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दिलकुशा में हादसा : पांच झोपड़ियों में रहते थे मजदूर, 300 रुपये मिलती थी दिहाड़ी

सुधांशु सक्सेना/नीरज ‘अम्बुज’, अमर उजाला, लखनऊ Published by: पंकज श्रीवास्‍तव Updated Sat, 17 Sep 2022 02:02 AM IST
सार

लखनऊ कैंट इलाके के दिलकुशां में सेना के आफिसर्स कालोनी गौर इंक्लेव की दीवार तीन दिन से हो रही बारिश में भरभराकर गिर गई। दीवार के मलबे में दबकर दो परिवार के नौ लोगों की मौत हो गई। सभी वहीं निर्माणाधीन दीवार के मजदूरी करते थे। हादसा तड़के करीब तीन बजे हुआ।

लखनऊ में हादसा
लखनऊ में हादसा - फोटो : अमर उजाला

विस्तार

कैंट के दिलकुशा स्थित सेना के गौर इंक्लेव की बाउंड्रीवाल गिरने से नौ लोगों की मौत पर सेना ने अपनी शोक संवेदनायें व्यक्त की हैं। हालांकि यह पूरा मामला स्थानीय पुलिस का बताते हुये सेना ने घटना से पल्ला झाड़ लिया है।



मध्य कमान के जनसंपर्क अधिकारी शांतनु शर्मा के मुताबिक यह निर्माण कार्य सुल्तान खान नामक ठेकेदार द्वारा कराया जा रहा था। ठेकेदार ने सेना के अधिकारियों को जानकारी दिये बिना झुग्गियों का निर्माण करवाया था। इन्हीं झुग्गियों में मजदूर रह रहे थे। यह झुग्गियां सेना की भूमि से बाहर बनी थीं। इसलिये इसे सेना की भूमि पर अतिक्रमण नहीं माना जायेगा।


उन्होंने बताया कि इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि यह मजदूर रेलवे लाइन के निर्माण में लगे थे या नहीं। भारी बारिश और जलभराव के कारण ही यह दीवार गिरी है। उन्होंने बताया कि इस पूरे मामले की विवेचना स्थानीय पुलिस अधिकारियों द्वारा की जा रही है। यह सेना के अधिकार क्षेत्र के बाहर का मामला है।

...इसलिए हुआ हादसा
गौर कॉन्क्लेव में डेढ़ सौ से अधिक सैन्य अफसर रहते हैं। इनके आवास दीवार से कुछ दूरी पर हैं। दीवार और आवास के बीच मिट्टी-जंगल है। दूसरी ओर भी जंगल है। गुरुवार को भारी बारिश के चलते मिट्टी पोली हो गई और दीवार गिरने से हादसा हो गया। दीवार की नींव काफी गहरी थी।

कंटीले तार में फंसे थे हाथ

लखनऊ में हादसा
लखनऊ में हादसा - फोटो : अमर उजाला
रेस्क्यू के दौरान दीवार पर लगे कंटीले तारों ने भी मुश्किलें बढ़ाईं। एसडीआरएफ की टीम ने खासी मशक्कत कर दीवार के नीचे दबे सभी लोगों को बाहर निकाला। कंटीले तार में मजदूर के हाथ भी फंसे मिले। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि मजदूर ने बचने की कोशिश की होगी, पर कंटीले तारों ने कोशिशों पर पानी फेर दिया।

पांच झोपड़ियों में रहते थे मजदूर, 300 रुपये मिलती थी दिहाड़ी
हादसे में घायल 20 वर्षीय राघवेंद्र ने बताया कि घटनास्थल पर कुल पांच झोपड़ियों में सभी मजदूर अशपने परिवार के साथ रहते थे। उसकी झोपड़ी दीवार से कुछ दूरी पर थी, इसलिये वह बच गया। जिनकी झोपड़ी दीवार से सटी हुई थी, उसमें से अधिकतर मजदूरों व उनके बच्चों की मौत हो गई। राघवेंद्र ने बताया कि पूरा दिन मेहनत करने के बाद 300 रुपये दिहाड़ी मिलती थी। इसी से गुजारा होता था। ठेकेदार के कहने पर ही ऐसे झोपड़ी बनाकर रह रहे थे।

हादसा एक नजर में
- रात 12 से 2 बजे के बीच गिरी गौर एन्क्लेव की दीवार
- रात 4.30 बजे एसडीआरएफ को मिली सूचना
- सुबह 5 बजे पहुंची एसडीआरएफ की टीम व पुलिस
- सुबह 5.15 बजे शुरू हुआ रेस्क्यू
- सुबह 7.30 बजे तक चला रेस्क्यू, नौ शव निकाले 

बारिश में दब गईं मजदूरों की चीखें

लखनऊ में हादसा
लखनऊ में हादसा - फोटो : अमर उजाला
बच्चों के खिलौने टूटकर बिखरे पड़े थे तो बर्तन, साइकिल मलबे में दबकर कबाड़ हो गए थे। कपड़े, कथरी, तिरपाल फटे-नुचे हाल में थे। राशन ईंटों के नीचे दबा था। बारिश व कीचड़ के बीच तबाह हुई गृहस्थी के यही निशां बाकी थे। दीवार के नीचे दबे मजदूरों की उन चीखों को महसूस किया जा सकता था, जो बारिश में दबकर रह गईं और जिन्हें समय रहते मदद नहीं मिल सकी। दम तोड़ती बच्ची, उसकी मां व पिता की तस्वीर आंखों के सामने घूमती दिखी।
 

लखनऊ में हादसा
लखनऊ में हादसा - फोटो : अमर उजाला
बारिश के बीच ‘अमर उजाला’ की टीम घटनास्थल पर पहुंची, जहां मजदूरों की गृहस्थी बिखरी पड़ी थी। भारी बारिश के चलते गुरुवार आधी रात दिलकुशा में सैन्य अफसरों के गौर कॉन्क्लेव की 50 फीट की दीवार का एक हिस्सा गिर गया, जिसके नीचे मजदूर व उनके परिवारीजन दब गए।

 

लखनऊ में हादसा
लखनऊ में हादसा - फोटो : अमर उजाला
जब तक मदद मिलती, कइयों के दम टूट चुके थे। जो जिंदा बचे थे, उन्हें सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। हादसे में नौ लोगों की मौत हो गई, जिनमें तीन बच्चे थे। जानकारी अनुसार झांसी के रहने वाले मजदूर गौर कॉन्क्लेव की दीवार की मरम्मत के लिए ही वहां रुके हुए थे। उन्होंने दीवार से सटाकर प्लास्टिक के शेड, तिरपाल व बांस से घर बना रखे थे। कुछ झोपड़े दीवार से दूर सड़क के पार बने थे, जिनमें रहने वाले दुर्घटना से बच गए थे।
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