पानी और प्रापर्टी टैक्स हो सकता है महंगा
नगर निगम का बजट आज होगा पास
बैठक में विपक्षी पार्षद कर सकते हैं हंगामा
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। नगर निगम का बजट वीरवार को पेश होगा। नगर निगम सदन की बैठक में बजट पर चर्चा के बाद उसे पास कर दिया जाएगा। इसकी पूरी तैयारी कर ली गई है। वित्त एवं अनुबंध समिति की बैठक में इसे पहले ही पास कर दिया गया है। वित्त एवं अनुबंध समिति ने 1260 करोड़ रुपये का बजट पास किया था।
जानकारी के अनुसार प्रस्तावित बजट में कोई नया कर नहीं लगाया जाएगा। लेकिन नगर निगम की आय में बढ़ोतरी दिखाई गई है। इसके कारण कांग्रेसी पार्षदों में अंदेशा है कि नगर निगम में सत्तारूढ़ भाजपा लोगों पर करों का बोझ न लाद दे। इसमें पानी और प्रापर्टी टैक्स में बढ़ोतरी का अंदेशा है।
बबला
कांग्रेस पार्षद देवेंद्र सिंह बबला ने बुधवार को कहा कि नगर निगम में काबिज भाजपा शहर के लोगों पर करों का बोझ लादने वाली है। कल निगम सदन की बैठक में रखे जाने वाले प्रस्तावों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि जिस प्रकार निगम ने पानी के बिलों व सीवरेज सेस, कामर्शियल प्रापर्टी पर लगे कर से होने वाली आय में बढ़ोतरी, रेजिडेंशियल प्रापर्टी पर लगे करों से होने वाली आय में बढ़ोतरी दर्शाई गई है उससे स्पष्ट है कि इनकी दरें बढ़ने वाली हैं। बजट प्रस्तावों में निगम ने अपनी आय 83 करोड़ से बढ़ाकर 100 करोड़, व्यवसायिक संपत्ति कर से आय 39 करोड़ से बढ़ाकर 40 करोड़ दर्शाई है। उससे स्पष्ट है कि लोगों को नए करों के लिए तैयार रहना चाहिए, जबकि आवासीय संपत्ति कर से आय गत वर्ष की अपेक्षा एक करोड़ रुपये कम होने जा रही है।
कोटस
नए कर नहीं लगाए जाएंगे। नगर निगम में पैसे की कमी नहीं आने दी जाएगी। जिन मदों में आय में बढ़ोतरी हुई है उनमें कर देने वालों की संख्या बढ़ी है।
- राजेश कालिया, मेयर नगर निगम चंडीगढ़।
इन मदों में खर्च होगी राशि
कार्ययोजना मंजूर राशि (लाख में)
बीएंडआर 12000.00 लाख
सिविक वर्क्स 1700.00 लाख
वाटर सप्लाई सिस्टम के विस्तार पर 5000.00 लाख
सीवरेज 3000.00 लाख
स्टार्म वॉटर ड्रेनेज 500.00 लाख
बागवानी, लैंड स्कैपिंग 900.00 लाख
विद्युतीकरण 2500.00 लाख
गैर आवासीय भवन 1850.00 लाख
एमसी के तहत आने वाले गांवों में बुनियादी सुविधाएं 2800.00 लाख
ईडब्ल्यूएस को बुनियादी सुविधाओं के लिए 1700.लाख
लघु सिंचाई के लिए 1100.00 लाख
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और एलाइड सर्विसेज के लिए 6360.00 लाख
फायर एंड इमरजेंसी 570.00 लाख
भूमि अधिग्रहण मूल्य 500.00 लाख
ट्रांसपोटेशन सेक्शन (व्हीकल मशीनरी खरीदी के लिए) 4275.00 लाख
वार्ड डेवलपमेंट फंड 1560.लाख
एसबीएम 125.00 लाख
आवासीय इमारत 250.00 लाख
प्राइमरी हेल्थ 100.00 लाख
प्राइमरी एजुकेशन 100.00 लाख
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यहां से आएगा पैसा...
प्रशासन से ग्रांट इन एड से 275 करोड़ रुपये
प्रशासन से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए 100 करोड़ रुपये
नगर निगम अपने स्तर से 276 करोड़ 86 लाख रुपये जुटाएगा।
इसमें स्टेट रिसीप्ट से 15 करोड़ रुपये
वाटर टैरिफ और सीवरेज सेस से एक सौ करोड़ रुपये
प्रापर्टी टैक्स कामर्शियल से 40 करोड़ रुपये
प्रापर्टी टैक्स रेजिडेंशियल 12 करोड़ रुपये
नगर निगम अपने अन्य स्रोतों से 109 करोड़ रुपये जुटाएगी।
नगर निगम ने चौथे वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर प्रशासन से 1026 करोड़ रुपये की मांग की थी, लेकिन उसे 275 करोड़ रुपये ही मिले हैं।
कुल 1260 करोड़ रुपये का बजट है। इसमें से 468 करोड़ 90 लाख रुपये कैपिटल है और बाकी की राशि रेवेन्यू है। इसमें कुल 651 करोड़ रुपये ही दिख रहे हैं। बाकी की राशि के लिए प्रशासन के आगे हाथ फैलाना होगा। यदि प्रशासन ने ग्रांट इन एड नहीं बढ़ाए तो विकास की गति कमजोर हो सकती है।
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दूसरी खबर
वार्ड डेवलपमेंट फंड 10 लाख बढ़ाया
पार्षदों को हर साल मिलने वाला फंड 40 से 50 लाख रुपये किया
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। नगर निगम के पार्षदों को अब हर साल वार्ड डेवलपमेंट फंड 40 की जगह 50 लाख मिलेंगे। नगर निगम की वित्त एवं अनुबंध समिति की शुक्रवार को हुई बैठक में वार्ड डेवलपमेंट फंड में 10 लाख रुपये हर साल बढ़ोतरी का फैसला लिया गया।
इससे पार्षद अपने वार्ड में हर साल ज्यादा काम करवा पाएंगे। पार्षद वार्ड डेवलपमेंट फंड से जल्दी काम होता है, क्योंकि इसके लिए काम के प्रस्ताव को पास करवाने के लिए सदन में ले जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। पार्षदों को सिर्फ काम करवाने की लेटर चीफ इंजीनियर को देना होता है। उसके बाद टेंडर अलॉट कर काम करवा दिया जाता है, जबकि सदन में प्रस्ताव लाने, पास करवाने और टेंडर प्रक्रिया शुरू करने में 4 से 6 माह लग जाते हैं। हालांकि बचा हुआ डेवलेपमेंट फंड अगले साल मिलने वाले नए फंड में शामिल हो जाता है।
पार्षदों का वार्ड डेवलपमेंट फंड चाहे 10 लाख रुपये बढ़ा दिया गया है, लेकिन अधिकतर पार्षद एक साल में अपना वार्ड डेवलपमेंट फंड पूरा खर्च नहीं कर पाते हैं। पिछले साल भी बहुत से पार्षद साल के अंत तक 40 लाख रुपये खर्च नहीं कर पाए थे। पार्षदों का कहना है कि 2018 की शुरुआत में नगर निगम के पास फंड की भारी कमी थी, जिस कारण अधिकारियों ने उन्हें शुरू में फंड नहीं रिलीज किया था। फंड देरी से मिलने के कारण साल के अंत तक पैसे खर्च नहीं हो पाए थे।