कोरोना के कहर से पूरा विश्व थम गया है। देश के शहरों व गांवों की सड़कें और गलियां सुनी पड़ी हैं। इसी बीच ट्राइसिटी की फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूर और भूखे प्यासे दिहाड़ीदार सैकड़ों किलोमीटर चलने के लिए बेबस हैं। उनके पास घर में बैठकर कोरोना वायरस से जंग जीतने के लिए कोई विकल्प नहीं है। उनकी जेब में न तो पैसे हैं और न ही खाने के लिए घर में राशन। हां एक बात जरूर है कि कोरोना, संक्रमण और मौत के काउंटडाउन के बीच अपने भविष्य को लेकर वे फिक्रमंद जरूर हैं। पंजाब और हरियाणा के बार्डर से सैकड़ों मजदूर अपने गांव-शहरों की तरफ निकल गए हैं। किसी को 100 तो किसी को 2000 किलोमीटर चलना है, रोजी रोटी का संकट सिर पर है। नंगे पैर, भूखे प्यासे समूहों में ये लोग निकल पड़े हैं। इस आस में पूरे दिन-रात इसलिए चले जा रहे हैं कि किसी तरह वे अपने घर पहुंच जाएं।