डॉ. एस शंकर नारायण
- फोटो : अमर उजाला
सीमा पर तैनात जवानों को न सिर्फ दुश्मनों की गोलियों से बचाने, बल्कि जवानों को लंबी उम्र देने के लिए दिल्ली आए एक वरिष्ठ डॉक्टर भी होटल अर्पित पैलेस में आग की लपटों का शिकार हो गए। तमिलनाडू के तिरुचिरापल्ली निवासी दंत सर्जन डॉ. एस शंकर नारायण सोमवार रात ही दिल्ली आए थे। मंगलवार को उन्हें एक रिसर्च के साथ रक्षामंत्री निर्मला सीता रमण से मिलना था। इस रिसर्च को हाल ही में अमेरिकी एफडीए ने मंजूरी दी है। उसी के आधार पर डॉ. शंकर नारायण इसे भारतीय सेना के लिए इस्तेमाल में लाना चाहते थे।
डॉ. शंकर नारायण के साथी डॉ. वीआर रवि ने बताया कि ड्राई प्लाज्मा प्रोजेक्ट के लिए वे दोनों दिल्ली आए थे। चूंकि डॉ. वीआर रवि मंगलवार को दिल्ली आए और उन्होंने एयरपोर्ट पर आने के बाद फोन किया। बार-बार फोन नहीं उठने पर वे सीधा होटल पहुंचे, जहां उन्हें पूरी घटना की जानकारी मिली। इसके बाद उन्होंने पुलिस से संपर्क के बाद परिजनों को सूचना दी। बुधवार को आरएमएल में परिजनों के पहुंचने के बाद डॉ. शंकर नारायण का पोस्टमार्टम हुआ।
ऐसे बच सकती है जवान की जान
डॉ. रवि ने बताया कि पिछले वर्ष मार्च में तमिलनाडू दौरे पर आईं रक्षा मंत्री से डॉ. शंकर नारायण ने प्रोजेक्ट के तहत मुलाकात की थी। दरअसल इस प्रोजेक्ट का नाम है फ्रिज्ड ड्राई प्लाज्मा डिवाइस। दावा है कि ड्राई प्लाज्मा को रखने से सैन्य जवानों को गोली लगने के बाद होने वाले रक्त स्त्राव को रोका जा सकता है।
फ्रीज ड्राई प्लाज्मा उपकरण जवान को घायल होने की स्थिति में तत्काल प्लाज्मा दे सकती है। ताकि अस्पताल पहुंचने तक जवान को पूरा समय मिल सके और रक्त की कमी शरीर में न हो। उन्होंने बताया कि कुछ ही समय पहले इसी प्रोजेक्ट को अमेरिकी सैन्य ने भी इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। अमेरिका में जल्द ही एंबुलेंस, अस्पतालों के आपातकालीन विभाग और हेलीकॉप्टर में उपलब्ध भी कराए जाने की योजना है।
आम जनता के लिए भी होगा फायदेमंद
प्लाज्मा को पानी के साथ रख उसे पहले ड्राई यानि सूखा रखते हैं। जब भी इसे इस्तेमाल में लाना है तो फिर से इसे उपकरण में पानी के संपर्क में लाते हैं। फिर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। आम जनता के लिए भी ये उपयोगी हो सकता है
सीमा पर तैनात जवानों को न सिर्फ दुश्मनों की गोलियों से बचाने, बल्कि जवानों को लंबी उम्र देने के लिए दिल्ली आए एक वरिष्ठ डॉक्टर भी होटल अर्पित पैलेस में आग की लपटों का शिकार हो गए। तमिलनाडू के तिरुचिरापल्ली निवासी दंत सर्जन डॉ. एस शंकर नारायण सोमवार रात ही दिल्ली आए थे। मंगलवार को उन्हें एक रिसर्च के साथ रक्षामंत्री निर्मला सीता रमण से मिलना था। इस रिसर्च को हाल ही में अमेरिकी एफडीए ने मंजूरी दी है। उसी के आधार पर डॉ. शंकर नारायण इसे भारतीय सेना के लिए इस्तेमाल में लाना चाहते थे।
डॉ. शंकर नारायण के साथी डॉ. वीआर रवि ने बताया कि ड्राई प्लाज्मा प्रोजेक्ट के लिए वे दोनों दिल्ली आए थे। चूंकि डॉ. वीआर रवि मंगलवार को दिल्ली आए और उन्होंने एयरपोर्ट पर आने के बाद फोन किया। बार-बार फोन नहीं उठने पर वे सीधा होटल पहुंचे, जहां उन्हें पूरी घटना की जानकारी मिली। इसके बाद उन्होंने पुलिस से संपर्क के बाद परिजनों को सूचना दी। बुधवार को आरएमएल में परिजनों के पहुंचने के बाद डॉ. शंकर नारायण का पोस्टमार्टम हुआ।
ऐसे बच सकती है जवान की जान
डॉ. रवि ने बताया कि पिछले वर्ष मार्च में तमिलनाडू दौरे पर आईं रक्षा मंत्री से डॉ. शंकर नारायण ने प्रोजेक्ट के तहत मुलाकात की थी। दरअसल इस प्रोजेक्ट का नाम है फ्रिज्ड ड्राई प्लाज्मा डिवाइस। दावा है कि ड्राई प्लाज्मा को रखने से सैन्य जवानों को गोली लगने के बाद होने वाले रक्त स्त्राव को रोका जा सकता है।
फ्रीज ड्राई प्लाज्मा उपकरण जवान को घायल होने की स्थिति में तत्काल प्लाज्मा दे सकती है। ताकि अस्पताल पहुंचने तक जवान को पूरा समय मिल सके और रक्त की कमी शरीर में न हो। उन्होंने बताया कि कुछ ही समय पहले इसी प्रोजेक्ट को अमेरिकी सैन्य ने भी इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। अमेरिका में जल्द ही एंबुलेंस, अस्पतालों के आपातकालीन विभाग और हेलीकॉप्टर में उपलब्ध भी कराए जाने की योजना है।
आम जनता के लिए भी होगा फायदेमंद
प्लाज्मा को पानी के साथ रख उसे पहले ड्राई यानि सूखा रखते हैं। जब भी इसे इस्तेमाल में लाना है तो फिर से इसे उपकरण में पानी के संपर्क में लाते हैं। फिर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। आम जनता के लिए भी ये उपयोगी हो सकता है