हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने पत्नी की दूसरी शादी की रंजिश में तीन की हत्या के जुर्म में सुनाई गई फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। कोर्ट ने कहा यह केस फांसी की सजा देने लायक नहीं है।
न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बीआर सिंह की खंडपीठ ने यह अहम नजीर वाला फैसला लखनऊ की सत्र अदालत से फांसी की सजा पाए बुद्धा की जेल से दायर अपील को आंशिक रूप से मंजूर कर सुनाया।
कोर्ट ने फैसले में कई विधि व्यवस्थाओं का हवाला देकर अपीलकर्ता को फांसी की सजा देने का केस नहीं पाया। हत्या के जुर्म में उसकी दोष सिद्धि बहाल करते हुए फांसी की सजा रद्द कर उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत ने कहा कि बुद्धा जेल में है, जो अपनी यह सजा भुगतेगा।
यह मामला लखनऊ के मलिहाबाद थानाक्षेत्र से संबंधित था। इसमें सत्र अदालत ने 24 जनवरी 2020 को बुद्धा को हत्या के जुर्म में फांसी की सजा सुनाई थी।
अभियोजन के अनुसार, वादी राकेश कुमार ने 12 दिसंबर 2009 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें बताया था कि उसके बहनोई ग्राम राजा खेड़ा, थाना माल के निवासी बुद्धा की शादी उसकी बहन से 10 साल पहले हुई थी।
लेकिन दंपती के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध नहीं था। इसलिए बहन की फिर शादी बाराबंकी के पंचराम से हुई थी। घटना के पहले वादी की बहन परिवार वालों से मिलने आई थी और लौट गई थी।
पत्नी की दूसरी शादी से क्षुब्ध बुद्धा की परिवार से दुश्मनी थी और वह 12 दिसंबर 2009 को रात 2 बजे दो साथियों के साथ घर में घुस गया।
उसने वादी की मां सुरसती, भतीजे सूरज को धारदार हथियार से मार डाला और भतीजी शिवांगी को गंभीर रूप से घायल कर दिया। इसकी बाद में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।
बुद्धा और उनके साथियों ने वादी के साथ मारपीट की और वहां से भाग गए थे। वादी राकेश घटना का चश्मदीद गवाह था।
हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने पत्नी की दूसरी शादी की रंजिश में तीन की हत्या के जुर्म में सुनाई गई फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। कोर्ट ने कहा यह केस फांसी की सजा देने लायक नहीं है।
न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बीआर सिंह की खंडपीठ ने यह अहम नजीर वाला फैसला लखनऊ की सत्र अदालत से फांसी की सजा पाए बुद्धा की जेल से दायर अपील को आंशिक रूप से मंजूर कर सुनाया।
कोर्ट ने फैसले में कई विधि व्यवस्थाओं का हवाला देकर अपीलकर्ता को फांसी की सजा देने का केस नहीं पाया। हत्या के जुर्म में उसकी दोष सिद्धि बहाल करते हुए फांसी की सजा रद्द कर उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत ने कहा कि बुद्धा जेल में है, जो अपनी यह सजा भुगतेगा।
यह मामला लखनऊ के मलिहाबाद थानाक्षेत्र से संबंधित था। इसमें सत्र अदालत ने 24 जनवरी 2020 को बुद्धा को हत्या के जुर्म में फांसी की सजा सुनाई थी।
अभियोजन के अनुसार, वादी राकेश कुमार ने 12 दिसंबर 2009 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें बताया था कि उसके बहनोई ग्राम राजा खेड़ा, थाना माल के निवासी बुद्धा की शादी उसकी बहन से 10 साल पहले हुई थी।
लेकिन दंपती के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध नहीं था। इसलिए बहन की फिर शादी बाराबंकी के पंचराम से हुई थी। घटना के पहले वादी की बहन परिवार वालों से मिलने आई थी और लौट गई थी।
पत्नी की दूसरी शादी से क्षुब्ध बुद्धा की परिवार से दुश्मनी थी और वह 12 दिसंबर 2009 को रात 2 बजे दो साथियों के साथ घर में घुस गया।
उसने वादी की मां सुरसती, भतीजे सूरज को धारदार हथियार से मार डाला और भतीजी शिवांगी को गंभीर रूप से घायल कर दिया। इसकी बाद में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।
बुद्धा और उनके साथियों ने वादी के साथ मारपीट की और वहां से भाग गए थे। वादी राकेश घटना का चश्मदीद गवाह था।