कोरोना से जंग जीत चुके हैं तो भी बेफिक्र न हों। इसके वायरस का म्यूटेशन एक बार संक्रमित होकर ठीक हो चुके लोगों को दोबारा संक्रमित कर रहा है। दिल्ली, मुंबई और तेलंगाना के बाद जिले में भी ऐसे मरीज मिले हैं जिनको दोबारा संक्रमण हुआ है। विशेषज्ञों ने इस पर चिंता जताई है। इस पर बीआरडी मेडिकल कॉलेज का माइक्रोबायोलॉजी विभाग होल जीनोम सिक्वेंसी के तहत शोध करेगा। शोध में यह देखा जाएगा कि दोबारा संक्रमण की वजह क्या रही? ठीक होने के बाद एंटीबॉडी कितने दिनों तक शरीर में रही है? साथ ही ऐसे मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता का भी आंकलन किया जाएगा।
कोरोना संक्रमण के आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इसकी वजह से विभाग की चिंता लगातार बढ़ रही है। उस पर मरीजों का दोबारा संक्रमण होना विभाग के लिए और बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है। मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अमरेश सिंह ने बताया कि कोविड से ठीक हुए लोगों में दोबारा संक्रमण पाया गया है। ऐसे मरीजों की संख्या अब तक आठ से 10 के बीच है। बताया कि ऐसे लोगों में बाहरी वायरस से संक्रमण नहीं हुआ है बल्कि उनके शरीर में मौजूद वायरस फिर से खुद को बढ़ा रहा है। इसे चिकित्सा विज्ञान में बाउंसिंग बैक कहते हैं।
उन्होंने बताया कि होल जीनोम सिक्वेंसी के तहत इस पर शोध किया जाएगा। तभी इस बात की जानकारी मिल पाएगी कि आखिर वायरस दोबारा कहां से पनपा। इसके लिए मरीजों की एंटीबॉडी भी चेक होगी। पता लगाया जाएगा कि आखिर उनके शरीर में एंटीबॉडी कितने दिनों तक विकसित रही है। क्योंकि आमतौर पर एक व्यक्ति के अंदर संक्रमण के बाद कम से 40 से 50 दिनों तक एंटीबॉडी विकसित रहती है। ऐसी स्थिति में अगर दूसरी बार व्यक्ति संक्रमित हो रहा है, तो बेहद चिंता की बात है।
प्रतिरोक्षक क्षमता भी बन सकता है बड़ा कारण
डॉ. अमरेश सिंह बताते हैं कि व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कोरोना वायरस से हमेशा के लिए लड़ने के लिए तैयार नहीं हो पाती। ऐसी स्थिति में प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने पर वायरस दूसरी बार भी हमला कर देता है। दोबारा संक्रमित हुए मरीजों में इस बात का पता लगाया जाएगा कि आखिर उनकी प्रतिरोधक क्षमता स्वस्थ होने के समय क्या थी और दोबारा संक्रमित होने पर उनके शरीर पर क्या असर पड़ा?
हर आयु वर्ग के लोग हुए दोबारा संक्रमित
डॉ. अमरेश सिंह ने बताया कि दोबारा संक्रमण का शिकार केवल बुजुर्ग ही नहीं हुए हैं। बल्कि हर आयु वर्ग के लोग इसमें शामिल हैं। 25 से 30 साल के युवा से लेकर 45 से 55 साल के अधेड़ और 60 साल से ऊपर के बुजुर्ग दूसरी बार संक्रमित हुए हैं। ऐसे में लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है।