चंडीगढ़। शहर के बिजली विभाग को खरीदने के लिए अडानी, टाटा समेत 9 कंपनियों ने अपनी इच्छा जताई है। इन सभी कंपनियों ने बिड में शामिल होने के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरपीएफ) फॉर्म खरीदे हैं। अब यह देखना है कि टेंडर में इनमें से कौन-कौन सी कंपनियां शामिल होती हैं। दरअसल, प्रशासन ने बीते दिनों बिजली विभाग की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए टेंडर जारी किया है।
शहर के बिजली विभाग को निजी हाथ में सौंपने के लिए यूटी प्रशासन ने 10 करोड़ रुपये बिड सिक्योरिटी रखी है। इच्छुक कंपनियां 31 दिसंबर शाम 4 बजे से पहले आवेदन कर सकती हैं। प्रशासन ने बीते दिनों रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल तैयार किया था, जिसके तहत योग्य एजेंसियों से आवेदन मांगे गए हैं। प्रशासन द्वारा जिस भी कंपनी को टेंडर दिया जाएगा, उसके पास शहर में बिजली वितरण और रिटेल सप्लाई की जिम्मेदारी होगी। इसके लिए पहले कंपनी फाइनल की जा रही है, जो बिजली विभाग की संपत्ति को अधिकृत करेगी।
बिजली विभाग के निजीकरण के लिए ट्रस्ट भी बनाई जाएगी, जो सरकारी कर्मचारियों के पेंशन दायित्वों का ध्यान रखेगी, क्योंकि यह कर्मचारी प्राइवेट कंपनी में शिफ्ट होंगे। शहर के बिजली विभाग को किस तरह से निजी हाथों में दिया जा सकता है, इसके लिए कंसलटेंट हायर करने की प्रक्रिया पिछले साल ही शुरू हो गई थी। कई बार टेंडर किए गए, जिसमें पावर फाइनेंस कारपोरेशन ने इंटरनेशनल कंपनी डेलॉएट को निजीकरण के सभी पेंच को सुलझाने का काम सौंपा था। इस कंपनी ने विभाग में काम करने वाले कर्मचारियों, पावर सप्लाई समेत कईअन्य तरह की जानकारियों को एकत्रित करके अपनी रिपोर्ट और डीपीआर सौंपी थी।
इन कंपनियों ने जताई है इच्छा
बिजली विभाग को खरीदने के लिए सीईएससी लिमिटेड, टोरेंट पावर लिमिटेड, स्टेरलाइट पावर, अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड, टाटा पावर कंपनी लिमिटेड, जीएमआर जेनरेशन एसेट लिमिटेड, इंडिया पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड, डीएनएच पावर डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन लिमिटेड और एनटीपीसी इलेक्ट्रिक सप्लाई लिमिटेड (एनईएससीएल) ने इच्छा जताई है। गौरतलब है कि शहर में इस समय 2.47 लाख बिजली उपभोक्ता हैं। इनमें से 2.14 लाख लोग घरेलू बिजली का इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि अन्य कामर्शियल, स्माल पावर, पब्लिक लाइटिंग और कृषि के कनेक्शन हैं। चंडीगढ़ अपनी खुद की ही बिजली नहीं है, वह वितरण का काम करता है। उधर, बिजली विभाग के कर्मचारी प्रशासन के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं लेकिन बावजूद इसके प्रशासन ने टेंडर जारी कर दिया।