संवाद न्यूज एजेंसी, रेवाड़ी (हरियाणा)
Published by: ajay kumar
Updated Thu, 08 Apr 2021 10:21 PM IST
हरियाणा में साउथ रेंज रेवाड़ी साइबर थाना पुलिस ने धोखाधड़ी की अब तक की सबसे बड़ी वारदात को सुलझा लिया है। महेंद्रगढ़ जिले के गांव कांटी निवासी ओडिशा के सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दीर्घपाल सिंह चौहान के साथ पौने चार लाख रुपये की धोखाधड़ी करने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
आरोपियों की पहचान उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के मानहेरू जफरापुर निवासी रामकुमार व बाराबंकी जिले के पुरेवान तोरई निवासी शुभम के रूप में हुई। आरोपियों को कोर्ट में पेश कर दो दिन के रिमांड पर लिया गया है। साथ ही साइबर थाना पुलिस ने आरोपियों से तीन लाख रुपये की बरामदगी भी की है।
साइबर थाना पुलिस के अनुसार महेंद्रगढ़ जिले के अटेली कस्बा के गांव कांटी निवासी दीर्घपाल सिंह चौहान ओडिशा के डीजीपी रह चुके हैं। 22 फरवरी 2021 को उन्होंने साइबर थाना में अपने साथ हुई पौने चार लाख रुपये की धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया था। दीर्घपाल सिंह ने बताया था कि वे 2015 से आचार्य मनीष संस्था से आयुर्वेदिक दवाइयां खरीद रहे है।
कुछ माह पहले ही उन्होंने अपने मोबाइल से कुल 60 हजार रुपये की दवाइयां खरीदी थीं। इसी दौरान उनके मोबाइल पर हिमांशु नाम के शख्स का फोन आया खुद को संस्था से जुड़ा हुआ बताते हुए कहा कि यदि आपके गठिया या जोड़ो में आराम न हुआ तो आपको ब्याज सहित पैसे वापस कर दिए जाएंगे। इसके बाद हिमांशु ने कहा कि इसके जरिये वे अपना इंश्योरेंस क्लेम भी ले सकते हैं। जिसके क्लेम के रूप में उन्हें आठ लाख 80 हजार रुपये दिए जाएंगे।
शातिर आरोपी ने बदले में सेवानिवृत्त डीजीपी से इंश्योरेंस के प्रीमियम के 382170 रुपये अपने साथी ठग रामकुमार के खाते में डलवा लिए लेकिन उन्हें बीमा नहीं मिला। सेवानिवृत्त डीजीपी लगातार हिमांशु और राजकुमार को फोन करते रहे लेकिन दोनों के मोबाइल बंद मिले। उसके बाद उन्होंने 22 फरवरी को आरोपियों पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया।
जनवरी में ही साइबर थाना का गठन हुआ था, जिसमें रेवाड़ी जिले के अलावा महेंद्रगढ़, पलवल व नूहं जिले के साइबर क्राइम संबंधित मुकदमा दर्ज कर जांच की जाती है। थाना गठन होने के कुछ दिन बाद ही धोखाधड़ी की यह बड़ी शिकायत दर्ज हुई थी। साइबर थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने के बाद जांच में आधार कार्ड के नंबर से आरोपियों का पता लगाकर मंगलवार रात को दो आरोपियों रामकुमार व शुभम को लखनऊ से गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपियों को दो दिन के रिमांड पर लिया गया है।
शुभम ने चुराया था डाटा
साइबर थाना पुलिस की जांच में सामने आया कि आरोपी शुभम दिल्ली में कोरियर से दवाइयां सप्लाई करने का काम करता था। जिस कंपनी से रिटायर डीजीपी ने दवाइयां बुक की थीं, उसी कंपनी का डाटा निकालकर उसने धोखाधड़ी का खेल शुरू किया था। साथ ही जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी शुभम ने रामकुमार के नाम से फर्जी आईडी बनाकर धोखाधड़ी में इस्तेमाल करता था। आरोपियों के कब्जे से वो मोबाइल सिम भी बरामद कर ली गई है, जिसके जरिये उन्होंने सेवानिवृत्त डीजीपी के साथ धोखाधड़ी की थी। साथ ही तीन लाख रुपये की नकदी भी बरामद की गई है।
