आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष 2022 में शुरू हुआ तो तय हुआ था कि जिले के संसदीय क्षेत्र की 75-75 ग्राम पंचायतों में अमृत सरोवर का निर्माण कराकर स्वतंत्रता दिवस पर वहीं ध्वजारोहण होगा। नतीजा यह हुआ कि अमृत सरोवर निर्माण की रफ्तार ध्वजारोहण तक ही सीमित रह गई। इसके बाद जिम्मेदारों ने सरोकार रखना बंद कर दिया। काम ने ऐसी सुस्ती पकड़ी कि अभी तक सिर्फ 244 अमृत सरोवर ही बनकर तैयार हो सके, जबकि अगस्त 2023 तक सभी 1294 ग्राम पंचायतों में निर्माण का लक्ष्य है।
जिन सरोवरों का निर्माण कार्य पूरा बताया जा रहा है, धरातल पर उसकी भी हालत बहुत खराब है। ज्यादातर सरोवर सूखे पड़े हैं तो कई में नाली का गंदा पानी गिर रहा है। कुछ में जमा कीचड़, इनकी खूबसूरती के दावों का सच बयां कर रहा है।
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विश्व जल संरक्षण दिवस के मौके पर अमर उजाला की पड़ताल में यह सामने आया कि पिछले स्वतंत्रता दिवस तक तालाब से तेज ध्वजारोहण के लिए चबूतरे का निर्माण हुआ। जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों ने राष्ट्रध्वज फहराया और फिर सरोवर के काम की रफ्तार घटती चली गई। कुछ पंचायतों में निर्माण कार्य पूरा मिला, मगर ज्यादातर जगहों पर तालाब को आकार देकर छोड़ दिया गया है। ज्यादातर तालाबों का पक्का निर्माण बाकी है तो किसी पंचायत में मनरेगा और राज्य वित्त में बजट का रोना रोया जा रहा है।
जिन सरोवरों का निर्माण कार्य पूरा बताया जा रहा है, धरातल पर उसकी भी हालत बहुत खराब है। ज्यादातर सरोवर सूखे पड़े हैं तो कई में नाली का गंदा पानी गिर रहा है। कुछ में जमा कीचड़, इनकी खूबसूरती के दावों का सच बयां कर रहा है।
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