साल का पहला चंद्रग्रहण बुधवार को लगेगा। खास बात यह है कि यह पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। उत्तर भारत में दृश्यमान नहीं होने से वाराणसी समेत पूर्वांचल के जिलों में सूतक का कोई मान नहीं होगा। इस साल कुल चार ग्रहण लगेंगे जिसमें दो चंद्रग्रहण और दो सूर्यग्रहण होंगे।
काशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री ज्योतिषाचार्य पं. दीपक मालवीय ने बताया कि वर्ष का पहला चंद्रग्रहण वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र पर लगेगा। चंद्रग्रहण का स्पर्श दोपहर 3.15 मिनट पर होगा। ग्रहण का मध्य 4:49 और मोक्ष 6:23 मिनट पर होगा। दिन का समय होने से भारतीय दृश्याकाश में चंद्रमा दिखाई नहीं देगा। जब तक भारत के पूर्वी क्षितिज पर चंद्रमा का बिंब दिखाई देगा, तब तक चंद्रग्रहण की समाप्ति का दृश्य होगा।
ज्योतिष में इसे ग्रस्तोदित ग्रहण कहा जाता है। यह ग्रहण उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा व राजस्थान में नजर नहीं आएगा। इन स्थानों पर इसकी कोई भी धार्मिक मान्यता नहीं होगी, न कोई वेध होगा। न ही किसी राशि पर इसका प्रभाव होगा। ज्योतिषाचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि चंद्रग्रहण का प्रभाव केवल पूर्वोत्तर भाग में होगा। ग्रहण जहां दृश्य होता है वहीं इसका सूतक भी लगता है। इसलिए वाराणसी में इसका कोई प्रभाव व सूतक मान्य नहीं होगा।
ग्रहों का संयोग
पं. मालवीय के अनुसार चंद्रग्रहण वृश्चिक राशि एवं अनुराधा नक्षत्र पर लगेगा। इस दिन चंद्रमा वृश्चिक राशि में गोचर कर रहे हैं जो इनकी नीच राशि है। चंद्रमा के साथ वृश्चिक राशि में केतु भी होंगे। शुभ ग्रह के साथ एक क्रूर ग्रह का योग बनेगा।
कहा जाता है ब्लड मून
ज्योतिषाचार्य राहुल तिवारी ने बताया कि खगोलीय घटना में रुचि रखने वाले लोग पूर्ण चंद्र ग्रहण देख सकेंगे। इस घटना को ब्लड मून भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें चंद्रमा थोड़ा लाल-नारंगी रंग का दिखाई देता है। 21 जनवरी 2019 के बाद पहली बार पूर्ण चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। पूर्ण चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है, जिससे सूर्य की किरणें सीधे चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती हैं।
दुर्लभ है चंद्रग्रहण
इस साल का पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण कई मायनों में दुर्लभ है। ये ग्रहण वाले दिन सुपरमून कहलाएगा और लाल रंग का होगा। ये दोनों संयोग कई सालों में एक बार आता है। वैज्ञानिकों के अनुसार इसे सुपर लूनर इवेंट कहा जाता है, क्योंकि ये सुपरमून भी होगा, ग्रहण भी होगा और चंद्रमा खूनी लाल रंग का दिखेगा।
विस्तार
साल का पहला चंद्रग्रहण बुधवार को लगेगा। खास बात यह है कि यह पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। उत्तर भारत में दृश्यमान नहीं होने से वाराणसी समेत पूर्वांचल के जिलों में सूतक का कोई मान नहीं होगा। इस साल कुल चार ग्रहण लगेंगे जिसमें दो चंद्रग्रहण और दो सूर्यग्रहण होंगे।
काशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री ज्योतिषाचार्य पं. दीपक मालवीय ने बताया कि वर्ष का पहला चंद्रग्रहण वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र पर लगेगा। चंद्रग्रहण का स्पर्श दोपहर 3.15 मिनट पर होगा। ग्रहण का मध्य 4:49 और मोक्ष 6:23 मिनट पर होगा। दिन का समय होने से भारतीय दृश्याकाश में चंद्रमा दिखाई नहीं देगा। जब तक भारत के पूर्वी क्षितिज पर चंद्रमा का बिंब दिखाई देगा, तब तक चंद्रग्रहण की समाप्ति का दृश्य होगा।
ज्योतिष में इसे ग्रस्तोदित ग्रहण कहा जाता है। यह ग्रहण उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा व राजस्थान में नजर नहीं आएगा। इन स्थानों पर इसकी कोई भी धार्मिक मान्यता नहीं होगी, न कोई वेध होगा। न ही किसी राशि पर इसका प्रभाव होगा। ज्योतिषाचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि चंद्रग्रहण का प्रभाव केवल पूर्वोत्तर भाग में होगा। ग्रहण जहां दृश्य होता है वहीं इसका सूतक भी लगता है। इसलिए वाराणसी में इसका कोई प्रभाव व सूतक मान्य नहीं होगा।