा की याद में हाथी स्मारक बनवाया गया। स्मारक में पांच शिलाखंड लगे हैं, जिन पर इन हाथियों के नाम और जानकारी अंकित है।
बीमार हाथियों के इलाज के लिए अस्पताल भी यहां मौजूद
वाइल्डलाइफ एसओएस ने फरह ब्लॉक के चुरमुरा गांव में हाथी संरक्षण केंद्र की स्थापना 2010 में की थी। बीमार या घायल हाथियों के उपचार के लिए यहां हाथी अस्पताल भी बना हुआ है। संस्था के सह-संस्थापक कार्तिक नारायण बताते हैं कि हाथियों के बीमार होने पर उनके उपचार को लेकर परेशानियों का सामना करना पड़ता था। इसे देखते हुए यहां हाथी अस्पताल खोला गया। यह देश का पहला हाथी अस्पताल है। इसमें दो डॉक्टर और अन्य स्टाफ हर समय हाथियों की देखरेख में मौजूद रहते हैं।
इन जगहों से कराए हाथी मुक्त
हाथी संरक्षण केंद्र के इंचार्ज नरेश बताते हैं कि देश के कोने-कोने में वन विभाग के साथ वाइल्डलाइफ एसओएस पीड़ित और गैर कानूनी रूप से बंधक हाथियों को मुक्त कराने का अभियान चलाता है। वो बताते हैं कि पुणे, आंध्र, तमिलनाडु आदि स्थानों से अभी तक कई हाथियों को मुक्त कराया गया है। इनमें पांच हाथियों की मौत हो गई थी। उनकी याद में यहां हाथी स्मारक बना हुआ है। यह देश का एकमात्र हाथी स्मारक है।