अनंतनाग जिले में कश्मीरी पंडित सरपंच अजय पंडिता की हत्या के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा है कि इस वारदात के पीछे आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का हाथ है। गौरतलब है कि कुछ समय पहले बने नए आतंकी संगठन द रिजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने अजय पंडिता की हत्या की जिम्मेदारी ली थी। पुलिस महानिदेशक ने अमर उजाला से बातचीत में कहा कि दो दिन पहले अनंतनाग जिले में आतंकियों ने सरपंच अजय पंडिता की गोली मारकर हत्या कर दी थी इसे हिजबुल के आतंकियों ने जनता में खौफ पैदा करने के लिए अंजाम दिया है।

उन्होंने कहा कि दरअसल, पिछले पांच दिन में जो तीन मुठभेड़ हुई हैं, उनमें मारे गए सभी 14 आतंकी हिजबुल के ही थे। मुठभेड़ में लगातार मारे जाने से आतंकी संगठन में हताशा बढ़ गई है और इसके चलते ही आतंकी संगठन ने अजय की हत्या की है। पिछले एक महीने में आतंकियों ने आम लोगों में दहशत पैदा करने के लिए ही घाटी में पांच से छह नागरिकों को निशाना बनाया है।

आपसी तालमेल से निपटेंगे ऐसी घटनाओं से
दिलबाग सिंह ने कहा कि इन वारदातों को पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के आकाओं के इशारे पर अंजाम दिया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर पुलिस अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ तालमेल बनाकर ऐसी घटनाओं से निपटने में सक्षम हैं।
दिलबाग सिंह ने कहा कि इन वारदातों को पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के आकाओं के इशारे पर अंजाम दिया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर पुलिस अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ तालमेल बनाकर ऐसी घटनाओं से निपटने में सक्षम हैं।

सरपंच की हत्या करने वालों ने अमानवीय होने का सुबूत दिया है। किसी जनप्रतिनिधि पर हमला लोकतांत्रिक व्यवस्था पर हमला है। आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन को इसके निर्देश दिए गए हैं। - गिरीश चंद्र मुर्मू, उप राज्यपाल, जम्मू-कश्मीर

बता दें कि सरपंच अजय पंडिता 1996 में कश्मीर लौटे थे। कश्मीर में रहते हुए वह सेब और बादाम के बाग को पुनर्जीवित करने में जुटे थे। अजय के एक रिश्तेदार ने बताया कि एक बार उनके बाग के सभी पेड़ काट दिए गए थे। इसके बाद से वह घाटी में काफी समय गुजारने लगे थे। वहीं स्थानीय लोगाें ने उनकी नेतृत्व क्षमता को देखते हुए उन्हें सरपंच चुना था।
यह भी पढ़ेंः कश्मीरी पंडितों के जख्मों को हरा कर गई अजय की हत्या, फिर याद आया नादिमर्ग और नब्बे का नरसंहार
यह भी पढ़ेंः कश्मीरी पंडितों के जख्मों को हरा कर गई अजय की हत्या, फिर याद आया नादिमर्ग और नब्बे का नरसंहार