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Suman Kalyanpur: जब सुमन कल्याणपुर से छीन लिया गया था 'ऐसे मेरे वतन के लोगों', आज तक स्पष्ट नहीं वजह

एंटरटेनमेंट डेस्क, अमर उजाला Published by: ज्योति राघव Updated Sat, 28 Jan 2023 11:43 AM IST
Suman Kalyanpur Birthday: Know About Singer Life Career Popular songs and UnKnown facts
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मशहूर गायिका सुमन कल्याणपुर आज अपना जन्मदिन मना रही हैं। उन्होंने कई सुपरहिट गानों को अपनी सुरीली आवाज से सजाया है। इनमें 'ना तुम जानों न हम', 'दिल गम से जल रहा है', 'मेरे संग गा', 'मेरे महबूब न जा', 'जो हम पे गुजरती है', 'बहना ने भाई की कलाई में' आदि गाने शामिल हैं। सुमन कल्याणपुर की आवाज लता मंगेशकर से काफी ज्यादा मिलती है। कई बार उनके चाहने वालों के लिए भी दोनों की आवाज में फर्क कर पाना मुश्किल होता है। दिलचस्प बात यह है कि लता मंगेशकर की आवाज से सजा गाना 'ए मेरे वतन के लोगों' पहले सुमन कल्याणपुर गाने वाली थीं। इस बारे में खुद गायिका ने खुलासा किया था।
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सुमन कल्याणपुर का जन्म 28 जनवरी 1937 को ढाका में (उस वक्त भारत का हिस्सा था में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के बड़े बाबू शंकर राव हेमाड़ी के यहां उनकी पहली संतान के रूप में हुआ। शंकर बाबू और उनकी पत्नी सीता ने अपनी बेटी का नाम सुमन रखा। सुमन के अलावा शंकर बाबू के यहां पांच संतानें और हुईं। बच्चों की बेहतर पढ़ाई-लिखाई का सपना संजोकर शंकर बाबू परिवार के साथ 1943 में मुंबई) चले आए। सुमन का रुझान बचपन से ही पेंटिंग और संगीत की तरफ था। उन्होंने ग्रेजुएशन भी आर्ट्स में की। सुमन पेंटर बनना चाहती थीं, लेकिन उनके पिता के दोस्त पंडित केशव राव को उनकी सुरीली आवाज की परख हो गई थी। उन्होंने सुमन के पिता से सुमन को संगीत सिखाने की बात कही। इस तरह सुमन ने संगीत का अभ्यास शुरू किया।
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सुमन कल्याणपुर पहले तो शौकिया रूप में ही संगीत सीख रहीं थीं, लेकिन समय के साथ-साथ उनकी रुचि बढ़ने लगी। सुमन ने अपने गुरु यशवंत देव से बाकायदा संगीत सीखा। उन्होंने ही मराठी फिल्म 'शुक्राची चांदनी' में पहली बार गाने का मौका दिया। मगर, यह फिल्म में शामिल नहीं हुआ। लेकिन, संगीतकार मोहम्मद शफी ने सुमन को फिल्म 'मंगू' (1954) में गाने के अवसर दिए। उस वक्त सुमन की उम्र महज 17 साल थी। हालांकि, हालात ऐसे बने कि सुमन का सिर्फ एक गीत फिल्म में रखा-'कोई पुकारे धीरे से तुझे'। इसी साल संगीतकार नौशाद के निर्देशन में फिल्म 'दरवाजा' में सुमन को पांच गीत गाने का मौका मिला, जिसके बाद सुमन ने इंडस्ट्री में मजबूती से अपने पैर जमाए। हालांकि, 'ए मेरे वतन के लोगों' न गा पाने का आज भी उन्हें मलाल है।
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एक बार एक एक बातचीत के दौरान सुमन कल्याणपुर ने खुद 'ए मेरे वतन के लोगो' गीत को लेकर बड़ा खुलासा किया था। उन्होंने बताया था कि 'पंडित जवारहलाल नेहरू के सामने यह गीत गाने के लिए मुझे बुलाया गया था, रिहर्सल भी हुई थी, लेकिन मंच के पास पहुंचते ही मुझे इस गाने की बजाय दूसरा गाना गाने के लिए कहा गया।' कल्याणपुर ने यह भी कहा कि इस बात का अब तक पता नही लगा कि आखिर यह गाना उनसे क्यों छीना गया? गायिका ने कहा था, 'पंडित नेहरू के सामने 'ए मेरे वतन के लोगो' गीत गाने का मौका मिला तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। लेकिन जब कार्यक्रम के दौरान गाना गाने के लिए मंच के पास पहुंची तो मुझे रोका गया और कहा गया कि वे इस गाने की बजाय दूसरा गाना गाएं। यह गाना मुझसे छीन लिया गया था, यह मेरे लिए बड़ा सदमा था। वह बात आज भी चुभती है।' बता दें कि हाल ही में सुमन कल्याणपुर को कला क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म अवॉर्ड दिए जाने की घोषणा की गई है।  
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