पलवल। केएमपी-केजीपी इंटरचेंज पर कृषि कानूनों के विरोध में चल रहा किसान आंदोलन रविवार को भी जारी रहा है। धरने में किसानों ने संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर पांच जून को मनाए जाने वाले संपूर्ण क्रांति दिवस के संबंध में चर्चा की। किसानों ने कहा कि पिछले वर्ष पांच जून को ही सरकार ने नए कृषि कानूूनों के संबंध में अध्यादेश जारी किया था। इनके विरोध स्वरूप किसान 5 जून यानी शनिवार को कृषि कानूनों की प्रतियां जलाएंगे। किसान संघर्ष समिति के नेतृत्व में बीती दो दिसंबर से जारी धरने की अध्यक्षता चेतराम मैंबर मीतरोल ने की, जबकि संचालन राजकुमार ओलिहान ने किया।
इस दौरान किसानों नेताओं ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने और अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी की मांग के संबंध में हजारों किसान पिछले साल दिसंबर से अटोहां चौक पर धरना दे रहे हैं। जबकि, दिल्ली के अन्य सीमाओं पर नवंबर माह से धरना दिया जा रहा है। लेकिन, अब तक केंद्र सरकार ने उनकी मांगें मानी नहीं हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने पांच जून को संपूर्ण क्रांति दिवस मनाने का निर्णय लिया है। पलवल के किसानों ने आज तक सभी आह्वानों को पूरा किया है। संपूर्ण क्रांति दिवस को मनाने के लिए भी जल्द ही समिति की बैठक कर निर्णय लिया जाएगा। किसान नेताओं ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान सरकार ने बीते साल पांच जून को तीन नए कृषि कानूनों के संबंध में अध्यादेश जारी किया था। इन्हें सितंबर माह में कानून बना दिया गया। सरकार ने लॉकडाउन का फायदा उठाकर किसानों के साथ धोखा किया है। इस बार भी कोरोना के नाम पर किसानों का बदनाम करने का काम किया जा रहा, लेकिन किसान हर परिस्थिति में कृषि कानून रद्द होने तक डटे रहेंगे। किसानों ने कहा कि पांच जून 1974 को जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति की घोषणा की थी और तत्कालीन केंद्र सरकार के खिलाफ जन आंदोलन शुरू किया था। इसलिए पांच जून को संपूर्ण क्रांति दिवस के रूप में मनाया जाएगा और कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई जाएंगी। धरने को किसान सभा के नेता धर्मचंद घुघेरा, डॉ. रघुवीर सिंह, रोशन लाल, सीमा रावत, रूपराम तेवतिया, रमेश चंद, किशन चंद शर्मा, दरियाब सिंह, चंदन सिंह डराना, राजेंद्र घर्रोट ने संबोधित किया। इस मौके पर योगेश नेहरा, अच्छेलाल जोधपुर, बुद्धि सिंह, करतार औरंगाबाद व बिजेंद्र बढराम ने गीत प्रस्तुत किए।