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अब एयरफोर्स स्टेशनों की सूचनाएं और डेटा आसानी से लीक नहीं होंगे। सूचनाओं व डेटा के आदान-प्रदान का सिस्टम मजबूत करने की तैयारी हो गई है।
हाईकमान और अन्य स्रोतों से डिजिटल रूप से सूचनाओं व डेटा के आदान-प्रदान का सिस्टम अब इस कदर मजबूत होगा कि यदि एयरफोर्स की गोपनीय सूचनाएं व डेटा लीक होती हैं तो तुरंत पकड़ में आ जाएंगी।
इतना ही नहीं एयरफोर्स स्टेशन में अलार्म बजने लगेंगे। अलार्म सिस्टम को तो भले ही मैनुअली बंद कर दिया जाएगा, लेकिन जब तक पकड़ में आई गड़बड़ी की वजह से डिस्टर्ब हुआ डिजिटल एरर दुरुस्त नहीं होगा, तब तक विजुअल फ्लैश होता रहेगा।
इस तकनीक को खास इंडियन एयरफोर्स के लिए अंबाला के संस्थान एलिंको इन्नोवेशन ने तैयार किया है और विभिन्न एयरफोर्स स्टेशनों में इस तकनीक के जरिये काम होना है।
इस वक्त पड़ोसी देश की सीमाओं पर जिस तरह का तनाव चल रहा है और जिस तरह से आतंकियों ने पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन को निशाना बनाया, ऐसे हालात को देखते हुए सुरक्षा को चाक-चौबंद बनाया जा रहा है।
तनाव की स्थिति में दुश्मन की ओर किसी भी तरीके से इंडियन एयरफोर्स व आर्मी की गोपनीय सूचनाओं व मूवमेंट संबंधी सूचनाओं की जासूसी करवाने की प्रबल आशंका रहती है। अंबाला सैन्य क्षेत्र में पहले भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं।
अब सुरक्षा दुरुस्त करने के लिए एयरफोर्स स्टेशनों में एक विशेष प्रकार के डॉटा रिकार्डिंग एंड एनॉलिसिस कंट्रोल रूम बनाएं जाएंगे। इसमें कई तरह के ऐसे सिस्टम फिट किए जाएंगे, जिससे सूचनाओं व डेटा के आदान-प्रदान जैसे ही कोई गड़बड़ी होती है तो वह तुरंत रीयल टाइम यानी उसी वक्त एकदम फौरन पकड़ में आएगी।
तमाम रिकार्ड और सूचनाएं इसी सिस्टम पर बेस होंगी। सिस्टम पर ही सूचनाओं का रिकार्ड रखा जाएगा और वहीं सूचनाओं व डेटा का विश्लेषण (एनॉलसिस) भी किया जाएगा। इसमें सब कुछ डिजिटलाइज होगा।
पहले ये काम मैनुअली होता था और एयरफोर्स स्टेशनों के भीतर कई जगह तैनाती भी करती पड़ती थी। अब गोपनीय सूचनाओं व डेटा पर खास तरह के कंट्रोल रूम से ही निगरानी होगी और गड़बड़ी भी वहीं से फौरन पकड़ी जाएगी।
संस्थान के विशेषज्ञ रामाकांत बताते हैं कि एयरफोर्स के विशेष आग्रह पर इस तकनीक को तैयार किया गया था और इसके लिए एयरफोर्स ने प्रशंसनीय प्रपत्र भी जारी किया है।
अब एयरफोर्स स्टेशनों की सूचनाएं और डेटा आसानी से लीक नहीं होंगे। सूचनाओं व डेटा के आदान-प्रदान का सिस्टम मजबूत करने की तैयारी हो गई है।
हाईकमान और अन्य स्रोतों से डिजिटल रूप से सूचनाओं व डेटा के आदान-प्रदान का सिस्टम अब इस कदर मजबूत होगा कि यदि एयरफोर्स की गोपनीय सूचनाएं व डेटा लीक होती हैं तो तुरंत पकड़ में आ जाएंगी।
इतना ही नहीं एयरफोर्स स्टेशन में अलार्म बजने लगेंगे। अलार्म सिस्टम को तो भले ही मैनुअली बंद कर दिया जाएगा, लेकिन जब तक पकड़ में आई गड़बड़ी की वजह से डिस्टर्ब हुआ डिजिटल एरर दुरुस्त नहीं होगा, तब तक विजुअल फ्लैश होता रहेगा।
इस तकनीक को खास इंडियन एयरफोर्स के लिए अंबाला के संस्थान एलिंको इन्नोवेशन ने तैयार किया है और विभिन्न एयरफोर्स स्टेशनों में इस तकनीक के जरिये काम होना है।
खास तरह के कंट्रोल रूम होंगे स्थापित
इंडियन एयरफोर्स
इस वक्त पड़ोसी देश की सीमाओं पर जिस तरह का तनाव चल रहा है और जिस तरह से आतंकियों ने पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन को निशाना बनाया, ऐसे हालात को देखते हुए सुरक्षा को चाक-चौबंद बनाया जा रहा है।
तनाव की स्थिति में दुश्मन की ओर किसी भी तरीके से इंडियन एयरफोर्स व आर्मी की गोपनीय सूचनाओं व मूवमेंट संबंधी सूचनाओं की जासूसी करवाने की प्रबल आशंका रहती है। अंबाला सैन्य क्षेत्र में पहले भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं।
अब सुरक्षा दुरुस्त करने के लिए एयरफोर्स स्टेशनों में एक विशेष प्रकार के डॉटा रिकार्डिंग एंड एनॉलिसिस कंट्रोल रूम बनाएं जाएंगे। इसमें कई तरह के ऐसे सिस्टम फिट किए जाएंगे, जिससे सूचनाओं व डेटा के आदान-प्रदान जैसे ही कोई गड़बड़ी होती है तो वह तुरंत रीयल टाइम यानी उसी वक्त एकदम फौरन पकड़ में आएगी।
सिस्टम पर ही सूचनाओं का रिकार्ड रखा जाएगा
इंडियन एयरफोर्स
तमाम रिकार्ड और सूचनाएं इसी सिस्टम पर बेस होंगी। सिस्टम पर ही सूचनाओं का रिकार्ड रखा जाएगा और वहीं सूचनाओं व डेटा का विश्लेषण (एनॉलसिस) भी किया जाएगा। इसमें सब कुछ डिजिटलाइज होगा।
पहले ये काम मैनुअली होता था और एयरफोर्स स्टेशनों के भीतर कई जगह तैनाती भी करती पड़ती थी। अब गोपनीय सूचनाओं व डेटा पर खास तरह के कंट्रोल रूम से ही निगरानी होगी और गड़बड़ी भी वहीं से फौरन पकड़ी जाएगी।
संस्थान के विशेषज्ञ रामाकांत बताते हैं कि एयरफोर्स के विशेष आग्रह पर इस तकनीक को तैयार किया गया था और इसके लिए एयरफोर्स ने प्रशंसनीय प्रपत्र भी जारी किया है।