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'जस्टिस फॉर हाथरस': यूपी में दंगे के दौरान किन बातों का ध्यान रखना है इसकी दी जा रही थी जानकारी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, लखनऊ Published by: ishwar ashish Updated Tue, 06 Oct 2020 06:17 PM IST
conspiracy of spreding riots with the help of hanthras kand exposed.
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यूपी के हाथरस में युवती के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के बाद प्रदेश में जातीय दंगे फैलाने की साजिश रची जा रही थी। पुलिस का दावा है कि हाथरस कांड के बाद 'जस्टिस फॉर हाथरस' नामक वेबसाइट बनाई गई। जिसके जरिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के फर्जी बयान फोटो लगाकर प्रसारित किए गए। वेबसाइट के कंटेंट को सोशल मीडिया और वाट्स अप के जरिए प्रमोट कर दंगों के लिए माहौल बनाने की कोशिश की गई।

पुलिस ने वेबसाइट की लोकेशन से जुड़ी जगहों पर छापेमारी की। हालांकि, पुलिस की सक्रियता के बाद वेबसाइट को डिएक्टिवेट कर दिया गया। यूपी डीजीपी ने मामले को गंभीरता से लेते साइबर क्राइम और एसआईटी से जांच करवाने की बात कही है। वेबसाइट पर हिंसा भड़काने के दौरान पहनावे और बचाव को लेकर पूरी जानकारी दी गई थी। जिसमें कहा गया था कि ब्रांडेड कपड़े न पहनें। महिलाएं बाल खुले न रखें। ज्वैलरी न पहनें और हिंसा के दौरान ढीले कपड़े पहनें।
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पुलिस का दावा है कि प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुए दंगों की तरह जातीय दंगे फैलाने की कोशिश की जा रही थी। मामले पर हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज करवाई गई है।

राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने कहा कि पॉपुलर फ्रंट फॉर इंडिया (पीएफआई) समेत कुछ अन्य संगठन माहौल बिगाड़ने की लगातार साजिश कर रहे हैं। इसके लिए वेबसाइट पर स्क्रीनशॉट में ब्रेकिंग न्यूज लिखकर मुख्यमंत्री की तस्वीर के साथ उनका फर्जी बयान जारी किया गया था।
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प्रदेश के डीजीपी हितेश चन्द्र अवस्थी ने बताया कि इस तरह की वेबसाइट के बारे में जानकारी हुई है। जिसे भारत के बाहर से संचालित किया जा रहा था। इसमें न सिर्फ भड़काऊ सामग्री थी बल्कि प्रदर्शन के दौरान पुलिस की कार्रवाई से बचाव के तरीके भी बताए गए हैं। वहीं, इस वेबसाइट पर पीड़िता के परिवार को मदद के बहाने दंगों के लिए फंडिंग की जा रही थी।
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फंडिंग की बदौलत अफवाहें फैलाने के लिए मीडिया और सोशल मीडिया के दुरूपयोग को लेकर भी जानकारी मिली है। इस मामले में हाथरस पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। इतना ही नहीं वेबसाइट पर मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए फेक न्यूज, फोटोशॉप से तैयार की गई तस्वीरों, अफवाहों, एडिटेड विजुअल का किस तरह इस्तेमाल किया जाय, ये भी जानकारी दी गयी है।
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दावा ये भी किया जा रहा है कि नफरत फैलाने के लिए दंगों के मास्टर माइंड ने कुछ मीडिया संस्थानों और सोशल मीडिया के महत्वपूर्ण अकाउंटों का इस्तेमाल किया है। डीजीपी ने बताया कि इस मामले की जांच कराई जा रही है। जरूरत हुई तो ये पूरी जांच एसटीएफ या साइबर क्राइम से कराई जाएगी।
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