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Punjab government will cancel case filed against farmers who agitating against farm laws
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बड़ा फैसला: कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों पर दर्ज केस होंगे रद्द, पराली जलाने के मामले भी होंगे वापस
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: ajay kumar
Updated Thu, 18 Nov 2021 12:02 AM IST
सार
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि संयुक्त मोर्चा पंजाब और पंजाब के किसानों के लिए बहुत बड़ी लड़ाई लड़ रहा है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि पंजाब सरकार हर स्तर पर संयुक्त मोर्चा के साथ हैं। अगर मोर्चा कहे तो हम इस्तीफा देकर भी उनके साथ जाने के तैयार हैं और सरकार मोर्चा की हरसंभव मदद जारी रखेगी।
पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी
- फोटो : एएनआई
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केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जारी संघर्ष के दौरान पंजाब में किसानों पर दर्ज सभी केस रद्द किए जाएंगे। यह एलान बुधवार को पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने 32 किसान संगठनों के साथ बैठक के बाद किया। उन्होंने आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों व मजदूरों के परिजनों को सरकारी नौकरी व तय मुआवजा देने के लिए संयुक्त मोर्चा से सूची मांग ली है।
मुख्यमंत्री ने यह भी एलान किया कि पंजाब के सरकारी दफ्तरों में केवल पंजाबियों को ही नौकरी देने के लिए राज्य सरकार एक हफ्ते में नया कानून ला रही है। पंजाब भवन में संयुक्त मोर्चा के साथ बैठक के बाद प्रेस वार्ता में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने किसानों के हित में कई अन्य बड़े एलान किए। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की पूर्ण कर्जमाफी की मांग पर किसान यूनियनों के साथ बैठकर में विचार-विमर्श किया जाएगा और उसके आधार पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि यूनियनों की बाकी 17 मांगों को मान लिया गया है। इसके तहत, राज्य में पराली जलाने को लेकर अब तक किसानों पर जितने भी केस दर्ज किए गए हैं, उन सभी को रद्द करने का फैसला लिया गया है। इसके साथ ही किसानों से भविष्य में पराली न जलाने की अपील भी की।
बठिंडा क्षेत्र में गुलाबी सूंडी के कारण खराब हुई कपास की फसल के लिए 12000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा राशि को बढ़ाकर 17000 रुपये करने की घोषणा की। जिन कपास किसानों की 75 फीसदी फसल खराब हुई है, उन्हें अब बाकी पांच हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि कपास की चुगाई करने वाले मजदूरों को भी 10 फीसदी मुआवजा दिया गया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार ने गन्ने का दाम 310 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 360 रुपये कर दिया है। इस तरह बढ़ाए गए 50 रुपये में से 35 रुपये सरकार और 15 रुपये चीनी मिलें अदा करेंगी। बढ़ी हुई राशि की किसानों को काउंटर पेमेंट की जाएगी। वहीं, राज्य में एपी स्कीम के तहत सब्जी उगाने वाले किसानों द्वारा किए 500 बिजली के मीटर भी सरकार ने फ्री कर दिए हैं और खेतों को पानी देने में आने वाला बिजली का बिल भी माफ कर दिया है।
तीनों काले कानूनों की बुनियाद अकालियों के लाए कानून थे
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2013 में तत्कालीन अकाली-भाजपा सरकार ने तीनों कृषि कानूनों से मिलता-जुलता कानून पास किया था। तीनों काले कानूनों की बुनियाद भी अकालियों द्वारा लाया कानून ही है, इसलिए कांग्रेस सरकार ने उस कानून को रद्द कर दिया है, जो किसानों को कांट्रैक्ट खेती के नाम पर बड़े घरानों की कठपुतली बना रहा था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस साल धान की बहुत अच्छी पैदावार हुई है और सरकार पूरी फसल अगले 3-4 दिन में खरीद लेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते 20 सालों में यह पहला अवसर है जब किसानों को मंडियों में धान खरीद में कोई कठिनाई नहीं हुई और उन्हें समय पर भुगतान भी हुआ।
पंजाब में लागू नहीं हो सकेंगे तीनों कृषि कानून
