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मोदी सरकार के समर्थन में आईं मायावती: कहा- राष्ट्रपति से संसद भवन का उद्घाटन न कराने पर बहिष्कार अनुचित

अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ Published by: ishwar ashish Updated Thu, 25 May 2023 07:31 PM IST
सार

बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि नए संसद भवन का उद्धाटन राष्ट्रपति से न कराए जाने के मुद्दे पर विपक्ष का कार्यक्रम का बहिष्कार करना अनुचित है।

New parliament house inaugration programme boycott by opposition is not appropriate says Mayawati.
बसपा सुप्रीमो मायावती। - फोटो : amar ujala

विस्तार
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संसद भवन के नए भवन के उद्घाटन को लेकर चल रही उठापटक में बसपा सुप्रीमो मायावती केंद्र सरकार के पक्ष में खड़ी हो गई हैं। उन्होंने कहा है कि इस कार्यक्रम का बहिष्कार अनुचित है। चूंकि सरकार ने इसे बनवाया है तो इसका उद्घाटन करने का अधिकार भी सरकार को ही है। हालांकि उन्होंने साफ किया कि पार्टी की बैठकों में व्यस्तता होने के कारण वह इस समारोह में शामिल नहीं हो पाएंगी।



दरअसल, 28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन होना है। कांग्रेस, राजद, सपा, जदयू, तृणमूल कांग्रेस, रालोदआदि ने इस समारोह का बहिष्कार कर दिया है। कहा है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दरकिनार कर खुद उद्घाटन करने का पीएम का निर्णय राष्ट्रपति का अपमान है। यह लोकतंत्र पर हमला भी है। इस मामले को लेकर बसपा प्रमुख मायावती ने केंद्र सरकार के इस निर्णय के पक्ष में ट्वीट किया है।


उन्होंने कहा है कि चाहे कांग्रेस की सरकार रही हो या भाजपा की, बसपा ने देश एवं जनहित मुद्दों पर हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर उनका समर्थन किया है । 28 मई को संसद के नए भवन के उद्घाटन को भी पार्टी इसी संदर्भ में देखते हुए इसका स्वागत करती है। राष्ट्रपति मुर्मू से इसका उद्घाटन नहीं कराए जाने को लेकर बहिष्कार अनुचित है। इसको आदिवासी महिला सम्मान से जोड़ना भी अनुचित है। यह इन पार्टियों को उन्हें निर्विरोध न चुनकर उनके विरुद्ध उम्मीदवार खड़ा करते वक्त सोचना चाहिए था। चूंकि इस भवन को सरकार ने बनवाया है तो इसके उद्घाटन का अधिकार भी उसे ही है। उन्होंने कहा है कि इस कार्यक्रम का निमंत्रण उन्हें (मायावती को) भी मिला है पर बैठकों में व्यस्तता होने के कारण वह उसमें शामिल नहीं हो पाएंगी। इसके लिए उन्होंने आभार जताया और शुभकामनाएं दी हैं।

 
 
 

महाराष्ट्र में बसपा को मजबूत करने पर मंथन
बसपा प्रमुख मायावती ने लखनऊ में महाराष्ट्र स्टेट यूनिट के पदाधिकारियों की बैठक लेते हुए कहा कि महाराष्ट्र में पार्टी संगठन को अब उठ खड़े होना चाहिए। महाराष्ट्र डा. भीमराव आंबेडकर की कर्मभूमि रही है। वहां तो बसपा को राजनीति का बैलेंस ऑफ पावर हो जाना चाहिए था। चूंकि वहां एससी, एसटी और ओबीसी समाज के लोगों की बड़ी संख्या है। 48 लोकसभा एवं 288 विधानसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में दलितों का जीवन अब भी शोषित एवं उपेक्षित है। ऐसे में पार्टी को वहां विशेष लगन के साथ तैयारी करने की जरूरत है। वहां सरकार और विपक्ष के बीच तथा आपसी गठबंधनों के बीच भी उठापटक और वैमनस्य है। इससे आम जन हित प्रभावित हो रहा है। उन्होंने वहां के कई पदाधिकारियों के कार्यक्षेत्र में परिवर्तन करते हुए नई जिम्मेदारियां दी गई।



 

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