हरियाणा में साउथ रेंज रेवाड़ी साइबर थाना पुलिस ने धोखाधड़ी की अब तक की सबसे बड़ी वारदात को सुलझा लिया है। महेंद्रगढ़ जिले के गांव कांटी निवासी ओडिशा के सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दीर्घपाल सिंह चौहान के साथ पौने चार लाख रुपये की धोखाधड़ी करने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
आरोपियों की पहचान उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के मानहेरू जफरापुर निवासी रामकुमार व बाराबंकी जिले के पुरेवान तोरई निवासी शुभम के रूप में हुई। आरोपियों को कोर्ट में पेश कर दो दिन के रिमांड पर लिया गया है। साथ ही साइबर थाना पुलिस ने आरोपियों से तीन लाख रुपये की बरामदगी भी की है।
साइबर थाना पुलिस के अनुसार महेंद्रगढ़ जिले के अटेली कस्बा के गांव कांटी निवासी दीर्घपाल सिंह चौहान ओडिशा के डीजीपी रह चुके हैं। 22 फरवरी 2021 को उन्होंने साइबर थाना में अपने साथ हुई पौने चार लाख रुपये की धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया था। दीर्घपाल सिंह ने बताया था कि वे 2015 से आचार्य मनीष संस्था से आयुर्वेदिक दवाइयां खरीद रहे है।
कुछ माह पहले ही उन्होंने अपने मोबाइल से कुल 60 हजार रुपये की दवाइयां खरीदी थीं। इसी दौरान उनके मोबाइल पर हिमांशु नाम के शख्स का फोन आया खुद को संस्था से जुड़ा हुआ बताते हुए कहा कि यदि आपके गठिया या जोड़ो में आराम न हुआ तो आपको ब्याज सहित पैसे वापस कर दिए जाएंगे। इसके बाद हिमांशु ने कहा कि इसके जरिये वे अपना इंश्योरेंस क्लेम भी ले सकते हैं। जिसके क्लेम के रूप में उन्हें आठ लाख 80 हजार रुपये दिए जाएंगे।
शातिर आरोपी ने बदले में सेवानिवृत्त डीजीपी से इंश्योरेंस के प्रीमियम के 382170 रुपये अपने साथी ठग रामकुमार के खाते में डलवा लिए लेकिन उन्हें बीमा नहीं मिला। सेवानिवृत्त डीजीपी लगातार हिमांशु और राजकुमार को फोन करते रहे लेकिन दोनों के मोबाइल बंद मिले। उसके बाद उन्होंने 22 फरवरी को आरोपियों पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया।
आधार कार्ड के नंबर से लगाया आरोपियों का सुराग
जनवरी में ही साइबर थाना का गठन हुआ था, जिसमें रेवाड़ी जिले के अलावा महेंद्रगढ़, पलवल व नूहं जिले के साइबर क्राइम संबंधित मुकदमा दर्ज कर जांच की जाती है। थाना गठन होने के कुछ दिन बाद ही धोखाधड़ी की यह बड़ी शिकायत दर्ज हुई थी। साइबर थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने के बाद जांच में आधार कार्ड के नंबर से आरोपियों का पता लगाकर मंगलवार रात को दो आरोपियों रामकुमार व शुभम को लखनऊ से गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपियों को दो दिन के रिमांड पर लिया गया है।
शुभम ने चुराया था डाटा
साइबर थाना पुलिस की जांच में सामने आया कि आरोपी शुभम दिल्ली में कोरियर से दवाइयां सप्लाई करने का काम करता था। जिस कंपनी से रिटायर डीजीपी ने दवाइयां बुक की थीं, उसी कंपनी का डाटा निकालकर उसने धोखाधड़ी का खेल शुरू किया था। साथ ही जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी शुभम ने रामकुमार के नाम से फर्जी आईडी बनाकर धोखाधड़ी में इस्तेमाल करता था। आरोपियों के कब्जे से वो मोबाइल सिम भी बरामद कर ली गई है, जिसके जरिये उन्होंने सेवानिवृत्त डीजीपी के साथ धोखाधड़ी की थी। साथ ही तीन लाख रुपये की नकदी भी बरामद की गई है।
पुलिस ने आरोपियों को मंगलवार रात को गिरफ्तार किया था। कोर्ट में पेश कर रिमांड लिया गया था। पुलिस साइबर अपराध करने वालों को किसी भी सूरत में नहीं बख्शेगी। - ऋषिकांत, एसएचओ साइबर थाना।