पंजाब सरकार ने राज्य के उन किसानों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है, जिन्होंने खेती के नाम पर कृषि विकास बैंकों से कर्ज तो लिया लेकिन उसे वापस नहीं किया। सरकार के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 71 हजार किसानों से बैंकों के 3200 करोड़ रुपये की वसूली की जानी है, जिसके लिए कदम उठाते हुए 60000 डिफाल्टर किसानों में से 2000 के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट तैयार कर कार्रवाई शुरू कर दी है।
सरकार के इस कदम से किसान संगठन भड़क गए हैं, जबकि विपक्षी दलों ने भी सरकार पर निशाना साधा है। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने सहकारी बैंकों को कर्ज वसूली के लिए सहकारी संस्थाओं से संबंधित धारा 67ए के तहत छूट दी है कि वह कर्ज की वसूली के लिए डिफाल्टर किसानों को गिरफ्तार करा सकते हैं। इस बीच, राज्य के कई इलाकों में सहकारी बैंकों ने डिफाल्टरों पर कार्रवाई भी शुरू कर दी है।
फिरोजपुर में 11 लाख के कर्जदार किसान ने एक माह की मोहलत मांगी तो बैंक ने गिरफ्तारी रोक दी लेकिन जलालाबाद में 12 लाख के कर्जदार किसान को गिरफ्तारी के बाद तभी छोड़ा गया जब उसने कर्ज की आधी राशि जमा करा दी। जलालाबाद में 400, गुरुहरसहाय, फाजिल्का व मानसा में 200-200, फिरोजपुर में 250 किसानों के गिरफ्तारी वारंट तैयार हो चुके हैं। 60000 डिफाल्टर किसानों पर 2300 करोड़ का कर्ज बकाया है। इसे उन्होंने कई साल से वापस नहीं किया है। पिछली कांग्रेस सरकार ने भी डिफाल्टर किसानों से वसूली शुरू की थी लेकिन तब सहकारी बैंक केवल 200 करोड़ रुपये के बकाये की वसूली ही कर सके थे।
किसान संगठनों ने दी चेतावनी
संयुक्त समाज मोर्चा के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने डिफाल्टर किसानों की गिरफ्तारी का विरोध किया और कहा है कि आप सरकार ने सहकारी बैंकों के कर्जे की वसूली के लिए सहकारी संस्थानों को धारा 67ए के तहत बैंकों को यह छूट दी है। उन्होंने कहा कि राज्य में कई स्थानों पर डिफाल्टर किसानों की गिरफ्तारी शुरू हो चुकी है। किसान संगठनों ने पंजाब में सुरजीत सिंह बरनाला के मुख्यमंत्री काल में धारा 67ए को निलंबित कराया था, जिसे अब फिर से लागू कर दिया है। अगर सरकार ने किसानों की गिरफ्तारी न रोकी तो उनका संगठन चुप नहीं बैठेगा।
सहकारी बैंकों को वारंट जारी करने से रोके सरकार: शिअद
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने मुख्यमंत्री भगवंत मान से सहकारी बैंकों द्वारा डिफाल्टर किसानों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने पर रोक लगाने की मांग की है। पार्टी की ओर से जारी प्रेस बयान में डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि किसान अपनी फसल खराब होने और बिगड़ी वित्तीय स्थिति के कारण अपना कर्जा चुकाने में विफल रहे हैं।
उन्होंने हैरानी जताई कि पंजाब कृषि विकास बैंक से लिए गए कर्ज न चुकाने पर बठिंडा, मानसा, फिरोजपुर और फाजिल्का जिलों में किसानों के गिरफ्तारी वारंट जारी किए गए हैं। कर्ज न चुका पाने वाले ज्यादातर किसान कपास बेल्ट के हैं। डॉ. चीमा ने स्पष्ट किया कि प्रदेश के किसानों की गिरफ्तारी पर अकाली दल चुप नहीं बैठेगा। आप को गिरफ्तारी वारंट के बजाय किसानों को कर्ज से बाहर निकालना चाहिए।
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पंजाब सरकार ने राज्य के उन किसानों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है, जिन्होंने खेती के नाम पर कृषि विकास बैंकों से कर्ज तो लिया लेकिन उसे वापस नहीं किया। सरकार के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 71 हजार किसानों से बैंकों के 3200 करोड़ रुपये की वसूली की जानी है, जिसके लिए कदम उठाते हुए 60000 डिफाल्टर किसानों में से 2000 के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट तैयार कर कार्रवाई शुरू कर दी है।
सरकार के इस कदम से किसान संगठन भड़क गए हैं, जबकि विपक्षी दलों ने भी सरकार पर निशाना साधा है। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने सहकारी बैंकों को कर्ज वसूली के लिए सहकारी संस्थाओं से संबंधित धारा 67ए के तहत छूट दी है कि वह कर्ज की वसूली के लिए डिफाल्टर किसानों को गिरफ्तार करा सकते हैं। इस बीच, राज्य के कई इलाकों में सहकारी बैंकों ने डिफाल्टरों पर कार्रवाई भी शुरू कर दी है।
फिरोजपुर में 11 लाख के कर्जदार किसान ने एक माह की मोहलत मांगी तो बैंक ने गिरफ्तारी रोक दी लेकिन जलालाबाद में 12 लाख के कर्जदार किसान को गिरफ्तारी के बाद तभी छोड़ा गया जब उसने कर्ज की आधी राशि जमा करा दी। जलालाबाद में 400, गुरुहरसहाय, फाजिल्का व मानसा में 200-200, फिरोजपुर में 250 किसानों के गिरफ्तारी वारंट तैयार हो चुके हैं। 60000 डिफाल्टर किसानों पर 2300 करोड़ का कर्ज बकाया है। इसे उन्होंने कई साल से वापस नहीं किया है। पिछली कांग्रेस सरकार ने भी डिफाल्टर किसानों से वसूली शुरू की थी लेकिन तब सहकारी बैंक केवल 200 करोड़ रुपये के बकाये की वसूली ही कर सके थे।