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली विधानसभा में किसान यूनियनों द्वारा सरकार से मांग की गई थी कि तीन काले कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव लाया जाए, उसे स्वीकार करते हुए सरकार ने प्रस्ताव ही पारित नहीं किया बल्कि उसमें दो लाइनें यह जोड़ दी हैं कि पूरा सदन और सारे विधायक सर्वसम्मति से सरकार को हिदायत करते हैं कि यह कानून पंजाब में लागू न किए जाएं। इसके चलते अब पंजाब में यह कानून लागू नहीं हो सकेंगे।
विस्तार
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जारी संघर्ष के दौरान पंजाब में किसानों पर दर्ज सभी केस रद्द किए जाएंगे। यह एलान बुधवार को पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने 32 किसान संगठनों के साथ बैठक के बाद किया। उन्होंने आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों व मजदूरों के परिजनों को सरकारी नौकरी व तय मुआवजा देने के लिए संयुक्त मोर्चा से सूची मांग ली है।
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मुख्यमंत्री ने यह भी एलान किया कि पंजाब के सरकारी दफ्तरों में केवल पंजाबियों को ही नौकरी देने के लिए राज्य सरकार एक हफ्ते में नया कानून ला रही है। पंजाब भवन में संयुक्त मोर्चा के साथ बैठक के बाद प्रेस वार्ता में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने किसानों के हित में कई अन्य बड़े एलान किए। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की पूर्ण कर्जमाफी की मांग पर किसान यूनियनों के साथ बैठकर में विचार-विमर्श किया जाएगा और उसके आधार पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि यूनियनों की बाकी 17 मांगों को मान लिया गया है। इसके तहत, राज्य में पराली जलाने को लेकर अब तक किसानों पर जितने भी केस दर्ज किए गए हैं, उन सभी को रद्द करने का फैसला लिया गया है। इसके साथ ही किसानों से भविष्य में पराली न जलाने की अपील भी की।
बठिंडा क्षेत्र में गुलाबी सूंडी के कारण खराब हुई कपास की फसल के लिए 12000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा राशि को बढ़ाकर 17000 रुपये करने की घोषणा की। जिन कपास किसानों की 75 फीसदी फसल खराब हुई है, उन्हें अब बाकी पांच हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि कपास की चुगाई करने वाले मजदूरों को भी 10 फीसदी मुआवजा दिया गया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार ने गन्ने का दाम 310 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 360 रुपये कर दिया है। इस तरह बढ़ाए गए 50 रुपये में से 35 रुपये सरकार और 15 रुपये चीनी मिलें अदा करेंगी। बढ़ी हुई राशि की किसानों को काउंटर पेमेंट की जाएगी। वहीं, राज्य में एपी स्कीम के तहत सब्जी उगाने वाले किसानों द्वारा किए 500 बिजली के मीटर भी सरकार ने फ्री कर दिए हैं और खेतों को पानी देने में आने वाला बिजली का बिल भी माफ कर दिया है।
तीनों काले कानूनों की बुनियाद अकालियों के लाए कानून थे
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2013 में तत्कालीन अकाली-भाजपा सरकार ने तीनों कृषि कानूनों से मिलता-जुलता कानून पास किया था। तीनों काले कानूनों की बुनियाद भी अकालियों द्वारा लाया कानून ही है, इसलिए कांग्रेस सरकार ने उस कानून को रद्द कर दिया है, जो किसानों को कांट्रैक्ट खेती के नाम पर बड़े घरानों की कठपुतली बना रहा था।
धान की सारी फसल चार दिन में खरीद लेंगे
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस साल धान की बहुत अच्छी पैदावार हुई है और सरकार पूरी फसल अगले 3-4 दिन में खरीद लेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते 20 सालों में यह पहला अवसर है जब किसानों को मंडियों में धान खरीद में कोई कठिनाई नहीं हुई और उन्हें समय पर भुगतान भी हुआ।
पंजाब में लागू नहीं हो सकेंगे तीनों कृषि कानून
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली विधानसभा में किसान यूनियनों द्वारा सरकार से मांग की गई थी कि तीन काले कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव लाया जाए, उसे स्वीकार करते हुए सरकार ने प्रस्ताव ही पारित नहीं किया बल्कि उसमें दो लाइनें यह जोड़ दी हैं कि पूरा सदन और सारे विधायक सर्वसम्मति से सरकार को हिदायत करते हैं कि यह कानून पंजाब में लागू न किए जाएं। इसके चलते अब पंजाब में यह कानून लागू नहीं हो सकेंगे।
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