समाजवादी पार्टी ने गठबंधन में शामिल दलों को सिर्फ 55 सीटें दी हैं। वह 348 सीट पर अपने सिंबल पर प्रत्याशी उतारे हैं। सपा के ही सिंबल पर गठबंधन में शामिल कई दलों के नेता भी चुनाव मैदान में हैं। इस रणनीति को चुनाव के बाद की सियासी तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है।
समाजवादी पार्टी के साथ कई दलों ने गठबंधन किया है। इसमें राष्ट्रीय लोकदल, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी, महान दल, राष्ट्रीय जनवादी पार्टी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, अपना दल (कमेरावादी), गोंडवाना पार्टी सहित अन्य दल शामिल हैं। कई अन्य दलों ने बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा की है। समाजवादी पार्टी के टिकट वितरण के दौरान तरह- तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। सपा की ओर से भी करीब 100 सीटें गठबंधन में देने की बात कही गई थी, लेकिन स्थिति एकदम अलग है। सपा के रणनीतिकारों की मानें तो गठबंधन के वक्त इस बात की पुख्ता तैयारी की गई थी कि चुनाव में जनादेश मिले तो सरकार बनाते वक्त किसी तरह की समस्या न आ आए।
यही वजह है कि सहयोगी दलों को सिर्फ 55 सीटें दी गई हैं। इसमें राष्ट्रीय लोकदल 33, सुभासपा 18 और अपना दल (कमेरावादी) को चार सीटें दी गई हैं। इतना जरूर है अपना दल (कमेरावादी) की डा. पल्लवी पटेल साइकिल चुनाव चिन्ह पर मैदान में हैं। इसी तरह प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव जसवंतनगर, महान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशवदेव मौर्य की पत्नी सुमन फर्रुखाबाद एवं बेटा चंद्र प्रकाश बिल्सी, राष्ट्रीय जनवादी पार्टी के उपाध्यक्ष हसीब हसन उतरौला से साइकिल चुनाव चिन्ह पर मैदान में उतरे हैं।
चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद साइकिल चुनाव चिन्ह पर विजेता बनने वाले दल छोड़ने की मंशा जाहिर करेंगे तो उन्हें दल बदल कानून का सामना करना पड़ेगा। पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि गठबंधन के दौरान इस बात की पुख्ता तैयारी की गई थी कि दूसरे दलों के साथ न आने पर भी किसी तरह की समस्या ना हो। फिलहाल देखना यह होगा कि सपा की यह रणनति कितना कारगर होती है।
हर वर्ग को सहभागिता
समाजवादी पार्टी ने 348 सीटों के टिकट वितरण में हर वर्ग की सहभागिता का भी ध्यान रखा है। पार्टी ने अपने कोटे की सीटों में सर्वाधिक 53 उम्मीदवार मुस्लिम उतारे हैं। यादवों की संख्या 45, ठाकुर 20 और ब्राह्मणों की 21 है। इसी तरह 70 दलित उम्मीदवार भी हैं। तीन कायस्थ भी मैदान में हैं। अन्य सीटों पर पटेल, कुशवाहा, मौर्य, लोध सहित अन्य पिछले वर्ग की जातियों को चुनाव मैदान में उतारा है। तीन सिख समुदाय के भी उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।
सपा को कब कितना वोट मिला
1- 12वीं विधानसभा चुनाव 1993 में 17.94 फीसदी।
2- 13 वें विधान सभा चुनाव 1996 में सपा को 21.80 फीसदी वोट मिला।
3- 14वीं विधानसभा चुनाव 2002 में सपा को 25.37 फीसदी वोट मिला।
4- 15वीं विधानसभा चुनाव 2007 में सपा को 25.43 फीसदी
5- 16वीं विधानसभा चुनाव 2012 में सपा 29.13 फीसदी।
6- 17वीं विधान सभा चुनाव 2017 में सपा को 21.82 फीसदी ।
