अशोक नीर, अमर उजाला, अमृतसर (पंजाब)
Updated Wed, 28 Oct 2020 12:47 PM IST
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24 अक्तूबर को एसजीपीसी टास्क फोर्स और सतिकार कमेटी के सदस्यों के बीच हुए टकराव की पटकथा पहले ही लिख दी गई थी। एसजीपीसी को आशंका थी कि धरने में शामिल हो रहे उग्रपंथियों द्वारा की जा रही उकसावे की कार्रवाई से कभी भी टकराव पैदा हो सकता है। इस टकराव को रोकने और सिखों की धार्मिक भावनाओं के साथ जुड़े इस मुद्दे के हल के लिए एसजीपीसी ने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह से फरियाद की थी।
इसके बाद पिछले सप्ताह ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने इस मामले के हल के लिए सिख संगठनों और एसजीपीसी पदाधिकारियों के साथ एक बैठक बुलाई थी। बैठक में जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के साथ सुखजीत सिंह खोसा, निहंग सिंह नेता राजा राज सिंह और एसजीपीसी के सचिव महिंदर सिंह अहली सहित दोनों पक्षों के कई गणमान्य लोग मौजूद थे।
सूत्रों के अनुसार इस बैठक में सिख संगठनों ने पहले तो ज्ञानी हरप्रीत सिंह को जत्थेदार के रूप में मान्यता देने से ही इंकार कर दिया। संगठनों ने कहा कि कौम के जत्थेदार भाई जगतार सिंह हवारा हैं। इस पर जत्थेदार ने कहा कि वह उन्हें मान्यता देते हैं या नहीं, सवाल यह नहीं है। मामला सिखों की मानसिकता के साथ जुड़ा है।
इस अति संवेदनशील मामले का हल मिल बैठकर ही निकाला जा सकता है। सिख संगठन इस बात पर अड़े थे कि लापता पावन स्वरूपों के मामले में आरोपी एसजीपीसी कर्मचारियों और अधिकारियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाए। इस पर ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि सिख संगठन जिन अधिकारियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई चाहते हैं, उनके नाम लिखकर उन्हें एक पत्र दें।
वह इस पत्र के आधार पर कार्रवाई करने के लिए एसजीपीसी को निर्देश देंगे। इस पर सिख संगठनों ने हामी भरी थी कि वह जल्द पत्र लिखेंगे हालांकि कई दिन बीत जाने के बाद भी जब श्री अकाल तख्त को कोई पत्र नहीं मिला तो एक बार फिर एसजीपीसी व सिख संगठनों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू किया गया। लेकिन इसका भी कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला।
जानकारी के अनुसार, एसजीपीसी परिसर में धरने पर बैठे इन संगठनों के नेता सुखजीत सिंह खोसा सहित अन्य सदस्यों पर सीसीटीवी कैमरों से निगाह रखी जा रही थी। धरने में कौन-कौन लोग शामिल हो रहे हैं, एसजीपीसी उनकी सूची तक बना रही थी।
इस बात को लेकर दोनों पक्षों में कटुता बढ़ती जा रही थी। खोसा ने शनिवार को जब एसजीपीसी दफ्तर के मुख्य गेट के बाहर ताला लगाया तो एसजीपीसी ने पहले बातचीत कर समझाने का प्रयास किया लेकिन सिख संगठन नहीं माने और फिर जो टकराव हुआ वह सिख इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया।
सिख संगठनों और एसजीपीसी के बीच बैठक हुई थी : प्रो. बलजिंदर सिंह
समानांतर जत्थेदार भाई जगतार सिंह हवारा कमेटी के प्रवक्ता प्रो. बलजिंदर सिंह ने इस बात को स्वीकार किया कि कुछ दिन पहले सिख संगठनों और जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के बीच एक बैठक हुई थी। उनके अनुसार जत्थेदार ने संगठनों से उनकी मांगें लिखित में मांगी थी लेकिन सतिकार कमेटी ने इंकार कर दिया था।
सिख संगठन के एक अन्य नेता भाई परमजीत सिंह अकाली ने कहा कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह, एसजीपीसी अधिकारियों और सुखजीत सिंह खोसा के बीच एक बैठक हुई थी। चूंकि वह इस बैठक में शामिल नहीं थे, इसलिए उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि बैठक में क्या फैसले हुए थे।
