किसान आंदोलन में पांच फरवरी को ट्रॉली से गिरकर घायल हुए युवा किसान की सोमवार को मौत हो गई। वह पीजीआई में उपचाराधीन था। आंदोलनकारियों के लिए लकड़ियां लेकर गए युवा किसान को पैर फिसल कर घायल होने पर यहां लाया गया था। पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया है।
मूलरूप से निंदाना हाल बैंसी निवासी दीपक पांच फरवरी को गांव से लकड़ियों से भरी ट्रॉली टीकरी बॉर्डर लेकर गया था। लकड़ियों से भरी ट्रॉली खाली करते समय उसका पैर फिसल गया और वह घायल हो गया। उसका सिर लकड़ी से टकरा गया था। घायल अवस्था में उसे पीजीआई में भर्ती कराया गया। यहां सोमवार सुबह उसने दम तोड़ दिया।
पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया। इसके बाद पार्थिव देह का पैतृक गांव निंदाना के शहीद पार्क में अंतिम संस्कार किया गया। वह अपने पीछे मां, पत्नी, दो बेटे व छोटे भाई को छोड़ गया है। छोटा बेटा तीन साल व बड़ा पांच साल का है। दीपक परिवार में सबसे बड़ा था। यही खेतीबाड़ी कर परिवार का पालन पोषण करता था। उसकी अंतिम यात्रा में निंदाना, बैंसी, खरक, गुगाहेड़ी के लोगों के अलावा पूर्व विधायक आनंद सिंह दांगी, रिटायर्ड एक्सईएन हवा सिंह समेत अन्य मौजूद रहे। इससे पूर्व पीजीआई में भारतीय किसान यूनियन चढूनी ग्रुप के प्रदेश उपाध्यक्ष सत्यवान नरवाल, आजाद सिंह कुंडू, बैंसी सरपंच कृष्ण छाबड़ा, कर्मवीर, दीपक के चाचा दिलबाग समेत अन्य मौजूद रहे।
लोगों ने बहादुरगढ़ पुलिस पर जानबूझकर दीपक के पोस्टमार्टम में देरी का आरोप भी लगाया। पीजीआई के शव गृह में भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष सत्यवान नरवाल ने कहा कि दीपक टीकरी बॉर्डर पर करीब दो महीने से किसानों की सेवा कर रहा था। वह पांच फरवरी को टीकरी बॉर्डर पर ट्रॉली से लकड़ी उतारते समय गिरकर घायल हो गया था।
पीजीआईएमएस में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। सरकार उसके परिवार को आर्थिक सहायता के रूप में एक करोड़ रुपये की मदद दे। उसके बच्चों का गुजारा व भरण पोषण करने के लिए यह राहत जरूरी है। उसकी पत्नी को सरकारी नौकरी दी जाए। सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने चाहिए। बहादुरगढ़ पुलिस का पोस्टमार्टम में देरी कराना निंदनीय है।