विस्तार
समाजवादी पार्टी ने गठबंधन में शामिल दलों को सिर्फ 55 सीटें दी हैं। वह 348 सीट पर अपने सिंबल पर प्रत्याशी उतारे हैं। सपा के ही सिंबल पर गठबंधन में शामिल कई दलों के नेता भी चुनाव मैदान में हैं। इस रणनीति को चुनाव के बाद की सियासी तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है।
समाजवादी पार्टी के साथ कई दलों ने गठबंधन किया है। इसमें राष्ट्रीय लोकदल, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी, महान दल, राष्ट्रीय जनवादी पार्टी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, अपना दल (कमेरावादी), गोंडवाना पार्टी सहित अन्य दल शामिल हैं। कई अन्य दलों ने बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा की है। समाजवादी पार्टी के टिकट वितरण के दौरान तरह- तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। सपा की ओर से भी करीब 100 सीटें गठबंधन में देने की बात कही गई थी, लेकिन स्थिति एकदम अलग है। सपा के रणनीतिकारों की मानें तो गठबंधन के वक्त इस बात की पुख्ता तैयारी की गई थी कि चुनाव में जनादेश मिले तो सरकार बनाते वक्त किसी तरह की समस्या न आ आए।
यही वजह है कि सहयोगी दलों को सिर्फ 55 सीटें दी गई हैं। इसमें राष्ट्रीय लोकदल 33, सुभासपा 18 और अपना दल (कमेरावादी) को चार सीटें दी गई हैं। इतना जरूर है अपना दल (कमेरावादी) की डा. पल्लवी पटेल साइकिल चुनाव चिन्ह पर मैदान में हैं। इसी तरह प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव जसवंतनगर, महान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशवदेव मौर्य की पत्नी सुमन फर्रुखाबाद एवं बेटा चंद्र प्रकाश बिल्सी, राष्ट्रीय जनवादी पार्टी के उपाध्यक्ष हसीब हसन उतरौला से साइकिल चुनाव चिन्ह पर मैदान में उतरे हैं।
चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद साइकिल चुनाव चिन्ह पर विजेता बनने वाले दल छोड़ने की मंशा जाहिर करेंगे तो उन्हें दल बदल कानून का सामना करना पड़ेगा। पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि गठबंधन के दौरान इस बात की पुख्ता तैयारी की गई थी कि दूसरे दलों के साथ न आने पर भी किसी तरह की समस्या ना हो। फिलहाल देखना यह होगा कि सपा की यह रणनति कितना कारगर होती है।
हर वर्ग को सहभागिता
समाजवादी पार्टी ने 348 सीटों के टिकट वितरण में हर वर्ग की सहभागिता का भी ध्यान रखा है। पार्टी ने अपने कोटे की सीटों में सर्वाधिक 53 उम्मीदवार मुस्लिम उतारे हैं। यादवों की संख्या 45, ठाकुर 20 और ब्राह्मणों की 21 है। इसी तरह 70 दलित उम्मीदवार भी हैं। तीन कायस्थ भी मैदान में हैं। अन्य सीटों पर पटेल, कुशवाहा, मौर्य, लोध सहित अन्य पिछले वर्ग की जातियों को चुनाव मैदान में उतारा है। तीन सिख समुदाय के भी उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।
सपा को कब कितना वोट मिला
1- 12वीं विधानसभा चुनाव 1993 में 17.94 फीसदी।
2- 13 वें विधान सभा चुनाव 1996 में सपा को 21.80 फीसदी वोट मिला।
3- 14वीं विधानसभा चुनाव 2002 में सपा को 25.37 फीसदी वोट मिला।
4- 15वीं विधानसभा चुनाव 2007 में सपा को 25.43 फीसदी
5- 16वीं विधानसभा चुनाव 2012 में सपा 29.13 फीसदी।
6- 17वीं विधान सभा चुनाव 2017 में सपा को 21.82 फीसदी ।