वैवाहिक रस्में और परंपराएं किसी ने नहीं बदलीं। बदला है तो रस्में निभाने और परंपराओं को अपनाने का तरीका। भरपूर फैशन व ग्लैमर का तड़का लगाकर पहले से कहीं ज्यादा उत्साह के साथ वैवाहिक परंपराएं निभाई जा रही हैं। शादियों के बदलते ट्रेंड के बीच ये देखना और सुनना बेहद सुखद है कि समारोहों की भव्यता के पीछे मकसद अपनी अमीरी या शान-ओ-शौकत को दिखाना नहीं बल्कि जिनसे वर्षों नहीं मिले, उनसे भी शादी के बहाने मुलाकात करना है। एक साथ परिवार के साथ वक्त बिताने का बहाना भर है। आइए जानते हैं शादियों के बदलते ट्रेंड के साथ परंपराएं किस तरह से फल-फूल रही हैं:
रोका के बाद साल भर तक आयोजन
गोवा के बीच पर बैचलर्स पार्टी करके लौटे एक भावी वर-वधू ने बताया कि बैचलर्स पार्टी का ट्रेंड है। हम भी इसे फॉलो कर रहे हैं। मम्मी-पापा की इजाजत से हम जाते हैं। दरअसल ये मौका है एक-दूसरे को जानने और समझने का। जिंदगी में खुशियां जितनी भी मिलें बटोर लेनी चाहिए। काम से इतर कुछ पहल अपने और परिवार के लिए भी जरूरी है।
रोका के बाद साल भर तक आयोजन
गोवा के बीच पर बैचलर्स पार्टी करके लौटे एक भावी वर-वधू ने बताया कि बैचलर्स पार्टी का ट्रेंड है। हम भी इसे फॉलो कर रहे हैं। मम्मी-पापा की इजाजत से हम जाते हैं। दरअसल ये मौका है एक-दूसरे को जानने और समझने का। जिंदगी में खुशियां जितनी भी मिलें बटोर लेनी चाहिए। काम से इतर कुछ पहल अपने और परिवार के लिए भी जरूरी है।