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हिसार। लोकसभा चुनाव के नतीजों से पहले जिन पार्टियों के कार्यालयों पर हर रोज रौनक दिखती थी, वहीं शुक्रवार को किसी कार्यालय पर ताला लटका था तो कहीं इक्का-दुक्का लोग बैठे नजर आए। भाजपा प्रत्याशी शुक्रवार को शहर में ही नहीं थे। इस कारण भाजपा की जीत का न कोई जश्न मना न ढोल बजे। कहीं-कहीं लड्डू जरूर बांटे गए, वह भी शहर के बजाय कस्बों में अधिक रहा। इसी को लेकर शुक्रवार को अमर उजाला ने भाजपा, जजपा और कांग्रेस कार्यालयों की लाइव रिपोर्टिंग की। इस दौरान वहां क्या स्थिति उसका दृश्य कुछ इस प्रकार था।
दोपहर 1:30 बजे : कांग्रेस कार्यालय पर सन्नाटा
शुक्रवार दोपहर 1:30 बजे का समय। राजगढ़ रोड स्थित कांग्रेस कार्यालय। कार्यालय के बाहरी परिसर में पूरी तरह सन्नाटा पसरा दिखा तो भीतर कमरे में दो कार्यकर्ता तीन लोगों के साथ बैठकर गप्पे हांक रहे थे। इन तीनों में एक बुजुर्ग भी शामिल था। जिक्र लोकसभा चुनावों के नतीजों का ही था। दोनों कार्यकर्ताओं के सामने कांग्रेस के बड़े नेताओं द्वारा की जा रही बयानबाजी पर बुजुर्ग ने गुस्सा जाहिर किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी राफेल-राफेल चिल्ला रहे हैं। आम आदमी की समस्या का ही जिक्र करना चाहिए। गांव, गली, किसान, मजदूर की समस्याओं का उल्लेख करके यह बताना चाहिए कि अगर कांग्रेस की सरकार बनी तो इन मुद्दों पर क्या किया जाएगा। कांग्रेस कार्यकर्ता डेविड विक्टर और कुलबीर सोहेल ने कहा कि यह तो मोदी लहर थी। कांग्रेस ने हमेशा आम जनता के हित में योजनाएं चलाई हैं। दो दिन पहले यहां कार्यकर्ताओं का जमघट लगा रहता था। पिछले एक माह से कांग्रेस भवन भरा-भरा रहता था। दिनभर में यहां हजारों लोग आते-जाते रहते थे। चुनाव प्रचार के लिए ड्यूटी दे रहे कार्यकर्ताओं की भी भारी-भरकम फौज यहां आती थी, जो विभिन्न खर्चों का भुगतान करने या हलके की रिपोर्ट देने आती थी।
दोपहर 2 बजे : भाजपा कार्यालय पर नहीं मिली चहल-पहल
दोपहर दो बजे पारिजात चौक के पास स्थित सुशीला भवन में बने भाजपा कार्यालय पर शांति छाई थी। इस भवन के मुख्य द्वार पर अभी भी भाजपा जिला कार्यालय का बोर्ड लगा है, मगर जब अंदर जाकर देखा गया तो भवन के अंदर के दरवाजों पर ताला लटका हुआ था। सुशीला भवन की शांति कुछ यूं बयां कर रही थी कि यहां मानो कुछ हुआ ही न हो। सुशीला भवन के दो सफाई कर्मचारी फर्श पर ही लेटकर नींद ले रहे थे। यहां पर इन दो के अलावा कोई व्यक्ति दिखाई नहीं दिया। चुनाव के दौरान पिछले करीब एक माह से सुशीला भवन में पूरी चहल-पहल थी। राज्यसभा सांसदों से लेकर विधायकों और बड़े-बड़े नेताओं का रोजाना आवागमन लगा रहता था। आलम यह था कि दिन की बात तलो दूर रात में भी यहां शांति नहीं थी और कार्यकर्ताओं व नेताओं का आवागमन निरंतर जारी रहता था। करीब एक माह तक यहां यही स्थिति रही थी। दिनभर भंडारा चलता था, जिसमें कार्यकर्ताओं नाश्ता और दोपहर व रात का भोजन यहीं करते थे। चाय तो 24 घंटे खुली चलती थी।