24 अक्तूबर को एसजीपीसी टास्क फोर्स और सतिकार कमेटी के सदस्यों के बीच हुए टकराव की पटकथा पहले ही लिख दी गई थी। एसजीपीसी को आशंका थी कि धरने में शामिल हो रहे उग्रपंथियों द्वारा की जा रही उकसावे की कार्रवाई से कभी भी टकराव पैदा हो सकता है। इस टकराव को रोकने और सिखों की धार्मिक भावनाओं के साथ जुड़े इस मुद्दे के हल के लिए एसजीपीसी ने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह से फरियाद की थी।
इसके बाद पिछले सप्ताह ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने इस मामले के हल के लिए सिख संगठनों और एसजीपीसी पदाधिकारियों के साथ एक बैठक बुलाई थी। बैठक में जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के साथ सुखजीत सिंह खोसा, निहंग सिंह नेता राजा राज सिंह और एसजीपीसी के सचिव महिंदर सिंह अहली सहित दोनों पक्षों के कई गणमान्य लोग मौजूद थे।
सूत्रों के अनुसार इस बैठक में सिख संगठनों ने पहले तो ज्ञानी हरप्रीत सिंह को जत्थेदार के रूप में मान्यता देने से ही इंकार कर दिया। संगठनों ने कहा कि कौम के जत्थेदार भाई जगतार सिंह हवारा हैं। इस पर जत्थेदार ने कहा कि वह उन्हें मान्यता देते हैं या नहीं, सवाल यह नहीं है। मामला सिखों की मानसिकता के साथ जुड़ा है।
इस अति संवेदनशील मामले का हल मिल बैठकर ही निकाला जा सकता है। सिख संगठन इस बात पर अड़े थे कि लापता पावन स्वरूपों के मामले में आरोपी एसजीपीसी कर्मचारियों और अधिकारियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाए। इस पर ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि सिख संगठन जिन अधिकारियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई चाहते हैं, उनके नाम लिखकर उन्हें एक पत्र दें।
वह इस पत्र के आधार पर कार्रवाई करने के लिए एसजीपीसी को निर्देश देंगे। इस पर सिख संगठनों ने हामी भरी थी कि वह जल्द पत्र लिखेंगे हालांकि कई दिन बीत जाने के बाद भी जब श्री अकाल तख्त को कोई पत्र नहीं मिला तो एक बार फिर एसजीपीसी व सिख संगठनों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू किया गया। लेकिन इसका भी कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला।
जानकारी के अनुसार, एसजीपीसी परिसर में धरने पर बैठे इन संगठनों के नेता सुखजीत सिंह खोसा सहित अन्य सदस्यों पर सीसीटीवी कैमरों से निगाह रखी जा रही थी। धरने में कौन-कौन लोग शामिल हो रहे हैं, एसजीपीसी उनकी सूची तक बना रही थी।
इस बात को लेकर दोनों पक्षों में कटुता बढ़ती जा रही थी। खोसा ने शनिवार को जब एसजीपीसी दफ्तर के मुख्य गेट के बाहर ताला लगाया तो एसजीपीसी ने पहले बातचीत कर समझाने का प्रयास किया लेकिन सिख संगठन नहीं माने और फिर जो टकराव हुआ वह सिख इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया।
सिख संगठनों और एसजीपीसी के बीच बैठक हुई थी : प्रो. बलजिंदर सिंह
समानांतर जत्थेदार भाई जगतार सिंह हवारा कमेटी के प्रवक्ता प्रो. बलजिंदर सिंह ने इस बात को स्वीकार किया कि कुछ दिन पहले सिख संगठनों और जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के बीच एक बैठक हुई थी। उनके अनुसार जत्थेदार ने संगठनों से उनकी मांगें लिखित में मांगी थी लेकिन सतिकार कमेटी ने इंकार कर दिया था।
सिख संगठन के एक अन्य नेता भाई परमजीत सिंह अकाली ने कहा कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह, एसजीपीसी अधिकारियों और सुखजीत सिंह खोसा के बीच एक बैठक हुई थी। चूंकि वह इस बैठक में शामिल नहीं थे, इसलिए उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि बैठक में क्या फैसले हुए थे।