रतनूचक आर्मी स्टेशन में पकड़े गए दोनों संदिग्ध से पूछताछ में कई अहम खुलासे हुए हैं। आर्मी स्टेशनों की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करने की रणनीति हिमाचल प्रदेश के शिमला में बनाई गई थी। पकड़े गए दोनों आरोपी शिमला में ही एक दूसरे के संपर्क में आए थे। यहां दोनों के बीच आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के लिए काम करने की सहमति बनी। सेना ने डोडा के रहने वाले मुश्ताक और कठुआ के रहने वाले नदीम अख्तर को पकड़ा था।
मुश्ताक पेशे से ठेकेदार है। जो डोडा से कई मजदूरों को हिमाचल प्रदेश ले जाता था। यहां उसका संपर्क नदीम से हुआ था। उसने नदीम को हिजबुल के लिए काम करने के लिए तैयार किया। यहीं नहीं, मुश्ताक कई अन्य युवकों को भी हिजबुल के लिए काम करने के लिए तैयार कर रहा था। सूत्रों का कहना है कि मुश्ताक का एक चचेरा भाई शाहनवाज खान पीओके के कोटली में रहता है। वह कुछ साल पहले वहां चला गया था और आतंकी बन गया।
मुश्ताक की अपने भाई शाहनवाज से लगातार बात होती थी। मुश्ताक डोडा में ही ठेकेदारी का काम करता है। जो वहां से मजदूरों को दूसरे राज्यों में ले जाता है। कुछ महीने पहले मुश्ताक ने हिमाचल प्रदेश के शिमला में एक कंपनी के साथ बात की। वहां पर डोडा के कुछ मजदूरों को ले गया। वहीं पर मुश्ताक की नदीम अख्तर से मुलाकात की। नदीम भी वहां पर काम के सिलसिले में गया था। मुश्ताक ने नदीम के साथ बात सांझा की। बताया कि उसका एक भाई पीओके में है। यदि वह उसके लिए काम करे तो मोटी रकम मिलेगी। दोनों के बीच सहमति बन गई। दोनों हिजबुल के लिए काम करने लगे। मुश्ताक के खाते में हिजबुल की तरफ से पैसे जमा होते रहे। दोनों मिलकर आर्मी स्टेशनों की जानकारियां लेकर पीओके में भेजने लगे। सूत्रों का कहना है कि डोडा के कई अन्य युवक भी मुश्ताक के संपर्क में हैं। जिनको इसने बहला फुसला कर तैयार किया हुआ है।