दोपहर 2:45 बजे : दुष्यंत चौटाला की कोठी पर नहीं मिली रौनक
दोपहर पौने 3 बजे का समय। अर्बन एस्टेट-टू स्थित पूर्व सांसद दुष्यंत चौटाला का आवास। आवास पर सिर्फ एक कंप्यूटर ऑपरेटर मिला। पूछने पर उसने बताया कि आज तो यहां कोई नहीं आया। आवास के बाहर गाड़ियों का रेला लगा रहता है, लेकिन आज एक भी गाड़ी खड़ी नजर नहीं आई। इसके बाद आवास के साथ लगते पार्क में जाकर देखा गया तो चार युवक हुक्का गुड़गुड़ा रहे थे। उनमें दुष्यंत चौटाला की हार का दर्द साफ दिख रहा था। चारों ने एक स्वर में कहा कि काम के बदले भी वोट नहीं मिल रहे। हमारे नेता ने हिसार क्षेत्र में खूब काम करवाए, लेकिन जनता मोदी की लहर में आ गई। अब चुना गया नया सांसद तो हिसार की जनता को ढूंढे भी नहीं मिलेगा, जबकि दुष्यंत सबके बीच में रहे हैं और आगे भी रहेंगे।
यहां पर अकसर रौनक दिखाई देती है। पिछले डेढ़ माह से तो यह रौनक दोगुनी हो गई थी यानी पिछले डेढ़ से चुनाव प्रचार में जुटे दुष्यंत व उसके कार्यकर्ताओं का यहां आना-जाना बढ़ गया था। हालांकि पार्टी कार्यालय सेक्टर 9-11 में बनाया गया था और भी कार्यकर्ताओं की खासी भीड़ उमड़ी रहती थी, लेकिन कोठी की भीड़ टूटने का नाम नहीं लेती।
हिसार। लोकसभा चुनाव के नतीजों से पहले जिन पार्टियों के कार्यालयों पर हर रोज रौनक दिखती थी, वहीं शुक्रवार को किसी कार्यालय पर ताला लटका था तो कहीं इक्का-दुक्का लोग बैठे नजर आए। भाजपा प्रत्याशी शुक्रवार को शहर में ही नहीं थे। इस कारण भाजपा की जीत का न कोई जश्न मना न ढोल बजे। कहीं-कहीं लड्डू जरूर बांटे गए, वह भी शहर के बजाय कस्बों में अधिक रहा। इसी को लेकर शुक्रवार को अमर उजाला ने भाजपा, जजपा और कांग्रेस कार्यालयों की लाइव रिपोर्टिंग की। इस दौरान वहां क्या स्थिति उसका दृश्य कुछ इस प्रकार था।
दोपहर 1:30 बजे : कांग्रेस कार्यालय पर सन्नाटा
शुक्रवार दोपहर 1:30 बजे का समय। राजगढ़ रोड स्थित कांग्रेस कार्यालय। कार्यालय के बाहरी परिसर में पूरी तरह सन्नाटा पसरा दिखा तो भीतर कमरे में दो कार्यकर्ता तीन लोगों के साथ बैठकर गप्पे हांक रहे थे। इन तीनों में एक बुजुर्ग भी शामिल था। जिक्र लोकसभा चुनावों के नतीजों का ही था। दोनों कार्यकर्ताओं के सामने कांग्रेस के बड़े नेताओं द्वारा की जा रही बयानबाजी पर बुजुर्ग ने गुस्सा जाहिर किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी राफेल-राफेल चिल्ला रहे हैं। आम आदमी की समस्या का ही जिक्र करना चाहिए। गांव, गली, किसान, मजदूर की समस्याओं का उल्लेख करके यह बताना चाहिए कि अगर कांग्रेस की सरकार बनी तो इन मुद्दों