घना जंगल, बरसाती नाले, विशालकाय चट्टानें और छोटी-छोटी गुफाएं। मेंढर तहसील के भाटादूड़ियां इलाके में आतंकियाें के खिलाफ ऑपरेशन में ये भौगोलिक परिस्थितियां बड़ी अड़चन बनी हुई हैं। संवाददाता ने मुठभेड़ स्थल के ग्राउंड जीरो का जायजा लिया तो ऑपरेशन के लंबा खिंचने की वजहें सामने आ गईं। जंगल में पेड़ और झाड़ियां इतनी घनी हैं कि हाथ को हाथ भी न सूझे। आधा दर्जन नाले हैं, जिसके किनारों पर बड़ी-बड़ी चट्टानें हैं। इन चट्टानों के नीचे छोटी-छोटी गुफाएं बनी हैं, जिसके भीतर एक साथ कई आतंकी छिप सकते हैं। ऐसे में छिपे हुए आतंकियों को न तो देख पाना मुमकिन हो पा रहा है और ना ही गोलाबारी से बड़ा नुकसान पहुंचाना संभव हो पा रहा है। यही वजह है कि चारों ओर से घेराबंदी के बावजूद अभी तक एक भी आतंकी के मारे जाने की सूचना नहीं है। सैन्य सूत्रों ने आतंकियों की मौजूदगी का तो पता लगा लिया है लेकिन वे किस चट्टान या गुफा की आड़ लेकर छिपे हैं, इसका अंदाज नहीं लग पा रहा है।