पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
तालाबों का अस्तित्व खत्म होता जा रहा है। सूख चुके तालाबों में इमारतें खड़ी दिख रही हैं। प्रशासन तालाबों को कब्जा मुक्त कराने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहा है। इन हालात में बचे हुए तालाब भी खत्म हो जाएंगे, इससे इंकार नहीं किया जा सकता।
नगर के चाऊपुरा, भूवरा में तालाबों को पाटकर पुख्ता निर्माण कर लिए गए हैं। प्रशासन ने इन तालाबों से अवैध कब्जा हटाने की सुध नहीं ली है। आसपास के गांवों में भी यही स्थिति है। बिजारखाता मेें जंगिया वाला तालाब चार बीघा में है। लेकिन मौके पर दो बीघा जमीन भी नहीं बची है। तालाब को आसपास के किसानों ने अपनी जमीनों में शामिल कर लिया है।
प्रत्येक वर्ष इस तालाब पर मनरेगा के तहत जीर्णोद्धार के लिये लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं। जबकि इसके बराबर वाला तालाब एक एकड़ में है। लेकिन मौके पर यह तालाब भी काफी संकरा है। इस तालाब पर भी जीर्णोद्धार के लिए रामगंगा कमांड की ओर से लाखों रुपए खर्च किए गए हैं। लेकिन इन तालाबों की स्थिति जस की तस है। तालाब करीब छह माह से सूखे पड़े हैं।
आबादी क्षेत्रों के दो तालाबों पर लोगाें ने पुख्ता निर्माण कर तालाबोें का नामों निशान मिटा दिया है। जबकि अभिलेखों में आज भी तालाब है। लेकिन प्रशासन ने इन तालाबों को कब्जा मुक्त कराने की कोई मुहिम नहीं छेड़ी है। जिससे तालाबों पर लोगाें का कब्जा बरकरार
तालाबों का अस्तित्व खत्म होता जा रहा है। सूख चुके तालाबों में इमारतें खड़ी दिख रही हैं। प्रशासन तालाबों को कब्जा मुक्त कराने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहा है। इन हालात में बचे हुए तालाब भी खत्म हो जाएंगे, इससे इंकार नहीं किया जा सकता।
नगर के चाऊपुरा, भूवरा में तालाबों को पाटकर पुख्ता निर्माण कर लिए गए हैं। प्रशासन ने इन तालाबों से अवैध कब्जा हटाने की सुध नहीं ली है। आसपास के गांवों में भी यही स्थिति है। बिजारखाता मेें जंगिया वाला तालाब चार बीघा में है। लेकिन मौके पर दो बीघा जमीन भी नहीं बची है। तालाब को आसपास के किसानों ने अपनी जमीनों में शामिल कर लिया है।
प्रत्येक वर्ष इस तालाब पर मनरेगा के तहत जीर्णोद्धार के लिये लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं। जबकि इसके बराबर वाला तालाब एक एकड़ में है। लेकिन मौके पर यह तालाब भी काफी संकरा है। इस तालाब पर भी जीर्णोद्धार के लिए रामगंगा कमांड की ओर से लाखों रुपए खर्च किए गए हैं। लेकिन इन तालाबों की स्थिति जस की तस है। तालाब करीब छह माह से सूखे पड़े हैं।
आबादी क्षेत्रों के दो तालाबों पर लोगाें ने पुख्ता निर्माण कर तालाबोें का नामों निशान मिटा दिया है। जबकि अभिलेखों में आज भी तालाब है। लेकिन प्रशासन ने इन तालाबों को कब्जा मुक्त कराने की कोई मुहिम नहीं छेड़ी है। जिससे तालाबों पर लोगाें का कब्जा बरकरार