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नौशेरा। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की तरफ से श्री रघुनाथ मंदिर में चल रही सुंदरकांड कथा में श्री आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी सुमेधा भारती ने प्रभु कथा की महिमा को बयान करते हुए कहा कि प्रभु की पावन कथा सौभाग्यशाली लोगों को ही प्राप्त होती है। गोस्वामी तुलसीदास की रामचरितमानस में कहते हैं कि संत समागम के प्राप्ति संत समागम हरि कथा की प्राप्ति ही जीवन का सच्चा लाभ है।
कथा वाचक ने कहा कि मानव जीवन प्राप्त करके ईश्वर भक्ति नहीं करना मानव जीवन की सबसे बड़ी हानि है। प्रभु श्रीराम को केवल मानें नहीं, बल्कि जो प्रभु श्रीराम ने शिक्षाएं दी हैं। उनको भी अपने जीवन में चरितार्थ करें। प्रभु श्रीराम को जानने के बाद ही उनकी दिव्य लीलाओं को समझा जा सकता है। जब मानव के जीवन में एक तत्व वेता महापुरुष का पदार्पण होता है। तभी वह अपने अंतर्गत में प्रभु का दर्शन कर उनकी भक्ति के मार्ग पर अग्रसर होकर दुर्लभ मानव जीवन को सफल एवं सार्थक कर पाता है।
कार्यक्रम के दरमियान शहर के अनेक विशिष्ट जन उपस्थित रहे। कार्यक्रम के समापन पर संगत ने लंगर में प्रसाद ग्रहण किया। कथा स्थल पर स्वामी सुकर्मानंद, स्वामी हरिदासानंद उपस्थित रहे।
नौशेरा। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की तरफ से श्री रघुनाथ मंदिर में चल रही सुंदरकांड कथा में श्री आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी सुमेधा भारती ने प्रभु कथा की महिमा को बयान करते हुए कहा कि प्रभु की पावन कथा सौभाग्यशाली लोगों को ही प्राप्त होती है। गोस्वामी तुलसीदास की रामचरितमानस में कहते हैं कि संत समागम के प्राप्ति संत समागम हरि कथा की प्राप्ति ही जीवन का सच्चा लाभ है।
कथा वाचक ने कहा कि मानव जीवन प्राप्त करके ईश्वर भक्ति नहीं करना मानव जीवन की सबसे बड़ी हानि है। प्रभु श्रीराम को केवल मानें नहीं, बल्कि जो प्रभु श्रीराम ने शिक्षाएं दी हैं। उनको भी अपने जीवन में चरितार्थ करें। प्रभु श्रीराम को जानने के बाद ही उनकी दिव्य लीलाओं को समझा जा सकता है। जब मानव के जीवन में एक तत्व वेता महापुरुष का पदार्पण होता है। तभी वह अपने अंतर्गत में प्रभु का दर्शन कर उनकी भक्ति के मार्ग पर अग्रसर होकर दुर्लभ मानव जीवन को सफल एवं सार्थक कर पाता है।
कार्यक्रम के दरमियान शहर के अनेक विशिष्ट जन उपस्थित रहे। कार्यक्रम के समापन पर संगत ने लंगर में प्रसाद ग्रहण किया। कथा स्थल पर स्वामी सुकर्मानंद, स्वामी हरिदासानंद उपस्थित रहे।