गोरखपुर जिले के खोराबार इलाके में नर्स आकृति दुबे के घर के बाहर गोली लगने से मृत प्रॉपर्टी डीलर बलराम यादव की मौत की गुत्थी पुलिस को तीन महीने में सुलझानी होगी। परिवार की ओर से हाईकोर्ट में दायर प्रार्थनापत्र पर यह आदेश सुनाया गया है। बलराम के भाई सिकंदर ने आदेश की कॉपी डीआईजी, एसएसपी और एसपी क्राइम को भेजकर इससे अवगत कराया है। करीब चार महीने से विवेचना क्राइम ब्रांच में लंबित पड़ी है।
जानकारी के मुताबिक, खोराबार के मदरहवा टोला निवासी बलराम यादव की 23 नवंबर 2019 की रात रामनगर कड़जहां में गोली लगने से मौत हो गई थी। उसका शव गांव में रहने वाली नर्स आकृति दुबे के घर के गेट पर मिला था। बताया जाता है कि उसकी मौत एकतरफा मोहब्बत में हुई थी।
घटना वाली रात नौ बजे के आसपास आकृति दुबे ने ही बलराम के घर फोन कर उनकी मौत होने की सूचना दी थी। उस समय आकृति और उसकी मां शालिनी दुबे ने बलराम यादव के गोली मारकर खुदकुशी करने का दावा किया और फरार हो गई थीं।
पुलिस ने केस दर्ज कर जांच की और मामला खुदकुशी का बताया था। लेकिन बाद में हैंडवाश की फोरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद यह साफ हो गया कि उसने गोली खुद से नहीं मारी थी। इसके बाद से ही मामला क्राइम ब्रांच को चला गया।
पुलिस की सुस्त विवेचना को देखते हुए ही बलराम के भाई सिकंदर ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर न्याय की गुहार लगाई। याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने एसएसपी को अपनी निगरानी में मामले की जांच कराने और तीन माह के अंदर आख्या प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।