अमर उजाला ब्यूरो
हांसी।
जेसीआई हांसी फोर्ट द्वारा श्री पंचायती रामलीला ग्राउंड में जीएसटी विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। भारत विकास परिषद एवं टैली लर्निंग के सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला में सैकड़ों की संख्या में व्यापारियों ने भाग लिया और जीएसटी से संबंधित प्रश्न पूछे। इस दौरान काफी संख्या में व्यापारियों ने जीएसटी को लेकर अपनी जिज्ञासाएं और शंकाएं जाहिर की। बहुत सी शंकाओं को अधिकारियों ने दूर किया, हालांकि कुछ ऐसी भी थे, जिस पर व्यापारी स्वयं ही सहमत नजर नहीं आए। संस्था के अध्यक्ष धर्मवीर रतेरिया ने कहा कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच में जीएसटी के प्रति फैली हुई भ्रांतियों को दूर करना है।
कार्यक्रम में मुख्य तौर पर व्यापारियों ने पूछा कि क्या उन्हें भी जीएसटी नंबर लेना जरूरी है। अधिकारियों का कहना था कि जिन व्यापारियों का वार्षिक टर्नओवर 20 लाख रुपये से कम है, उन्हें जीएसटी नंबर की कोई आवश्यकता नहीं है। हालांकि व्यापारियों का कहना था कि हांसी क्षेत्र से बहुत से ऐसे लोग है जोकि दिल्ली और लुधियाना से माल लेते है। ऐसे में उनके लिए जीएसटी नंबर लेना एक तरह से अनिवार्य हो गया है। बहुत से ऐसे भी है जोकि दिल्ली से माल खरीद कर उन पर वर्क प्रोसैस कर लुधियाना में बेच देते है। ऐसे में आउट ऑफ स्टेट माल सेल करने के लिए तो वैसे ही जीएसटी नंबर की आवश्यकता है। वैसे भी जीएसटी नंबर वाला व्यापारी बिना जीएसटी नंबर के व्यापारी से माल क्यों खरीदेगा।
बचे हुए 50 हजार पर किसका टैक्स डिसअलाउड होगा
अगर किसी व्यापारी को 10 लाख रुपये जीएसटी देना है और वह 9.5 लाख रुपये भर देता है। व्यापारी ने 100 लोगों के बिल काटे हुए है। उस केस में बचे हुए 50 हजार का टैक्स किस का डिसअलाउड होगा। इस पर अधिकारियों ने कहा कि नंबर के आधार पर वह अंतिम व्यक्ति का टैक्स डिसअलाउड होगा।
कार्यक्रम के परियोजना निर्देशक जेसी नरेंद्र भयाना ने बताया कि कार्यक्रम में टैक्सेशन इंस्पेक्टर संदीप पूनिया ने जीएसटी के बारे में विस्तार से बताया। इसके अलावा हिसार से एक्साइज एंड टैक्सेशन अधिकारी देवेंद्र कुमार, टैक्सेशन इंस्पेक्टर संदीप पूनिया, कर सलाहकार सीए सतपाल गोयल एवं राजेंद्र गर्ग एडवोकेट ने व्यापारियों की शंकाओं को दूर किया। अधिकारियों ने बताया कि जीएसटी व्यवस्था पैन कार्ड आधारित व्यवस्था है। टैली जीएसटी को स्पोर्ट करती है। 20 लाख से कम टर्नओवर के व्यापारी को जीएसटी नंबर लेने की आवश्यकता नहीं है। 1.5 करोड़ रुपये से कम टर्नओवर वाले व्यापारी को बिल पर यह कोड लिखने की भी आवश्यकता नहीं है।
मासिक की बजाए तिमाही रिटर्न भरनी होगी
75 लाख रुपये से कम टर्नओवर वाला व्यापारी कंपोजिशन स्कीम का लाभ ले सकता है। इसके तहत ट्रेडर को अपनी बिक्री पर 1 प्रतिशत, निर्माता को 2 प्रतिशत और रेस्टोरेंट को 5 प्रतिशत टैक्स देना होगा और उसे मासिक की बजाए तिमाही रिटर्न भरनी होगी। व्यापारी को अपनी बिक्री का रिकार्ड अगले महीने की 10 तारीख तक जीएसटी की वेबसाइट पर अपलोड करना होगा। 15 तारीख को उसकी खरीद को कंफर्म करना है। 20 तारीख को उसकी खरीद और बिक्री को कंफर्म कर जो टैक्स बनता है, उसे भरना होगा।
यह रहे मौजूद
अगर किसी वस्तु पर एक्साइज ड्यूटी लगती थी और उसका बिल होलसेलर से लिया गया है तो उस दशा में 5 प्रतिशत व 12 प्रतिशत कर योग्य वस्तु पर 40 प्रतिशत एक्साइज इनपुट व 18, 28 प्रतिशत कर योग्य वस्तु पर 60 प्रतिशत एक्साइज इनपुट मिलेगा। भारत विकास परिषद के अध्यक्ष कमलेश गर्ग ने कहा कि इस कार्यक्रम से व्यापारियों को निश्चित रूप से लाभ मिलेगा। मंच का संचालन जेसी मनमोहन तायल द्वारा किया गया। इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष धर्मवीर रतेरिया, कमलेश गर्ग, अशोक कनौजिया, प्रवीण बंसल, प्रवीन तायल, अमी चंद गोयल, महाबीर गोयल, लवकेश टुटेजा, संजय सिंगला, अशोक जैन, सुरेन्द्र शर्मा ओम फूड वाले, नारनौंद व्यापार मंडल के अध्यक्ष राजबीर खेड़ी वाला, गोबिंद सोनी, गौरव खट्टर, मनमोहन तायल, सुशील गुप्ता, नरेन्द्र भयाना, अजय नामदेव, सुनील मित्तल, अशोक रोहिल्ला, सर्वेश सैनी सहित अनेक व्यापारी उपस्थित रहे।