लखनऊ पुलिस का इतिहास कई रोमांचक किस्सों और जांबाजी से भरा हुआ है। यहां के कई पुलिस अफसर अपने काम से सुर्खियों में रहे और नागरिकों का विश्वास जीता। इस कॉलम में हम आपको ऐसे ही ‘अलग बात’ वाले वर्दी वालों से परिचित कराते हैं। दो दशक पहले लखनऊ परिक्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक रहे शैलजाकांत मिश्र की ईमानदारी अपराधियों के प्रति सख्ती को लोग आज भी याद करते हैं।
दो दशक पहले लखनऊ परिक्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक रहे 1977 बैच के आईपीएस अफसर शैलजाकांत मिश्र ने माफियाओं के नकेल करने के साथ टॉप-10 अपराधियों की सूची बनवाकर धरपकड़ शुरू कराई। ईमानदारी के लिए चर्चित शैलजाकांत के कड़े तेवर से अपराध जगत में खलबली मच गई। अपराधियों से साठगांठ और भ्रष्टाचार में लिप्त पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करके राजधानी ही नहीं आसपास के जिलों में भयमुक्त माहौल बनाया।
अपराधियों की धरपकड़ कराने के साथ उन्होंने गोमती की सफाई का बीड़ा उठाया। वर्ष 1999 में डीआईजी शैलजाकांत मिश्र की पहल पर सफाई अभियान शुरू हुआ। गंदे नाले के रूप में तब्दील होती जा रही गोमती खिल उठी।
राजनेता और बड़े अफसर भी उनकी ईमानदारी के कायल थे। वर्ष 2007 में प्रदेश में बसपा सरकार के गठन पर तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने शैलजाकांत मिश्र के नेतृत्व में टीम गठित करके पुलिस भर्ती घोटाले की जांच कराई। उनकी जांच रिपोर्ट पर 15 से अधिक आईपीएस अफसरों समेत अनेक लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए।
भर्ती घोटाले का पर्दाफाश करने के साथ शैलजाकांत मिश्र ने पुलिस भर्ती में पारदर्शिता की वकालत की। इस पर पुलिस भर्ती बोर्ड का गठन हुआ और भर्ती में भ्रष्टाचार दूर करने की कवायद शुरू हुई।