लेह से करीब 250 किलोमीटर पूर्व में स्थित लद्दाख डिवीजन के डेमचोक सेक्टर में भारत और चीन की सेना आमने-सामने आ गईं हैं।
भारत की ओर से डेमचोक सेक्टर में मनरेगा के तहत सिंचाई के लिए नहर की खुदाई की काम करवाया जा रहा था। जानकारी मिलने के बाद चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिक निर्माण स्थल पर पहुंचे और काम बंद करवा दिया। सैन्य सूत्रों के मुताबिक करीब 55 चीनी सैनिकों ने जबरदस्ती काम बंद करवाया।
चीनी सैनिकों द्वारा नहर निर्माण कार्य में जुटे कर्मियों और मजदूरों को डरा धमकाकर काम बंद करवाने की सूचना मिलने पर आईटीबीपी और भारतीय सेना के करीब 70 जवान भी मौके पर पहुंचे।
इस मामले में वरिष्ठ सैन्य अफसरों ने हालांकि, किसी तरह के विवाद से इनकार किया है। कहा गया है कि मामले को तय प्रक्रिया के तहत सुलझा लिया जाएगा।
भारतीय सेना और आईटीबीपी के जवानों के मौके पर पहुंचते ही चीनी सैनिकों ने पोजिशन ले ली। वे लगातार इस बात पर अड़े हैं कि उनके क्षेत्र में निर्माण कार्य करवाया जा रहा है। फिलहाल दोनों सेनाओं में विवाद हल नहीं हो पाया था और दोनों सेनाओं के जवान मोर्चों पर डटे हुए हैं।
चीन के सैनिकों का कहना है कि दोनों देशों में एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर शांति बहाली बनाए रखने के लिए किए गए समझौते के मुताबिक बिना दूसरे देश को सूचित किए कोई भी निर्माण कार्य नहीं करवाया जा सकता।
वहीं, भारतीय सेना का दावा है कि निर्माण विवादित क्षेत्र में नहीं बल्कि भारतीय क्षेत्र में करवाया जा रहा है। साथ ही यह भी कहा गया कि समझौते के मुताबिक दूसरे देश को सिर्फ सुरक्षा ढांचा संबधित निर्माण कार्य की जानकारी ही देनी होती है।
नहर के निर्माण से सुरक्षा ढांचे का कोई संबंध नहीं है। भारतीय सेना की ओर से चीन की सेना को भारी विरोध के बावजूद एक इंच भी आगे नहीं आने दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले 2014 में भी निलुंग नाला इलाके में भी भारत की ओर से मनरेगा के तहत नहर का निर्माण करवाए जाने के बाद दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गईं थीं। चीन की सेना द्वारा ताशीगांग गांव के लोगों को भी वहां से भगा दिया गया था और इलाके में अपने टेंट गाड़ दिए गए थे।
लेह से करीब 250 किलोमीटर पूर्व में स्थित लद्दाख डिवीजन के डेमचोक सेक्टर में भारत और चीन की सेना आमने-सामने आ गईं हैं।
भारत की ओर से डेमचोक सेक्टर में मनरेगा के तहत सिंचाई के लिए नहर की खुदाई की काम करवाया जा रहा था। जानकारी मिलने के बाद चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिक निर्माण स्थल पर पहुंचे और काम बंद करवा दिया। सैन्य सूत्रों के मुताबिक करीब 55 चीनी सैनिकों ने जबरदस्ती काम बंद करवाया।
चीनी सैनिकों द्वारा नहर निर्माण कार्य में जुटे कर्मियों और मजदूरों को डरा धमकाकर काम बंद करवाने की सूचना मिलने पर आईटीबीपी और भारतीय सेना के करीब 70 जवान भी मौके पर पहुंचे।
भारतीय सेना के पहुंचते ही चीनी सैनिकों ने ली पोजिशन
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- फोटो : india-china
इस मामले में वरिष्ठ सैन्य अफसरों ने हालांकि, किसी तरह के विवाद से इनकार किया है। कहा गया है कि मामले को तय प्रक्रिया के तहत सुलझा लिया जाएगा।
भारतीय सेना और आईटीबीपी के जवानों के मौके पर पहुंचते ही चीनी सैनिकों ने पोजिशन ले ली। वे लगातार इस बात पर अड़े हैं कि उनके क्षेत्र में निर्माण कार्य करवाया जा रहा है। फिलहाल दोनों सेनाओं में विवाद हल नहीं हो पाया था और दोनों सेनाओं के जवान मोर्चों पर डटे हुए हैं।
चीन के सैनिकों का कहना है कि दोनों देशों में एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर शांति बहाली बनाए रखने के लिए किए गए समझौते के मुताबिक बिना दूसरे देश को सूचित किए कोई भी निर्माण कार्य नहीं करवाया जा सकता।
2014 में भी आमने सामने आई थी भारत-चीन की सेना
सीमा पर तैनात जवान
- फोटो : File Photo
वहीं, भारतीय सेना का दावा है कि निर्माण विवादित क्षेत्र में नहीं बल्कि भारतीय क्षेत्र में करवाया जा रहा है। साथ ही यह भी कहा गया कि समझौते के मुताबिक दूसरे देश को सिर्फ सुरक्षा ढांचा संबधित निर्माण कार्य की जानकारी ही देनी होती है।
नहर के निर्माण से सुरक्षा ढांचे का कोई संबंध नहीं है। भारतीय सेना की ओर से चीन की सेना को भारी विरोध के बावजूद एक इंच भी आगे नहीं आने दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले 2014 में भी निलुंग नाला इलाके में भी भारत की ओर से मनरेगा के तहत नहर का निर्माण करवाए जाने के बाद दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गईं थीं। चीन की सेना द्वारा ताशीगांग गांव के लोगों को भी वहां से भगा दिया गया था और इलाके में अपने टेंट गाड़ दिए गए थे।