समालखा। विश्व प्रसिद्ध श्री श्याम बाबा मंदिर चुलकाना धाम में रविवार को पुरातन पीपल के पेड़ में आग लगने से हड़कंप मच गया। पेड़ के नीचे रखी ज्योत से आग लगी थी। लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचने के बावजूद मंदिर प्रांगण में फायर ब्रिगेड की व्यवस्था नहीं की गई थी। सेवादारों ने करीब 20 मिनट की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। आग से पीपल के पेड़ को नुकसान पहुंचा है।
रविवार को श्याम बाबा के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु पहुंचे थे और मंदिर कमेटी एवं प्रशासन की लापरवाही बड़े हादसे का कारण बन सकती है। मंदिर परिसर में लगे पुरातन पीपल के पेड़ के चारों ओर श्रद्धालु मौली बांधकर ज्योत जलाते हैं। इस दौरान वहां पर तेल, घी भी गिरता रहता है। रविवार दोपहर को भी वहां पर रखी ज्योत से पेड़ के तने में आग लग गई और देखते ही देखते लपटे उठने लगीं। इससे आसपास खड़े भक्तों में हड़कंप मच गया। सेवादारों ने पानी डालकर आग पर काबू पाया। मंदिर कमेटी के प्रधान रोशन लाल ने बताया कि भक्तों को पेड़ के नीचे ज्योत जलाने के लिए मना किया जाता है लेकिन वे मानते नहीं। एसडीएम अश्वनी मलिक ने कहा कि तुरंत फायर ब्रिगेड भेज दी गई थी। मंदिर में दमकल की व्यवस्था कर दी गई है, मेले के आयोजन तक दमकल कर्मी तैनात रहेंगे।
- चार किलोमीटर दूर खड़ी की गई थी फायर ब्रिगेड
समालखा पुल के नीचे दमकल की गाड़ी खड़ी कराई गई थी, जबकि मंदिर के आसपास गाड़ी नहीं थी। लाखों भक्तों एवं वाहनों के बीच से करीब चार किलोमीटर दूर मंदिर पहुंचने में काफी समय लगता। इस दौरान बड़ा हादसा हो सकता था।
पेड़ से जुड़ी है पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार भीम का पौत्र बर्बरीक (श्याम बाबा) धनुष कला के महारथी थे। महाभारत के युद्ध में वह जिस ओर से लड़ते, उस पक्ष की जीत निश्चित थी। इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने उनकी परीक्षा लेते हुए एक तीर से पीपल के सभी पत्तों को बांधने के लिए कहा। इस दौरान श्रीकृष्ण ने एक पत्ता अपने पैर के नीचे छिपा लिया। बर्बरीक की ओर से छोड़ा गया तीर सभी पत्तों को बांधते हुए श्रीकृष्ण के पैर पास आकर रुक गया। मान्यता है कि यह पीपल का पेड़ उसी वृक्ष का हिस्सा है।
समालखा। विश्व प्रसिद्ध श्री श्याम बाबा मंदिर चुलकाना धाम में रविवार को पुरातन पीपल के पेड़ में आग लगने से हड़कंप मच गया। पेड़ के नीचे रखी ज्योत से आग लगी थी। लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचने के बावजूद मंदिर प्रांगण में फायर ब्रिगेड की व्यवस्था नहीं की गई थी। सेवादारों ने करीब 20 मिनट की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। आग से पीपल के पेड़ को नुकसान पहुंचा है।
रविवार को श्याम बाबा के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु पहुंचे थे और मंदिर कमेटी एवं प्रशासन की लापरवाही बड़े हादसे का कारण बन सकती है। मंदिर परिसर में लगे पुरातन पीपल के पेड़ के चारों ओर श्रद्धालु मौली बांधकर ज्योत जलाते हैं। इस दौरान वहां पर तेल, घी भी गिरता रहता है। रविवार दोपहर को भी वहां पर रखी ज्योत से पेड़ के तने में आग लग गई और देखते ही देखते लपटे उठने लगीं। इससे आसपास खड़े भक्तों में हड़कंप मच गया। सेवादारों ने पानी डालकर आग पर काबू पाया। मंदिर कमेटी के प्रधान रोशन लाल ने बताया कि भक्तों को पेड़ के नीचे ज्योत जलाने के लिए मना किया जाता है लेकिन वे मानते नहीं। एसडीएम अश्वनी मलिक ने कहा कि तुरंत फायर ब्रिगेड भेज दी गई थी। मंदिर में दमकल की व्यवस्था कर दी गई है, मेले के आयोजन तक दमकल कर्मी तैनात रहेंगे।
- चार किलोमीटर दूर खड़ी की गई थी फायर ब्रिगेड
समालखा पुल के नीचे दमकल की गाड़ी खड़ी कराई गई थी, जबकि मंदिर के आसपास गाड़ी नहीं थी। लाखों भक्तों एवं वाहनों के बीच से करीब चार किलोमीटर दूर मंदिर पहुंचने में काफी समय लगता। इस दौरान बड़ा हादसा हो सकता था।
पेड़ से जुड़ी है पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार भीम का पौत्र बर्बरीक (श्याम बाबा) धनुष कला के महारथी थे। महाभारत के युद्ध में वह जिस ओर से लड़ते, उस पक्ष की जीत निश्चित थी। इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने उनकी परीक्षा लेते हुए एक तीर से पीपल के सभी पत्तों को बांधने के लिए कहा। इस दौरान श्रीकृष्ण ने एक पत्ता अपने पैर के नीचे छिपा लिया। बर्बरीक की ओर से छोड़ा गया तीर सभी पत्तों को बांधते हुए श्रीकृष्ण के पैर पास आकर रुक गया। मान्यता है कि यह पीपल का पेड़ उसी वृक्ष का हिस्सा है।