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यूपी निकाय चुनाव : दुबारा रैपिड सर्वे कराने को लेकर नगर निकाय पशोपेश में

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, लखनऊ Published by: पंकज श्रीवास्‍तव Updated Mon, 13 Mar 2023 01:25 PM IST
सार

पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट में सबसे अधिक खामियां रैपिड सर्वे को लेकर गिनाईं गई है। साथ ही उन्हें दूर करके ही चुनाव कराने की संस्तुति भी की गई है। रिपोर्ट में खास तौर पर पिछड़ों की आबादी की गिनती में बरती गई गड़बड़ियों का अधिक जिक्र है।

UP civic elections: Municipal bodies in the process of conducting rapid survey again
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विस्तार

निकाय चुनाव में पिछड़ों के लिए आरक्षण तय करने के लिए गठित पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट में रैपिड सर्वे पर उठाए गए सवालों से नगर निकाय पेशोपेश में पड़ गए हैं। उनकी दुविधा यह है कि अगर आयोग की रिपोर्ट के आधार पर दुबारा रैपिड सर्वे कराया गया और दुबारा सर्वे के आंकड़े पहले सर्वे के आंकड़े से भिन्न हुए तो निकायों की कलई खुल जाएगी।



दरअसल, पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट में सबसे अधिक खामियां रैपिड सर्वे को लेकर गिनाईं गई है। साथ ही उन्हें दूर करके ही चुनाव कराने की संस्तुति भी की गई है। रिपोर्ट में खास तौर पर पिछड़ों की आबादी की गिनती में बरती गई गड़बड़ियों का अधिक जिक्र है। आयोग ने यह भी आशंका जताई है कि जिस तरह से पिछड़ों के आंकड़ों में अंतर देखने को मिला है, उससे भी स्पष्ट है कि कई निकायों में बिना आधार के आकड़ों में फेरबदल किया गया है।


रिपोर्ट में आयोग ने यह भी माना है कि कई निकायों के वार्डों की सीमा पूवर्वत रहने के बाद भी रैपिड सर्वे में पिछड़े वर्ग की आबादी में काफी कमी दिखाई गई है। जबकि 2011 की जनगणना के बाद पिछड़ों की आबादी में काफी बढ़ोत्तरी ही हुई है। ऐसे में इस श्रेणी की आबादी कम कैसे हो गई है।

उधर इस तरह की खामियों को दूर करने के आयोग के सुझाव को देखते हुए नगर विकास विभाग के अधिकारी यह माना जा रहा है कि दुबारा रैपिड सर्वे कराए बिना इन खामियों को दूर नहीं किया जा सकता है। वहीं, अधिकारियों का यब भी सोचना है कि अगर दुबारा सर्वे कराने पर आंकड़ों में अंतर आया तो निकाय के अधिकारियों द्वारा आबादी की गिनती में गड़बड़ी किए जाने की शिकायतों की पुष्टि हो जाएगी।

जिला और निकाय अधिकारियों की फंसेगी गर्दन
दरअसल डीएम की देखरेख में रैपिड सर्वे नगर निकाय के अधिकारी करते हैं। इसके लिए गणना करने वालों के अलावा पर्यवेक्षकों की भी नियुक्ति की जाती है। वहीं, डीएम द्वारा नामित प्रभारी अधिकारी की हरी झंडी के बाद ही ओबीसी की गणना को अंतिम रूप दिया जाता है और वार्डवार आबादी का आंकड़ा जारी किया जाता है। ऐसे में अगर दोबारा रैपिड सर्वे होता है और आंकड़ों में बदलाव होते हैं तो सर्वे प्रक्रिया में शामिल सभी अधिकारियों व कर्मचारियों की गर्दन फंसेगी।

दुबारा रैपिड सर्वे हुआ तो देर से शुरू होगी चुनाव प्रक्रिया
निकाय चुनाव की प्रक्रिया से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अगर दुबारा रैपिड सर्वे कराने का फैसला लिया जाता है तो चुनाव की प्रक्रिया 15-20 दिन टल सकती है। निकायवार रैपिड सर्वे के लिए टीम बनाने से लेकर सर्वे कराने के लिए कम से कम 20-25 दिन का समय लगेगा। इसके बाद आपत्तियों के निस्तारण के लिए भी एक सप्ताह का समय दिया जाएगा। वहीं, अभी तो सरकार सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करेगी। उसपर सुनवाई के बाद कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद ही दुबारा सर्वे कराने को लेकर फैसला किया जाएगा। ऐसे में अप्रैल तक चुनाव प्रक्रिया पूरी करना आसान नहीं होगा।
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