पर क्या किया जाएगा। कांग्रेस कार्यकर्ता डेविड विक्टर और कुलबीर सोहेल ने कहा कि यह तो मोदी लहर थी। कांग्रेस ने हमेशा आम जनता के हित में योजनाएं चलाई हैं। दो दिन पहले यहां कार्यकर्ताओं का जमघट लगा रहता था। पिछले एक माह से कांग्रेस भवन भरा-भरा रहता था। दिनभर में यहां हजारों लोग आते-जाते रहते थे। चुनाव प्रचार के लिए ड्यूटी दे रहे कार्यकर्ताओं की भी भारी-भरकम फौज यहां आती थी, जो विभिन्न खर्चों का भुगतान करने या हलके की रिपोर्ट देने आती थी।
दोपहर 2 बजे : भाजपा कार्यालय पर नहीं मिली चहल-पहल
दोपहर दो बजे पारिजात चौक के पास स्थित सुशीला भवन में बने भाजपा कार्यालय पर शांति छाई थी। इस भवन के मुख्य द्वार पर अभी भी भाजपा जिला कार्यालय का बोर्ड लगा है, मगर जब अंदर जाकर देखा गया तो भवन के अंदर के दरवाजों पर ताला लटका हुआ था। सुशीला भवन की शांति कुछ यूं बयां कर रही थी कि यहां मानो कुछ हुआ ही न हो। सुशीला भवन के दो सफाई कर्मचारी फर्श पर ही लेटकर नींद ले रहे थे। यहां पर इन दो के अलावा कोई व्यक्ति दिखाई नहीं दिया। चुनाव के दौरान पिछले करीब एक माह से सुशीला भवन में पूरी चहल-पहल थी। राज्यसभा सांसदों से लेकर विधायकों और बड़े-बड़े नेताओं का रोजाना आवागमन लगा रहता था। आलम यह था कि दिन की बात तलो दूर रात में भी यहां शांति नहीं थी और कार्यकर्ताओं व नेताओं का आवागमन निरंतर जारी रहता था। करीब एक माह तक यहां यही स्थिति रही थी। दिनभर भंडारा चलता था, जिसमें कार्यकर्ताओं नाश्ता और दोपहर व रात का भोजन यहीं करते थे। चाय तो 24 घंटे खुली चलती थी।
दोपहर 2:45 बजे : दुष्यंत चौटाला की कोठी पर नहीं मिली रौनक
दोपहर पौने 3 बजे का समय। अर्बन एस्टेट-टू स्थित पूर्व सांसद दुष्यंत चौटाला का आवास। आवास पर सिर्फ एक कंप्यूटर ऑपरेटर मिला। पूछने पर उसने बताया कि आज तो यहां कोई नहीं आया। आवास के बाहर गाड़ियों का रेला लगा रहता है, लेकिन आज एक भी गाड़ी खड़ी नजर नहीं आई। इसके बाद आवास के साथ लगते पार्क में जाकर देखा गया तो चार युवक हुक्का गुड़गुड़ा रहे थे। उनमें दुष्यंत चौटाला की हार का दर्द साफ दिख रहा था। चारों ने एक स्वर में कहा कि काम के बदले भी वोट नहीं मिल रहे। हमारे नेता ने हिसार क्षेत्र में खूब काम करवाए, लेकिन जनता मोदी की लहर में आ गई। अब चुना गया नया सांसद तो हिसार की जनता को ढूंढे भी नहीं मिलेगा, जबकि दुष्यंत सबके बीच में रहे हैं और आगे भी रहेंगे।
यहां पर अकसर रौनक दिखाई देती है। पिछले डेढ़ माह से तो यह रौनक दोगुनी हो गई थी यानी पिछले डेढ़ से चुनाव प्रचार में जुटे दुष्यंत व उसके कार्यकर्ताओं का यहां आना-जाना बढ़ गया था। हालांकि पार्टी कार्यालय सेक्टर 9-11 में बनाया गया था और भी कार्यकर्ताओं की खासी भीड़ उमड़ी रहती थी, लेकिन कोठी की भीड़ टूटने का नाम नहीं लेती।