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Kupwara: नियंत्रण रेखा पर रचा इतिहास, दशकों बाद माता शारदा की पंचलोह मूर्ति नवनिर्मित मंदिर में स्थापित

अमृतपाल सिंह बाली, श्रीनगर Published by: जम्मू और कश्मीर ब्यूरो Updated Thu, 23 Mar 2023 12:28 PM IST
सार

मंदिर खुलते ही कश्मीरी पंडितों की खुशी का ठिकाना नहीं था। नवनिर्मित शारदा मंदिर में मूर्ति की स्थापना के दृश्य देख वह भावुक हो उठे। कश्मीरी पंडित पिंटो ने कहा कि हमें खुशी है कि किशनगंगा नदी के किनारे हमारा मंदिर बना है।

Kupwara: after decades the Panchloh idol of Mata Sharda installed in the newly constructed temple
Kupwara Sharda Mata Temple - फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार
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दशकों बाद नियंत्रण रेखा पर स्थित माता शारदा के नवनिर्मित मंदिर में पंचलोह मूर्ति स्थापित होते ही इतिहास रच गया है। नवनिर्मित मंदिर का केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को एलजी मनोज सिन्हा के साथ वर्चुअली उद्घाटन किया है। मंदिर के खुलते ही लोग झूमते नजर आए। वहीं, उन्होंने पठाखों और फूलों की बारिश कर कश्मीरी पंडित समुदाय का स्वागत किया है। इस मौके पर गृहमंत्री ने कहा कि वह पीओजेके में स्थित असली मंदिर के लिए करतारपुर-कॉरिडोर की तर्ज पर विकास करने का प्रयास करेंगे।



बुधवार को फिर से मंदिर खुलते ही कश्मीरी पंडितों की खुशी का ठिकाना नहीं था। नवनिर्मित शारदा मंदिर में मूर्ति की स्थापना के दृश्य देख वह भावुक हो उठे। कश्मीरी पंडित पिंटो ने कहा कि हमें खुशी है कि किशनगंगा नदी के किनारे हमारा मंदिर बना है। स्थानीय लोगों ने काफी सहीयोग किया है। शारदा पीठ मुजफ्फराबाद में है और कोशिश कर रहे अगर माता ने चाहा तो वहां तक भी पहुंच जाएंगे। दुबई से आए मां के भक्त संदीप राव ने कहा कि मेरा सपना है कि शारदा देवी मंदिर पूजा करने का अवसर मिले। बुधवार को यह पूरा हो गया है।


सालों से हो रही कॉरिडोर की मांग

कश्मीरी पंडित वर्षों से धार्मिक तीर्थयात्रा के लिए करतारपुर जैसे कॉरिडोर की मांग कर रहे हैं। 76 साल बाद ऐसा है कि देवी शारदा का यह मंदिर इस ऐतिहासिक क्षेत्र में बनाया गया है। मूर्ति कर्नाटक के शृंगेरी मठ से एक नयी खरीदी गई कार में कई हफ्तों तक चली एक यात्रा के रूप में यहां पहुंचे गई। खास बात यह है कि यह मूर्ति पंचलोह की है।

स्थानीय लोगों ने पिछले साल ही लौटाई थी जमीन

जिस भूमि पर यह मंदिर बनाया गया है, उसे स्थानीय लोगों के सहयोग से वापस लिया गया था। इसमें धर्मशाला और एक गुरुद्वारा हुआ करता था। इन्हें 1947 में कबायलियों ने जला दिया गया था और विभाजन के बाद 1948 में शारदा पीठ की तीर्थ यात्रा बंद कर दी गई थी। पिछले साल स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोगों ने धर्मशाला की जमीन कश्मीरी पंडितों को लौटाई थी और सेव शारदा सीमिति कश्मीर के सदस्यों ने जिला प्रशासन और स्थानीय लोगों की मदद से यहां एक गुरुद्वारा, शारदा मंदिर और एक मस्जिद का निर्माण किया है।

नहीं हो रहा यकीन : रविंदर पंडिता

समिति के अध्यक्ष रविंदर पंडिता ने कहा कि कोई नहीं यक़ीन कर रहा था की यहां मंदिर बनेगा। ऐसा इसलिए हो पाया क्योंकि कश्मीर ऋषि मुनियों की धरती रही है। आज का दिन बड़ा एतिहासिक है, क्योंकि मंदिर और गुरुद्वारे का शुभारंभ हुआ है। यह मंदिर ही नहीं बल्कि एक बहुमूल्य विरासत है।

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