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जम्मू-कश्मीर: जी20 के दौरान रोहिंग्याओं के खलल डालने की साजिश नाकाम, रिहाई को 15 दिन में तीन बार किया हंगामा

बृजेश कुमार सिंह, जम्मू Published by: विमल शर्मा Updated Fri, 26 May 2023 01:45 AM IST
सार

पुलिस ने तीनों बार रोहिंग्याओं को शांत तो करा दिया, लेकिन यह माना जा रहा है कि जी20 से ठीक पहले का जो समय चुना गया उसके पीछे कोई न कोई साजिश है, ताकि इसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाया जा सके।

Conspiracy to disturb Rohingyas during G20 failed, ruckus thrice in 15 days for release
जेल में शिफ्ट किए गए रोहिंग्या - फोटो : अमर उजाला

विस्तार

श्रीनगर में जी20 के दौरान पाकिस्तान ने कश्मीर के साथ-साथ जम्मू में भी गड़बड़ी फैलाने की साजिश रची थी। इसके तहत कश्मीर में आतंकी घटनाओं की आशंका थी तो जम्मू संभाग में रोहिंग्याओं के जरिये अशांति फैलाने की। दरअसल कठुआ जिले के हीरानगर जेल में बने होल्डिंग सेंटर में बंद रोहिंग्याओं के जरिये अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचने की साजिश रची गई थी।



इसके तहत यहां बंद रोहिंग्याओं ने 15 दिन में तीन बार रिहाई के लिए हंगामा किया। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हंगामे के समय  को लेकर साजिश की बू आ रही है। मामले की जांच की जा रही है। इसके पीछे के लोगों की तलाश भी की जा रही है।


बताया जाता है कि पुलिस ने तीनों बार रोहिंग्याओं को शांत तो करा दिया, लेकिन यह माना जा रहा है कि जी20 से ठीक पहले का जो समय चुना गया उसके पीछे कोई न कोई साजिश है, ताकि इसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाया जा सके।

जी20 में शामिल होने वाले यूएनओ के प्रतिनिधियों के साथ ही यूरोपीय तथा अन्य देशों के प्रतिनिधियों का ध्यान आकर्षित कर बताया जा सके कि यहां मानवाधिकार का उल्लंघन हो रहा है।  जी20 से दस दिन पहले 11 मई की रात में अचानक इन्होंने हंगामा शुरू कर दिया।

भूख हड़ताल शुरू कर दी। इनकी मांग थी कि इन्हें रिहा किया जाए। किसी गड़बड़ी की आशंका से पहले से ही सतर्क पुलिस प्रशासन ने तत्काल हरकत में आते हुए रोहिंग्याओं के विरोध को थामा। 22 मई और 25 मई को भी उन्होंने हंगामा किया।

22 मई यानी सोमवार की रात तो उन्होंने हंगामा करते हुए भीतरी गेट का एक ताला भी तोड़ दिया। रिहाई की मांग के साथ ही अब उन्होंने मानवाधिकार आयोग से जुड़े लोगों से मुलाकात की भी मांग की है, जिससे साजिश को बल मिलता है।
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खुफिया सूत्रों ने बताया कि दो साल में कभी भी रोहिंग्याओं ने हंगामा नहीं किया, लेकिन अचानक से उन्होंने होल्डिंग सेंटर में हंगामा शुरू कर दिया। मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाने लगे तो इसके पीछे कोई न कोई व्यक्ति जिम्मेदार हो सकता है, जिसके इशारे पर इस प्रकार की कार्रवाई हुई।

सूत्रों के अनुसार पुलिस इनसे पिछले एक महीने में मिलने आने वाले लोगों का ब्योरा जुटा रही है कि आखिर कौन व्यक्ति इनसे मिला है। यदि कोई मिला है तो इसकी किसने अनुमति दी है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चूंकि जी20 को सकुशल संपन्न कराना प्राथमिकता थी। इस वजह से इस ओर बहुत ध्यान नहीं दिया गया। अब इसकी पड़ताल तेज की जाएगी। 

दो साल पहले पकड़े गए थे 269 रोहिंग्या

दो साल पहले जम्मू में अवैध रूप से रह रहे 269 रोहिंग्याओं को पकड़ कर हीरानगर में बनाए गए होल्डिंग सेंटर में रखा गया है। इनमें महिलाएं व बच्चे भी शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि सरकार की यह भी योजना थी कि अन्य रोहिंग्याओं को भी होल्डिंग सेंटर में भेजा जाए।

269 रोहिंग्याओं के पकड़े जाने के बाद जम्मू के भठिंडी, नरवाल, सुजवां समेत अन्य इलाकों में रह रहे रोहिंग्याओं के मुहल्ले में पुलिस ने सख्ती बनाए रखी। बाद में जैसे ही यह सख्ती धीरे-धीरे खत्म होने लगी तो कई रोहिंग्याओं ने ठिकाना बदल दिया।

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