विवेक शर्मा, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: ajay kumar
Updated Sat, 13 Mar 2021 04:03 AM IST
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सुरक्षा से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान स्पष्ट कर दिया कि मुस्लिम लड़की की हिंदू लड़के से शादी को वैध नहीं माना जा सकता। हालांकि हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि दोनो बालिग हैं और ऐसे में शादी की तरह वे सहमति संबंध (लिव इन रिलेशनशिप) में रह सकते हैं। याचिका दाखिल करते हुए प्रेमी जोड़े ने हाईकोर्ट को बताया कि 18 वर्षीय लड़की मुस्लिम है और हिंदू लड़के की आयु 25 वर्ष है।
दोनों ने हिंदू रीति- रिवाज से 15 जनवरी को शिव मंदिर में विवाह किया था। विवाह के बाद से ही दोनों को उनके परिवार वालों से जान का खतरा है। अपनी जान की सुरक्षा के लिए याचिकाकर्ताओं ने अंबाला के एसपी से भी गुहार लगाई थी लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया। इसके बाद अब याची के पास हाईकोर्ट के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं बचा।
हाईकोर्ट ने कहा कि मुस्लिम लड़की का हिंदू लड़के से विवाह कानूनी रूप से वैध नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा कि जब तक लड़की हिंदू धर्म अपनाकर रीति- रिवाज से विवाह न कर ले तब तक शादी को अवैध माना जाता है। इस मामले में लड़की ने अपना धर्म परिवर्तन नहीं किया है और ऐसे में इस विवाह को हिंदू विवाह अधिनियम के तहत वैध नहीं माना जा सकता है। हालांकि हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि दोनों बालिग हैं और विवाह वैध न होने पर भी वह विवाहितों की तरह सहमति संबंध में रह सकते हैं। हाईकोर्ट ने अब अंबाला के एसपी को आदेश दिया है कि वह सुरक्षा से जुड़ी याचिकाकर्ताओं की मांग पर जल्द से जल्द निर्णय फैसला करें।
विस्तार
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सुरक्षा से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान स्पष्ट कर दिया कि मुस्लिम लड़की की हिंदू लड़के से शादी को वैध नहीं माना जा सकता। हालांकि हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि दोनो बालिग हैं और ऐसे में शादी की तरह वे सहमति संबंध (लिव इन रिलेशनशिप) में रह सकते हैं। याचिका दाखिल करते हुए प्रेमी जोड़े ने हाईकोर्ट को बताया कि 18 वर्षीय लड़की मुस्लिम है और हिंदू लड़के की आयु 25 वर्ष है।
दोनों ने हिंदू रीति- रिवाज से 15 जनवरी को शिव मंदिर में विवाह किया था। विवाह के बाद से ही दोनों को उनके परिवार वालों से जान का खतरा है। अपनी जान की सुरक्षा के लिए याचिकाकर्ताओं ने अंबाला के एसपी से भी गुहार लगाई थी लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया। इसके बाद अब याची के पास हाईकोर्ट के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं बचा।
हाईकोर्ट ने कहा कि मुस्लिम लड़की का हिंदू लड़के से विवाह कानूनी रूप से वैध नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा कि जब तक लड़की हिंदू धर्म अपनाकर रीति- रिवाज से विवाह न कर ले तब तक शादी को अवैध माना जाता है। इस मामले में लड़की ने अपना धर्म परिवर्तन नहीं किया है और ऐसे में इस विवाह को हिंदू विवाह अधिनियम के तहत वैध नहीं माना जा सकता है। हालांकि हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि दोनों बालिग हैं और विवाह वैध न होने पर भी वह विवाहितों की तरह सहमति संबंध में रह सकते हैं। हाईकोर्ट ने अब अंबाला के एसपी को आदेश दिया है कि वह सुरक्षा से जुड़ी याचिकाकर्ताओं की मांग पर जल्द से जल्द निर्णय फैसला करें।