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शिवरात्रि के पर्व पर रविवार को जलाभिषेक करने के लिए पौराणिक शिवालयों में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। हर-हर, बम-बम के जयकारों व ओम नम: शिवाय के महामंत्र के बीच भक्तों ने जलाभिषेक कर दूध, भांग, धतूरा, मंदार आदि अर्पित कर भगवान शिव से मन्नत मांगी। देर शाम तक जलाभिषेक के लिए भक्त शिवालयों में आते रहे। पूरा वातावरण शिवमय बना रहा। पौराणिक शिवालयों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जगह-जगह पुलिस बल तैनात रहा। पुराने सिविल अस्पताल स्थित पुराने शिव मंदिर में भी वैदिक मंत्रों के बीच भगवान शिव का विधि-विधान से पूजन हुआ। इसके साथ ही जट्टां वाला मंदिर, दुख भजनी मंदिर, सेक्टर 7 स्थित नील कंठ मंदिर, जगाधरी गेट पुली स्थित शिव मंदिर व अन्य मंदिरों में यही दृश्य दिखाई दिया।
मास्क पहने दिखे भक्त, घर से लाए जल
कोरोना महामारी के बीच भक्तजनों ने मंदिर में प्रवेश से पूर्व मास्क लगाया हुआ था। वहीं जो भक्त बिना मास्क लगाए मंदिर में प्रवेश कर रहे थे। उन्हें पुजारी पहले मास्क लगाने के लिए कह रहे थे। वहीं भगवान शिव का जलाभिषेक भी वहीं भक्त कर रहे थे जो अपने घर से जल का लोटा लेकर आए थे। जबकि मंदिर परिसर में रखे सभी लोटों को पहले ही पुजारियों ने हटा दिया था। जिससे कि कोई एक ही लौटे को बार बार हाथ न लगाए।
शिवरात्रि के पर्व पर रविवार को जलाभिषेक करने के लिए पौराणिक शिवालयों में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। हर-हर, बम-बम के जयकारों व ओम नम: शिवाय के महामंत्र के बीच भक्तों ने जलाभिषेक कर दूध, भांग, धतूरा, मंदार आदि अर्पित कर भगवान शिव से मन्नत मांगी। देर शाम तक जलाभिषेक के लिए भक्त शिवालयों में आते रहे। पूरा वातावरण शिवमय बना रहा। पौराणिक शिवालयों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जगह-जगह पुलिस बल तैनात रहा। पुराने सिविल अस्पताल स्थित पुराने शिव मंदिर में भी वैदिक मंत्रों के बीच भगवान शिव का विधि-विधान से पूजन हुआ। इसके साथ ही जट्टां वाला मंदिर, दुख भजनी मंदिर, सेक्टर 7 स्थित नील कंठ मंदिर, जगाधरी गेट पुली स्थित शिव मंदिर व अन्य मंदिरों में यही दृश्य दिखाई दिया।
मास्क पहने दिखे भक्त, घर से लाए जल
कोरोना महामारी के बीच भक्तजनों ने मंदिर में प्रवेश से पूर्व मास्क लगाया हुआ था। वहीं जो भक्त बिना मास्क लगाए मंदिर में प्रवेश कर रहे थे। उन्हें पुजारी पहले मास्क लगाने के लिए कह रहे थे। वहीं भगवान शिव का जलाभिषेक भी वहीं भक्त कर रहे थे जो अपने घर से जल का लोटा लेकर आए थे। जबकि मंदिर परिसर में रखे सभी लोटों को पहले ही पुजारियों ने हटा दिया था। जिससे कि कोई एक ही लौटे को बार बार हाथ न लगाए।