पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर तनाव के बीच सीमावर्ती क्षेत्र में सड़क और संचार परियोजनाओं में दस हजार श्रमिक लगातार काम में जुटे हैं। खास बात है कि इनमें से कई श्रमिक तो कोरोना महामारी के दौरान भी घर नहीं लौटे। वे बॉर्डर रोड से जुड़े काम में जुटे हुए हैं।
सामरिक महत्व की ज्यादातर परियोजनाएं उच्च पर्वतीय क्षेत्र में चल रही हैं। यहां ऑक्सीजन की कमी रहती है और मौसम रूखा होने की वजह से किसी को भी जल्दी थका देता है। ऐसे हालात में ये श्रमिक इन दिनों में भी लगातार जुटे हुए हैं। इन्हें बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन(बीआरओ) की सबसे बड़ी ताकत माना जाता है।
दरअसल लद्दाख में बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन के ज्यादातर कार्यों में झारखंड के श्रमिकों की सबसे ज्यादा मांग है। हाल ही में झारखंड के श्रमिकों को हजाराें की तादाद में बुलाया गया है।
बीआरओ के एक अधिकारी ने बताया कि यह श्रमिक अनुबंध के आधार पर काम करते हैं। अग्रिम इलाकों में तनाव की खबरों के बीच यह श्रमिक लगातार काम में जुटे हुए हैं। इनकी भूमिका खास महत्व रखती है।